सुशांत की मौत के बाद मचे कोहराम ने फिल्मी दुनिया की कार्यप्रणाली पर सोचने के लिए किया विवश
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जिस तरह से बॉलीवुड और टीवी मीडिया में कोहराम मचा वह फिल्मी दुनिया की कार्यप्रणाली पर अलग तरीके से सोचने को विवश करती है।
नई दिल्ली। कमलेश्वर की एक कहानी है दिल्ली में एक मौत। इसमें एक व्यक्ति की मौत पर उसके अंतिम संस्कार में जो लोग आते हैं, उन्हें मरने वाले से वास्ता नहीं था, बल्कि वे मौके पर पहुंचकर अपना पीआर बढ़ाने में जुटे होते हैं।
वैसा ही सुशांत सिंह राजपूत की मौत पर बॉलीवुड सितारों का रवैया दिखा। उनके निकट मित्र तो सदमे में हैं। अंतिम संस्कार में उनके पारिवारिक सदस्यों के अलावा भी कई लोग शामिल थे। सुशांत से अपनी नजदीकी या फिर अपनी समस्या उनके सिर मढ़कर भुनाने की कोशिश भी कई ने की।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद जिस तरह से बॉलीवुड और टीवी मीडिया में कोहराम मचा, वह फिल्मी दुनिया की कार्यप्रणाली पर अलग तरीके से सोचने को विवश करती है। कंगना रनौत ने भाई-भतीजावाद का आरोप लगाया। शेखर कपूर ने कहा कि मैं उनके दर्द को समझ सकता हूं। निखिल द्विवेदी ने भी निशाना साधते हुए कहा कि फिल्म इंडस्ट्री का दिखावा उन्हें शìमदा करता है।
बॉलीवुड में हर किसी ने अपने-अपने नजरिये से सुशांत की मौत का आकलन किया। सुशांत की मानसिक परेशानी यानी डिप्रेशन, फिल्मों का न मिलना, गिरते करियर ग्राफ आदि को लेकर तमाम बातें कही गईं। कुछ लोगों ने ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान भी चलाया और भारतीय सिनेमा में नेपोटिज्म के विरोध में खड़े हुए। टीवी मीडिया सहित फिल्म जगत में यह बात साफ तौर पर कही जा रही है कि कुछ चुनिंदा लोग उस एलीट गैंग के सदस्य हैं जिनकी छत्रछाया के बिना किसी बाहरी को काम नहीं मिल सकता है।
दिलचस्प है कि फिल्म बनाने के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है, लेकिन इसका नियंत्रण महज चंद लोगों के पास है। इस मामले में सत्यता इसलिए भी दिखती है, क्योंकि सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म सोनचिरैया जब रिलीज हुई, तब उन्होंने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा था, बॉलीवुड में मेरा कोई गॉडफादर नहीं है और यदि आप मेरी फिल्में नहीं देखेंगे तो मैं यहां से बाहर हो जाऊंगा।
इस बीच सुशांत के निधन के बाद उनके खास मित्रों को टारगेट किया गया और सोशल मीडिया मंचों पर उन्हें ट्रोल भी किया गया। कहा गया कि सुशांत के खास लोगों ने उनकी मृत्यु पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यही कारण है कि सुशांत की दोस्त और अभिनेत्री कृति सेनन को सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह लिखना पड़ा, कुछ लोग अपनी संवेदनशीलता पूरी तरह से खो चुके हैं। ऐसे समय में वह आपसे कमेंट करने की गुजारिश करते हैं। अंतिम संस्कार में जाते वक्त साफ तस्वीर क्लिक करने के लिए कार का दरवाजा ठोकते हैं और शीशा नीचे करने के लिए कहते हैं। अंतिम संस्कार पर्सनल होते हैं।
इंसानियत को काम से ऊपर रखें। हम भी इंसान हैं और हमारी भी कुछ भावनाएं हैं। यह बहुत ही विचित्र है कि ट्रोल और गॉसिप करने वाले लोग अचानक तब जागें और आपकी अच्छाइयों के बारे में बात करने लग जाएं, जब आप इस दुनिया में नहीं हैं। सोशल मीडिया सबसे फेक और जहरीली जगह है। यदि आपने पब्लिकली कुछ नहीं लिखा और आरआइपी पोस्ट नहीं किया तो समझ लिया जाता है कि आपको दुख नहीं है, जबकि वास्तव में यही लोग सबसे ज्यादा दुखी होते हैं। ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया वास्तविक दुनिया है और वास्तविक दुनिया फेक समझी जाने लगी है।
वैसे सवाल यह भी है कि किसी के मरने पर मीडिया सिद्धांत क्या कहता है? क्या किसी की मौत को तमाशा बना दिया जाए और उससे जुड़े उन लोगों की प्रतिक्रिया मांगी जाए जो अभी गम में हैं? सवाल मनुष्य की नैतिकता का भी है कि किसी की मौत पर अपनी पब्लिसिटी के लिए टीवी पर आएं और किसी के स्टारडम को भुना लें।
(विनीत उत्पल की फेसबुक वॉल से संपादित अंश, साभार)