Ayodhya Ram Temple: देश और सनातन धर्म के दृष्टिकोण से इस घटना की गूंज बहुत समय तक रहने वाली है

Ayodhya Ram Temple पांच अगस्त को अयोध्या में राममंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा है। यह वह घटना होगी जो इतिहास को ठीक करेगी और इतिहास बनाएगी भी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 09:21 AM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 09:21 AM (IST)
Ayodhya Ram Temple: देश और सनातन धर्म के दृष्टिकोण से इस घटना की गूंज बहुत समय तक रहने वाली है
Ayodhya Ram Temple: देश और सनातन धर्म के दृष्टिकोण से इस घटना की गूंज बहुत समय तक रहने वाली है

उत्तर प्रदेश, आशुतोष शुक्ल। Ayodhya Ram Temple आप रोज डायरी लिखते हैं। उसमें दिन भर का हिसाब लिखते हैं। मन की बात लिखते हैं। अच्छा बुरा लिखते लिखते एक दिन डायरी आपका आईना बन जाती है। फिर वर्षो बाद एक दिन ऐसा आता है जब आप डायरी के पन्नों में अपना क्रमिक विकास पाते हैं। डायरी यूं महत्वपूर्ण हो जाती है लिखने वाले के लिए, लेकिन तब क्या और कैसे लिखें आप बीते कल की कहानी जब अगले सप्ताह आपके ही घर में कोई बड़ा आयोजन होने जा रहा हो। वह जो आपको प्रभावित करेगा। डायरी तब भावी की कहानी लिखना चाहेगी, घटे हुए को दोहराना नहीं। ..और जो होने वाला है, यदि वह धर्म, समाज व राजनीति की दृष्टि से परिवर्तनकारी और तीव्र प्रतिक्रियात्मक होने जा रहा हो, तब तो निश्चित ही आप उसी की बात कहना चाहेंगे। आखिर तो हर डायरी अपने अपने अर्थ में भविष्य का दस्तावेज होती है।

पांच अगस्त को अयोध्या में राममंदिर का भूमिपूजन होने जा रहा है। यह वह घटना होगी जो इतिहास को ठीक करेगी और इतिहास बनाएगी भी। यह समझना कि कोई एक घटना भावी पाठ्यक्रमों में जाने वाली है, रोमांचक अनुभूति होती है। पांच सदी पहले राजनीति ने धर्म में जो घातक घालमेल किया था और समाज ने आज तक जिसका मूल्य चुकाया, उस विभाजनकारी भूल का परिमार्जन पांच अगस्त को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन करेंगे और तीन वर्ष बाद मंदिर का लोकार्पण भी। रामलला के आंगन में जाने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे। उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राममंदिर आंदोलन व निर्माण ट्रस्ट के कई प्रमुख नाम भी होंगे।

पांच अगस्त का दिन अयोध्या के कायाकल्प का भी श्रीगणोश करेगा। जिन्होंने पिछले तीन-चार दशकों में अयोध्या को देखा है, उसकी दुर्गति वे कभी भूल नहीं सकते। वह शहर जिसने भारत और सनातन धर्म को उसका प्रतीक पुरुष दिया और जो लखनऊ से मात्र तीन घंटे की दूरी पर है, उसे कभी एक कस्बे से ऊपर नहीं उठने दिया गया। सैकड़ों वर्षो तक उपेक्षित रहने के कारण जीवित संस्कृति का एक उदास शहर बनकर रह गई थी अयोध्या। अब अयोध्या का भौतिक विकास तो होगा ही, लेकिन महत्वपूर्ण है उसका और उसके बहाने संस्कृति की एक पूरी धारा का आध्यात्मिक विकास। देश और सनातन धर्म के दृष्टिकोण से इस घटना की गूंज बहुत समय तक रहने वाली है।

पिछला पूरा सप्ताह अयोध्या की इसी तैयारी के इर्दगिर्द रहा। राज्य सरकार के मंत्री और अधिकारी ही नहीं, मुख्यमंत्री योगी ने भी अयोध्या जाकर शिलान्यास की तैयारियों की समीक्षा की। कार्यक्रम पर कोरोना का असर रहेगा और इसीलिए बहुत कम लोगों को बुलाया जा रहा है। राज्य सरकार अयोध्या को चित्रकूट से भी जोड़ने जा रही है। जिस अनुमानित मार्ग से राम वन को गए थे, उसके सुंदरीकरण की योजना भी बना ली गई है। अयोध्या की परिक्रमा श्रद्धालुओं के लिए तीर्थयात्र का पुण्य होती है और अब उसी परिक्रमा मार्ग को संवारने का काम भी शुरू हो गया है। राज्य सरकार इस अवसर को एक विशाल महोत्सव का रूप देने जा रही है। मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों से चार और पांच अगस्त को घरों में दिये जलाने और मंदिरों में रामचरित मानस के अखंड पाठ की अपील की है।

मंदिर से अलग यदि बीते सप्ताह कुछ हुआ तो वह था कोरोना का फैलता दायरा। रविवार को कोरोना ने उत्तर प्रदेश को झकझोर दिया। सुबह-सुबह प्राविधिक शिक्षा मंत्री कमलरानी वरुण के देहावसान की दुखद खबर आई। वह कुछ दिनों से अस्पताल में भर्ती थीं। लोग अभी उनकी मृत्यु के झटके में ही थे कि शाम होते होते भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के संक्रमित होने की खबर फैल गई। उन्होंने खुद ट्वीट करके यह जानकारी दी। आशा ही की जा सकती है ये दोनों सूचनाएं आम लोगों को कोरोना के प्रति अधिक सजग सतर्क करेंगी।

हालांकि यूपी में एक लाख पंद्रह हजार टेस्ट अब रोज होने लगे हैं और शायद यही कारण है कि मरीजों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़ने लगी है। अब तो लखनऊ में भी संक्रमण बहुत फैल गया है। यहां अब रोज लगभग छह सौ संक्रमित मिलने लगे हैं। उधर अधिकारी आदत से मजबूर हैं। वे अस्पतालों में सारी तैयारी चाक चौबंद होने का दावा करते हैं लेकिन, मरीज ही नहीं, डाक्टर भी कई आवश्यक सुविधाओं की कमी बताने लगे हैं। यह वह पक्ष है जिस पर सरकार को तत्काल ध्यान देना होगा।

[संपादक, उत्तर प्रदेश]

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