कोरोना एक इशारा है, प्रकृति से खिलवाड़ बहुत हो चुका; अब हमें चेत जाना चाहिए

Coronavirus जब से लॉकडाउन हुआ है ऐसा लग रहा है कि केवल इंसान को छोड़कर समस्त प्रकृति पशु-पक्षी एवं जीव-जंतु अत्यंत प्रसन्न हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 08 Apr 2020 11:59 AM (IST) Updated:Wed, 08 Apr 2020 12:00 PM (IST)
कोरोना एक इशारा है, प्रकृति से खिलवाड़ बहुत हो चुका; अब हमें चेत जाना चाहिए
कोरोना एक इशारा है, प्रकृति से खिलवाड़ बहुत हो चुका; अब हमें चेत जाना चाहिए

[ऋषि राज]। Coronavirus आजकल सुबह नींद खुलते ही एक विशेष अहसास होता है। एक अलग तरह की प्रसन्नता का अनुभव होता है। लगता है जो जुड़ाव हम प्रकृति के साथ भूल चुके थे अब वह वापस आने लगा है। इंसानों की वजह से न तो नीला आसमान बचा था और न ही पक्षियों का मधुर स्वर। ये सब वायु एवं ध्वनि प्रदूषण में कहीं खो कर रह गए थे। देखा जाए तो लॉकडाउन से होने वाली पीड़ा को कम करने में प्रकृति इंसान का भरपूर साथ दे रही है।

प्रकृति ने इंसान को उसकी करतूतों के लिए क्षमा कर दिया है। वह संपूर्ण तौर पर हमें इस विपदा का सामना करने का हौसला निरंतर प्रदान कर रही है। हम इंसानों को कोरोना के दंश से सबक लेने की अत्यंत आवश्यकता है। अब हमें चेत जाना चाहिए कि प्रकृति से खिलवाड़ बहुत हो चुका, वरना वह दिन दूर नहीं है जब हम इंसान भी इस पृथ्वी से विलुप्त हो जाएंगे जैसे कभी डायनासोर या पशु-पक्षियों की अन्य प्रजातियां हो गईं।

मुझे लगता है कोरोना एक इशारा है, उस ईश्वर का, उस प्रकृति का जिसने हमारा एवं इस जग का सृजन किया है। किसी ने स्वप्न में भी नहीं सोचा था कि आज जो कुछ देख या अनुभव कर रहे हैं, कभी हमें अपने जीवन काल में देखना पड़ेगा। यह किसी दु:स्वप्न से कम नहीं, पर एक कटु सच्चाई है, जिसका सामना हमें न चाहते हुए भी करना पड़ रहा है।

पूरा विश्व इसकी चपेट में आ गया है। वे देश जो अपने बड़े एवं अत्याधुनिक अस्पतालों तथा बेहतरीन सामाजिक सुरक्षा पर इतराते थे आज कोरोना की पीड़ा से सबसे ज्यादा त्रस्त, लाचार एवं पस्त दिखाई दे रहे हैं। एक तरह से उन्होंने अपनी पराजय स्वीकार कर ली है और अपने नागरिकों को चेता दिया है कि मरने के लिए तैयार रहो, क्योंकि मरने वालों की तादाद केवल कुछ सौ या हजार तक सीमित नहीं होगी, बल्कि लाखों में जाएगी। अमेरिका, इटली, स्पेन, जर्मनी, फ्रांस और चीन जैसे शक्तिशाली देश भी इस महामारी के आगे लाचार दिखाई दे रहे हैं। किसी का बड़े से बड़ा परमाणु बम एवं अत्याधुनिक हथियार भी इस महामारी के आगे बौने साबित हो रहे हैं।

तो सवाल यह उठता है कि हमें क्या करना चाहिए? सबसे पहले तो हमें उन निर्देशों का पालन पूरी ईमानदारी से करना चाहिए जो सरकारी स्वास्थ्य विभाग हमें कोरोना से बचने के लिए निरंतर दे रहा है जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है घर के अंदर रहना। ऐसा करने से हम सब जल्द ही इस वैश्विक महामारी से बाहर आ जाएंगे,

लेकिन निकट भविष्य में ऐसी किसी आपदा का सामना हमें न करना पड़े, इसके लिए भी हम सभी को बहुत संजीदगी से विचार करना होगा। बुद्धिजीवी वर्ग एक ऐसी योजना तैयार करे जिसमें नागरिकों के लिए कुछ ऐसे कानूनों का प्रावधान हो, ताकि कोई भी प्रकृति के मौलिक नियमों की अवहेलना न कर सके।

इसके लिए एक व्यापक अभियान शुरू किया जाए जिसमें प्रत्येक नागरिक को शामिल करते हुए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाए जाएं। और इन पेड़ों को गोद लेने के नियम हों जिसमें नागरिक प्रतिज्ञा करें कि वे गोद लिए गए पेड़ों का ध्यान रखेंगे। सरकारें मिल कर एक ऐसे माहौल का निर्माण करें जिससे आज की युवा पीढ़ी एवं बच्चों को ऐसा करने की निरंतर प्रेरणा मिले। इसके लिए स्वच्छ भारत अभियान की तरह ही पर्यावरण मंत्रालय की देखरेख में हरित भारत अभियान की शुरुआत की जा सकती है। मानव संसाधन मंत्रालय यह निर्णय ले कि प्रकृति की देखरेख एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हो और इसके लिए बच्चों के पाठ्यक्रम में इसे स्थान दिया जाए और उनकी सहभागिता कैसे तय की जा सकती है इस पर भी ध्यान दे। जिस प्रकार बच्चे स्वच्छता के प्रति जागरूक हो रहे हैं वैसे ही वे प्रकृति एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक बनें, यह अत्यंत आवश्यक है। लॉकडाउन के इन दिनों को कोई बच्चा अपने जीवन काल में कभी नहीं भूलेगा। इसी बात को उन्हें समझाते हुए हम योजनाएं बना सकते हैं।

अब बात करते हैं दूसरे पहलू यानी प्रदूषण की। प्रदूषण को कम करने में हमें और ज्यादा संजीदगी दिखनी होगी। पिछले वर्ष केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिल्ली में उन सड़कों को चिन्हित करने का आदेश दिया था जहां निरंतर जाम की वजह से प्रदूषण विकराल रूप धारण किए रहता है। इस पर कुछ-कुछ काम शुरू भी हुआ,

पर आज भी दिल्ली में टै्रफिक जाम की समस्या गंभीर बनी हुई है जिस पर व्यापक स्तर पर काम करने की आवश्यकता है, वह भी तत्काल प्रभाव से। कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां इस समस्या का हल तब तक नहीं निकलेगा जब तक हम कुछ कठोर निर्णय नहीं लेते। आजादपुर से लेकर मुकरबा चौक तक चौबीसों घंटे भारी ट्रैफिक रहता है, क्योंकि यहां एशिया की सबसे बड़ी सब्जी एवं फल मंडी है जहां रोजाना सब्जी एवं फल लेकर पूरे देश से हजारों ट्रक आते हैं। वहां ध्वनि प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण अपने चरम पर होता है। ऐसे दिल्ली में कई स्थान हैं।

इन सभी जगहों को प्रदूषण मुक्त करने के लिए कुछ कठोर और सकारात्मक निर्णय लेने ही होंगे, ताकि आज जो स्थिति कोरोना वायरस के चलते आई है, कल किसी अन्य कारण से न पैदा होने पाए। हमें इस बात को समय रहते समझना और दूसरों को समझाना होगा कि कोरोना हम सभी को जागृत करने आया है और समस्त मानव जाति को यह बताने आया है कि हे मानव, अभी नहीं बदले तो आगे फिर सुधरने का कभी समय नहीं मिलेगा।

जब से लॉकडाउन हुआ है, ऐसा लग रहा है कि केवल इंसान को छोड़कर समस्त प्रकृति, पशु-पक्षी एवं जीव-जंतु अत्यंत प्रसन्न हैं। मानो पृथ्वी हीलिंग मोड में आ गई है और जो नुकसान इंसान प्रकृति को पहुंचाता आया है उसकी भरपाई हो रही है। आजकल रोजाना सुबह-शाम तरह-तरह के पक्षी देखने को मिल रहे हैं जो लगभग दिखने बंद हो गए थे। नीले आसमान में उनका स्वच्छंद विचरण और उनके कंठ से निकलती मधुर कलरव एक नव निर्माण की ओर इशारा कर रहे हैं जिसे हमें समझना चाहिए और संबंधित नीतिगत बदलावों की ओर बढ़ना चाहिए।

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