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इतिहास व आज की अनोखी सैर

अगर राजधानी के किले, मंदिर और बाग-बगीचे घूम कर आपका मन भर चुका हो तो क्यों न इस बार शहर के म्यूजि़यम्स के बारे में कुछ जांच-पड़ताल कर ली जाए?

By Suchi SinhaEdited By: Published: Tue, 20 Dec 2016 05:10 PM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2016 05:19 PM (IST)

अगर राजधानी के किले, मंदिर और बाग-बगीचे घूम कर आपका मन भर चुका हो तो क्यों न इस बार शहर के म्यूजि़यम्स के बारे में कुछ जांच-पड़ताल कर ली जाए? क्या पता, अगले वीकेंड इन्हीं में से कहीं जाने का मन भी बन जाए। जिनकी रुचि इतिहास में हो या देश-दुनिया से जुड़ी पुरानी और अनोखी चीज़ें देखना चाहते हों, उन्हें इन खास संग्रहालयों का रुख ज़रूर करना चाहिए।

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संग्रहालय - वह जगह जहां किसी विशेष चीज़ का संग्रह किया जाता हो। ज़्यादातर बड़े म्यूजि़यम्स देश के बड़े शहरों में स्थित हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वाले छोटे शहरों में लोकल म्यूजि़यम्स बनाए जाते हैं, जो अपने शहर के गौरवपूर्ण इतिहास के गवाह होते हैं। जानें दिल्ली के कुछ खास म्यूजि़यम्स के बारे में।


नेशनल म्यूजि़यम, नई दिल्ली
दिल्ली के सबसे बड़े म्यूजि़यम्स में से एक नेशनल म्यूजि़यम की स्थापना 1949 में हुई थी। यहां प्री-हिस्टॉरिक समय से लेकर मॉडर्न टाइम तक की कलाकृतियों का बेहतरीन संग्रह देखा जा सकता है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधिकृत यह संग्राहलय जनपथ के पास स्थित है। लगभग 5000 साल का भारतीय और विदेशी इतिहास समेटे यह संग्रहालय अपने आप में बेहद ख़्ाास है। म्यूजि़यम के फस्र्ट फ्लोर पर 1983 से नेशनल म्यूजि़यम इंस्टीट्यूट ऑफ हिस्ट्री ऑफ आट्र्स, कंज़र्वेशन एंड म्यूजि़योलॉजी स्थित है, 1989 में इसे डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा दे दिया गया था। इस म्यूजि़यम में हड़प्पा, मौर्या, शुंगा और सतवाहन आट्र्स, कुषाण, गुप्ता, मिडीवल आट्र्स, डेकोरेटिव आट्र्स, मिनिएचर पेंटिंग्स, इंडियन स्क्रिप्ट्स एंड कॉइन्स जैसी तमाम गैलरीज़ देखी जा सकती हैं।


शंकर्स इंटरनेशनल डॉल्स म्यूजि़यम
राजनैतिक कार्टूनिस्ट, के शंकर पिल्लई, बहादुर शाह ज़फर मार्ग पर स्थित चिल्ड्रंस बुक ट्रस्ट बिल्डिंग में विभिन्न देशों से लाई गई डॉल्स की प्रदर्शनी लगाते थे। एक बार उस प्रदर्शनी में पं.जवाहरलाल नेहरू अपनी बेटी इंदिरा के साथ गए तो उन्हें डॉल्स म्यूजि़यम बनाने का कॉन्सेप्ट सूझ गया। शंकर और नेहरू ने मिलकर 1965 में इंटरनेशनल डॉल्स म्यूजि़यम की शुरुआत की। प्रधानमंत्रियों को मिलने वाले उपहारों को यहां संग्रहित किया जाता है। कभी-कभी दिल्ली में स्थित एंबेसी या डिप्लोमैटिक मिशंस के सदस्य भी यहां डॉल्स भेंट कर जाते हैं। म्यूजि़यम को 2 भागों में बांटा गया है - पहले में यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यू ज़ीलैंड आदि से लाए गए सामान को प्रदर्शित किया गया है तो दूसरे में एशियन देशों, मिडल ईस्ट, अफ्रीका और भारत की चीज़ों को।


नेशनल रेल म्यूजि़यम
चाणक्यपुरी में 10 एकड़ की ज़मीन पर स्थित यह म्यूजि़यम भारतीय रेल के इतिहास का गवाह है। सुबह 10 बजे से शाम के 5 बजे तक खुले रहने वाले इस टूरिस्ट स्पॉट में लगातार एक टॉय ट्रेन चलती रहती है। 1:8 स्केल टॉय ट्रेन, डीज़ल सिमुलेटर, स्टीम सिमुलेटर, कोच सिमुलेटर, पटियाला स्टेट मोनोरेल ट्रेनवेज़, फेयरी क्वीन, फायर इंजन, सलॉन ऑफ प्रिंस ऑफ वेल्स, सलॉन ऑफ महाराजा ऑफ वेल्स, सलॉन ऑफ महाराजा ऑफ मैसूर, क्रेन टैंक, काल्का शिमला रेल बस और फायरलेस स्टीम लोकोमोटिव जैसी विशेष चीज़ें यहां प्रदर्शित की गई हैं।


नेहरू मेमोरियल म्यूजि़यम एंड लाइब्रेरी
इस म्यूजि़यम की स्थापना 1964 में हुई थी। तीन मूर्ति हाउस कॉम्प्लेक्स में स्थित इस संग्रहालय का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को सहेजना है। यहां का बहुमूल्य संग्रह इतिहासकारों और विद्यार्थियों के शोध कार्यों के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।


नेशनल म्यूजि़यम ऑफ नैचरल हिस्ट्री
नेचर पर बेस्ड इस म्यूजि़यम की स्थापना 1972 में की गई थी। यह भारत सरकार के एनवायरमेंट एंड फॉरेस्ट मंत्रालय के अधिकृत था। 26 अप्रैल 2016 को बाराखंबा रोड पर स्थित इस संग्रहालय की बिल्डिंग में आग लग गई थी, जिसके बाद से इसे बंद कर दिया।


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