खेती को सुरक्षित रखने की चुनौती: देश में कोरोना संकट में कृषि और इससे जुड़ी व्यवस्था का निर्बाध चलना जरूरी

सरकार के पास लगभग 7.75 करोड़ टन खाद्यान्न है। इसमें गेहूं और चावल और 22.5 लाख टन दालों का भंडार उपलब्ध है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 29 Mar 2020 11:56 PM (IST) Updated:Mon, 30 Mar 2020 12:24 AM (IST)
खेती को सुरक्षित रखने की चुनौती: देश में कोरोना संकट में कृषि और इससे जुड़ी व्यवस्था का निर्बाध चलना जरूरी
खेती को सुरक्षित रखने की चुनौती: देश में कोरोना संकट में कृषि और इससे जुड़ी व्यवस्था का निर्बाध चलना जरूरी

[ चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ]: इस समय देश-दुनिया में शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जो कोरोना महामारी से प्रभावित न हो तो खेती-किसानी भला कैसे अछूती रहेगी। इससे मुकाबले के लिए देशव्यापी लॉकडाउन का ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर असर भी पड़ने लगा है। रबी की कुछ फसलों-सरसों, मटर, चना, प्याज, आलू आदि की कटाई या निकासी शुरू हो चुकी है। अगला एक महीना रबी की मुख्य फसल गेहूं की कटाई, साथ ही जायद व उसके बाद खरीफ की फसलों की बोआई शुरू होने का वक्त है। स्पष्ट है कि खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से कृषि कार्यों और इससे जुड़ी व्यवस्था का निर्बाध रूप से चलना अति आवश्यक है।

फसल खरीद के लिए खरीद केंद्रों, अनाज मंडियों की व्यवस्था को युद्धस्तर पर चलाना होगा

ऐसे में लॉकडाउन के बावजूद सरकार को सभी तरह के कृषि व संबंधित कार्यों में लगे किसान-मजदूरों को काम करने, कटाई, निकासी, परिवहन, भंडारण, प्रसंस्करण और बिक्री व्यवस्था सुचारू रूप से चलवानी होगी। कृषि यंत्रों एवं वाहनों और मजदूरों की आवाजाही सुगम करनी होगी। कृषि यंत्रों के रखरखाव, मरम्मत और कारीगरों को भी अनुमति देनी होगी। फसल खरीद के लिए खरीद केंद्रों, अनाज मंडियों, परिवहन और भंडारण की व्यवस्था को युद्धस्तर पर चलाना होगा।

फसलों का भुगतान अधिक से अधिक डिजिटल माध्यम से किया जाए

इन सभी स्थानों पर उचित आपसी फासला व सफाई जैसे आवश्यक कदम भी उठाने होंगे जिससे संक्रमण न फैले। फसलों का भुगतान अधिक से अधिक डिजिटल माध्यम से किया जाए। एक अप्रैल से शुरू होने वाली रबी फसलों की खरीद को पंजाब सरकार ने 15 अप्रैल और हरियाणा सरकार ने 20 अप्रैल से शुरू करने का निर्णय किया है। इस पर सरकार पुनर्विचार करे अन्यथा ग्रामीण क्षेत्रों में इस दौरान धन का प्रवाह अवरुद्ध हो जाएगा। बोआई के लिए बीज, खाद, कीटनाशकों के उत्पादन, भंडारण, वितरण व बिक्री और सिंचाई की व्यवस्था भी सुचारू रूप से चलानी होगी।

देशव्यापी लॉकडाउन के चलते दुग्ध की मांग में कमी

दुग्ध उत्पादन और पशुपालन से कृषि की एक-तिहाई आय होती है। आपूर्ति चेन टूटने, मिठाई की दुकानें, होटल आदि बंद होने, शादी-समारोह स्थगित होने से दूध व अन्य खाद्य सामग्री की मांग कम हुई है। डेयरियों और दूधियों ने किसानों से दूध की खरीद घटा दी है। इससे दूध व अन्य फसलों के दाम गिर गए हैं। दूध संग्रह, प्रसंस्करण, उत्पादन और वितरण में लगे डेयरी व संबंधित उद्योगों को सुचारू रूप से चलाना होगा। पशुओं के आहार, सूखे व हरे चारे, पशु-चिकित्सकों और दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी।

अच्छी पैदावार के बावजूद खाद्य पदार्थों और कृषि उत्पादों की वितरण व्यवस्था बाधित

अच्छी पैदावार के बावजूद खाद्य पदार्थों और कृषि उत्पादों की वितरण व्यवस्था बाधित हो रही है। लॉकडाउन के दौरान फल, सब्जी, दूध व अन्य आवश्यक खाद्य सामग्री ढो रहे वाहनों, कर्मचारियों व व्यापारियों को भी रोका जा रहा है। आपूर्ति बाधित होने, स्थानीय विक्रेताओं द्वारा मुनाफाखोरी के कारण ये वस्तुएं उपभोक्ता स्तर पर महंगी हो गई हैं। ऐसे तत्वों पर सख्त अंकुश लगाकर वितरण व्यवस्था में तत्काल सुधार किया जाना चाहिए।

उपभोक्ता मांस, मछली, चिकन, अंडे से परहेज कर रहे हैं जिससे इनके दाम गिर गए

चिकन से कोरोना वायरस फैलने की झूठी अफवाहों से उपभोक्ता मांस, मछली, चिकन, अंडे आदि से परहेज कर रहे हैं जिससे इनके दाम गिर गए हैं। सरकार तत्काल उपभोक्ताओं की इन शंकाओं को दूर करे। मांग घटने से पोल्ट्री फीड के रूप में इस्तेमाल होने वाली मक्का और सोयाबीन के दाम भी गिर गए हैं। पोल्ट्री फीड की आपूर्ति भी बाधित होने की शिकायतें मिली हैं जिन पर कार्यवाई होनी चाहिए।

शहरों में काम बंद होने के कारण लोग अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं

भारत में असंगठित क्षेत्र में 80 प्रतिशत से ज्यादा लोग काम करते हैं। काम बंद होने के कारण ये लोग शहरों से अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर दबाव और बढ़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाले बाहर के मजदूर भी बीमारी के डर से पलायन कर रहे हैं। इस कारण गन्ने की छिलाई और बोआई, गेहूं की कटाई व निकासी, सब्जियों को तोड़ना और खरीफ की बोआई भी प्रभावित हो सकती है।

सरकार ने की गरीब लोगों के लिए 1.70 लाख करोड़ की राहत पैकेज की घोषणा

इस संकट से निपटने के लिए सरकार ने 1.70 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा भी की है। 80 करोड़ लोगों को अगले तीन महीने तक अतिरिक्त पांच किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल प्रति माह मुफ्त दी जाएगी। 8.70 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना की 2,000 रुपये की एक किस्त अप्रैल में ही मिल जाएगी। 20.40 करोड़ महिलाओं के जन-धन खाते में 1500 रुपये भेजे जाएंगे। तीन करोड़ विधवाओं, पेंशन धारकों और दिव्यांगों को भी एक-एक हजार रुपये की मदद दी जाएगी। 8.3 करोड़ गरीब परिवारों को अगले तीन माह तक एक गैस सिलिंडर प्रति माह मुफ्त दिया जाएगा।

मनरेगा के तहत दिहाड़ी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दिया

मनरेगा के तहत दिहाड़ी को 182 रुपये से बढ़ाकर 202 रुपये कर दिया है। आरबीआई ने भी अर्थव्यवस्था में 3.75 लाख करोड़ की अतिरिक्त तरलता उपलब्ध करवाई है।

कृषि कर्ज की वसूली एक वर्ष के लिए स्थगित करना होगा

फिर भी इस आपदा में कृषि कर्ज की वसूली व किस्तों को भी एक वर्ष के लिए स्थगित करना बेहतर होगा। किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट दोगुनी कर ब्याज दर भी घटाकर एक फीसद कर देनी चाहिए, ताकि किसान साहूकारों से महंगा कर्ज लेने के लिए बाध्य न हों।

पीएम-किसान योजना: 6,000 रुपये से बढ़ाकर 24,000 रुपये प्रति किसान प्रति वर्ष कर देना चाहिए

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए सरकार को पीएम-किसान योजना की राशि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 24,000 रुपये प्रति किसान परिवार प्रति वर्ष कर देना चाहिए। इस राशि का वहन केंद्र व राज्य सरकारें आधा-आधा कर सकती हैं। इससे ग्रामीण क्षेत्र में धन का प्रवाह बढ़ेगा। इससे मांग बढ़ेगी जिससे अर्थव्यवस्था भी मंदी से बच जाएगी।

देश में खाद्यान्न की भरपूर उपलब्धता एक बड़ी राहत

ऐसी आपदा के वक्त देश में खाद्यान्न की भरपूर उपलब्धता एक बड़ी राहत की बात है। सरकार के पास लगभग 7.75 करोड़ टन खाद्यान्न है। इसमें गेहूं और चावल और 22.5 लाख टन दालों का भंडार उपलब्ध है। एक महीने बाद गेहूं की 10 करोड़ टन फसल और आ जाएगी। रबी की दालों-चना, मसूर और मटर की आवक भी जारी है। दूध और चीनी की भी कोई कमी नहीं है। इस आपदा में कृषि, खाद्य भंडारण व वितरण व्यवस्था निर्बाध रूप से चलती रहे तो देश इस गंभीर संकट से उबर सकता है।

( लेखक किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष हैं )

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