याद कोई बीमारी नहीं

पढ़ाई या जॉब के लिए यंगस्टर्स का घर से दूर रहना आम बात है। इस जुगत में वे अपने परिवार को बहुत मिस करते हैं और कई बार 'होमसिकनेस' के शिकार भी हो जाते हैं।

By Babita kashyapEdited By: Publish:Wed, 15 Jun 2016 04:40 PM (IST) Updated:Wed, 15 Jun 2016 04:43 PM (IST)
याद कोई बीमारी नहीं

बचपन से जिस शहर और माहौल में रहे हों, अचानक से उससे दूरी बनाने पर अकेलापन होना स्वाभाविक है। कुछ यंगस्टर्स तुरंत एडजस्ट कर लेते हैं तो कुछ को थोड़ा टाइम लग जाता है। अगर नए शहर में दोस्त न बन पा रहे हों या वहां का माहौल सूट न कर रहा हो या माइंड में किसी तरह की टेंशन हो तो होमसिकनेस होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्या है होम सिकनेस

कुछ लोग होम सिकनेस को एक बीमारी या यंगस्टर्स की कमजोरी के तौर पर देखते हैं, जो कि बिलकुल गलत है। घर और परिजनों को मिस करना ही होमसिकनेस है। वैसे तो घर या $करीबी लोगों की याद कभी भी आ सकती है, पर किसी खास मौ$के पर उसका बढ़ जाना बिलकुल नॉर्मल है। कुछ लोग अपने शहर से भी बहुत ज़्यादा अटैच्ड होते हैं, ऐसे में किसी दूसरे शहर में उनको एडजस्ट करने में परेशानी आती है। जानते हैं इसकी मुख्य वजहों के बारे में।

- घर से बहुत ज़्यादा अटैच्ड होना।

- दूसरे शहर में किसी अपने या जान-पहचान वाले का न होना।

- किसी फैमिली फंक्शन, दोस्तों के गेट टु गेदर या त्योहार के मौ$के पर।

- वातावरण बदलने पर, पहाड़ी इलाके से मैदानी क्षेत्र में आना या मैदानी से पहाड़ी में जाने पर।

- मेस या टिफिन सर्विस में अच्छा खाना न मिलने पर भी कई बार ऐसी समस्या हो सकती है। ऐसे में घर के खाने का स्वाद याद आना स्वाभाविक होता है।

कैसे बचें इससे

बेहतर करियर की उम्मीद में अगर अपने

घर-परिवार से दूर आकर कहीं रहने का निश्चय किया है तो वहां की याद आने पर वापस जाने के बारे में तो सोचना भी नहीं चाहिए। कहीं एडजस्ट करना बहुत मुश्किल नहीं होता। जानते हैं कैसे एक अनजान शहर व अजनबियों का अपना बनाया जा सकता है।

- अगर अपने शहर की याद आती हो तो नए शहर में पुराने को ढूंढने की कोशिश करें। वहां कोई जगह या कुछ तो ऐसा जरूर होगा कि आपका मन लग सके।

- स्कूल, कॉलेज या वर्कप्लेस के साथ बेहतर तालमेल बनाएं।

- कोई भी परेशानी होने पर घरवालों से शेयर जरूर करें, पर बार-बार उन्हें यह एहसास न करवाएं कि दूसरी जगह पर आप एडजस्ट नहीं कर पा रहे हैं।

- अगर आसपास आपके होमटाउन के लोग हों तो उनके संपर्क में रहें। इससे आप बेहतर महसूस करेंगे।

- जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाकर भी होमसिकनेस को कुछ कम किया जा सकता है।

जितना हो सके, खुद को व्यस्त रखें और ऐसे लोगों के साथ रहें जिनके साथ आपकी बॉण्डिंग अच्छी हो। ज़्यादा हो तो घर पर विडियो कॉलिंग के जरिये भी बात कर सकते हैं। डायरी लेखन की शुरुआत करें और दिन भर का ब्योरा उसमें लिखें। थोड़ी कोशिश के बाद आप इस नए रूटीन में आसानी से एडजस्ट हो जाएंगे। बस यह ठान लेें कि आपको हर हाल में अपना बेस्ट देना है।

दीपाली पोरवाल

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