भारत के विकसित बनने की राह, हवा-हवाई नहीं है सपना; इसके साकार रूप लेने के कुछ ठोस आसार भी

सामान्यतः लोकसभा चुनाव से पहले सरकारें जनादेश को लेकर आशंकित रहती हैं लेकिन मोदी सरकार इन सबसे अलग नजर आ रही है। तभी तो लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अपने मंत्रियों से नई सरकार के लिए पहले 100 दिन और पांच साल के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए कहा।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Sun, 14 Apr 2024 11:45 PM (IST) Updated:Sun, 14 Apr 2024 11:45 PM (IST)
भारत के विकसित बनने की राह, हवा-हवाई नहीं है सपना; इसके साकार रूप लेने के कुछ ठोस आसार भी
भारत के विकसित बनने की राह (फोटो: एएनआई)

रमेश कुमार दुबे। सामान्यतः लोकसभा चुनाव से पहले सरकारें जनादेश को लेकर आशंकित रहती हैं, लेकिन मोदी सरकार इन सबसे अलग नजर आ रही है। तभी तो लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अपने मंत्रियों से नई सरकार के लिए पहले 100 दिन और पांच साल के लिए रोडमैप तैयार करने के लिए कहा। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने विकसित भारत-2047 के विजन दस्तावेज पर विचार-विमर्श किया था। तब प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं न छोटा सोचता हूं, न मामूली सपने देखता हूं और न ही मामूली संकल्प करता हूं, क्योंकि 2047 में मुझे देश को विकसित भारत के रूप में देखना है। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी 25 वर्ष का रोडमैप बनाकर आगे बढ़ रहे हैं और इसके केंद्र में है छोटे शहरों का विकास।

इसका आभास संकल्प पत्र के नाम से जारी भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र से भी होता है। प्रधानमंत्री मोदी का भारत को विकसित देश बनाने का यह संकल्प हवा-हवाई नहीं है। इसकी सफलता के ठोस जमीनी आधार हैं। पिछले 10 वर्षों में मोदी सरकार में चार करोड़ गरीबों को घर बनाकर दिए गए हैं। सरकार 83 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन दे रही है। नल जल योजना के तहत 75 प्रतिशत ग्रामीणों तक पाइपलाइन से पेयजल की आपूर्ति की जा रही है। देश के हर घर में स्वच्छ ईंधन उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत अब तक 10 करोड़ से अधिक रसोई गैस के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इसी तरह स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश भर में करोड़ों शौचालय बनाए गए हैं, जिससे देश खुले में शौच की कुप्रथा से मुक्त हो रहा है।

गरीबी उन्मूलन की दिशा में सरकार की जनधन-आधार-मोबाइल त्रयी के जरिये विकसित हुए बिचौलिया मुक्त धन हस्तांतरण नेटवर्क की मुख्य भूमिका रही है। आज जनधन बैंक खातों का इस्तेमाल सरकारी योजनाओं की सब्सिडी, छात्रवृत्ति, पेंशन, आपदा सहायता जैसी अनगिनत योजनाओं का लाभ सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुंचाने में किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने विभिन्न योजनाओं के 7.16 लाख करोड़ रुपये लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित किए, जो 2013-14 में हस्तांतरित राशि (7,367 करोड़ रुपये) की तुलना में 100 गुना ज्यादा है जब प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण (डीबीटी) शुरू किया गया था। आज 53 केंद्रीय मंत्रालयों की 320 योजनाओं के लाभ डीबीटी के तहत सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजे जा रहे हैं। इसी तरह महंगे इलाज के कारण जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा अस्पतालों तक नहीं जा पाता था। लाखों परिवारों को इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता था जिससे उनकी जमीन-जायदाद तक बिक जाती थी। इस संकट को आयुष्मान भारत योजना के तहत मिल रहे मुफ्त इलाज ने खत्म कर दिया।

भारत विकसित देश बने, इसके लिए गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति भी जरूरी है। इसी के तहत पहले चरण में देश के हर गांव तक बिजली पहुंचाने के साथ-साथ आपूर्ति में सुधार किया गया। इसी का परिणाम है कि आज शहरी क्षेत्रों में प्रतिदिन औसतन 23.5 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में औसतन 20.5 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। अब सरकार देश के हर घर को सातों दिन-चौबीसों घंटे रोशन करने की कवायद में जुटी है। इसके लिए मार्च 2025 की समयसीमा तय की गई है। बिजली क्षेत्र की भांति ही सरकार रेलवे और सड़क क्षेत्र का भी कायाकल्प कर रही है, ताकि देश में विश्वस्तरीय आधारभूत ढांचा बने। विकास में बाधा बने सैकड़ों कानूनों को पहले ही निरस्त किया जा चुका है।

मोदी सरकार की योजनाओं के पारदर्शी क्रियान्वयन का नतीजा गरीबी उन्मूलन के रूप में सामने आया है। वित्त वर्ष 2013-14 से 2022-23 के बीच देश में बहुआयामी गरीबी 29.17 प्रतिशत से घटकर 11.28 प्रतिशत रह गई। इस दौरान 24.8 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर निकले। शहरों की तुलना में ग्रामीण आबादी का अधिक हिस्सा गरीबी रेखा से ऊपर उठा है। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश मुख्य राज्य रहे हैं। गरीबी घटने की इस रफ्तार को देखें तो जल्दी ही वह एक अंक में रह जाएगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) गरीबी की एक परिभाषा का उपयोग करता है जिसे बहुआयामी गरीबी सूचकांक कहा जाता है। यह सूचकांक शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर के 10 संकेतकों को शामिल करता है। भारत में नीति आयोग ने इसके अलावा मातृत्व स्वास्थ्य और बैंक खाते को भी शामिल कर लिया है। इस प्रकार भारत में 12 संकेतकों के आधार पर बहुआयामी गरीबी का आकलन किया जाता है। इसमें बहुआयामी गरीबी को शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर में सुधार की कसौटी पर मापा जाता है। सरलता से देखें तो एक व्यक्ति जो इन सभी मोर्चों पर मजबूत हुआ हो उसे ही बहुआयामी गरीबी से बाहर निकलने के तौर पर गिना गया है। अब तक देश में गरीबी आकलन के आंकड़े प्रति व्यक्ति आय तक सिमटे रहे हैं। इससे गरीबी उन्मूलन की सटीक जानकारी नहीं मिल पाती थी। इसका कारण है कि आय के अनुमान हासिल करना कठिन है।

कुल मिलाकर मोदी सरकार के इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि भारत दुनिया की 10वीं से पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन गया है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गारंटी दे रहे हैं कि उनकी तीसरी पारी में भारत दुनिया की तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा। स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री मोदी 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।

(लेखक एमएसएमई मंत्रालय के निर्यात संवर्धन एवं विश्व व्यापार संगठन प्रभाग में अधिकारी हैं)

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