रिकॉड्र्स की रेल पर सवार युवा

सटीक प्लैनिंग, गहन रिसर्च और कड़े परिश्रम से वे रिकॉर्ड बुक में जगह पा ही जाते हैं। यह सिलसिला थमता नहीं बस आगे बढ़ता ही जाता है। एक के बाद एक पड़ाव पार कर चल पड़ती है रिकॉड्र्स की रेल ...

By Suchi SinhaEdited By: Publish:Thu, 01 Dec 2016 04:22 PM (IST) Updated:Thu, 01 Dec 2016 04:56 PM (IST)
रिकॉड्र्स की रेल पर सवार युवा

तुषार को ड्राइविंग का पैशन शुरू से था। प्रोफेशन से वे सॉफ्ट इंजीनियर थे लेकिन ट्रैवल के क्षेत्र में कुछ करना चाह रहे थे। रिकॉर्ड बनाने की सूझी तो लंदन से दिल्ली गाड़ी से आ गए। इसी तरह संजय ने पहला रिकॉर्ड टाटा नैनो को दुनिया की सबसे ऊंची मोटरेबल रोड तक चला कर ले जाने का बनाया। रिकॉड्र्स और ड्राइविंग के पैशन के चलते वे मिले और रिकॉर्ड बनाने का जुनून आगे बढ़ निकला। आज उनके 12 कॉमन लिम्का रिकॉड्र्स हैं।
ग्रेट फायर ऐक्ट और आंचल

कुछ खतरनाक करने का जुनून आंचल कुमावत को रिकॉड्र्स की ओर लेकर गया। जादू उनके पिता की हॉबी थी मगर आंचल ने इसे ही प्रोफेशन बना लिया। बताती हैं आंचल, 'मैं मैजिशियन हूं। पांच साल की भी नहीं थी कि मैंने मैजिक करना स्टार्ट कर दिया था। मैंने लगभग 10000 शोज़ किए हैं लेकिन मुझे हमेशा लगता कि कुछ ऐसा करूं जो काफी खतरनाक हो और लोगों की सांसें रुक जाएं। मुझे 100 फीट लंबी चेन से बांधा गया, उसमें 100 लॉक लगाकर लकड़ी के बॉक्स में पैक कर दिया गया और क्रेन से उठा कर सूखे घास के कुएं में डालकर आग लगा दी गई थी लेकिन मैं बाहर निकल आई।


समोसा और जलेबी
जब रितेश सोनी और उनकी युवा टीम ने दुनिया का सबसे बड़ा समोसा तैयार कर इंग्लैंड के ब्रॉडफोर्ड कॉलेज के छात्रों के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया और गिनीज़ बुक के लिए अपना दावा पेश कर दिया तो रिकॉड्र्स बनाने का युवाओं का जुनून फिर चर्चा में आ गया। इन स्कूली बच्चों का बनाया समोसा $करीब 180 सेमी लंबा, 175 सेमी चौड़ा और 35 मीटर ऊंचा है। इसका वज़न लगभग साढ़े तीन से चार क्विंटल आंका गया। मनीष प्रजापति और 10 युवाओं की टीम ने साढ़े सत्तर किलो की जलेबी बनाकर गिनीज़ बुक में नाम दर्ज कराया था।


रबरमैन जसप्रीत
प्लस टू के स्टूडेंट जसप्रीत सिंह कालरा ने भी अपनी गर्दन को 180 डिग्री और हाथों को 360 डिग्री तक घुमा कर रिकॉर्ड बनाया। लोग उन्हें रबर मैन कहते हैं। जुनून ने उन्हें लिम्का बुक ऑफ रिकॉड्र्स में जगह दिला दी है। जसप्रीत को रिकॉर्ड बनाने का जुनून तब सवार हुआ, जब उन्होंने डिस्कवरी चैनल पर जॉन स्मिथ को देखा। वे उनकी फ्लेक्सिबिलिटी देख कर दंग रह गए और खुद भी वैसा ही बनने की प्रैक्टिस करने लगे। उन्होंने रोज़ कई घंटे घर पर प्रैक्टिस की। कोई ट्रेनिंग नहीं ली। धीरे-धीरे वे सारे ऐक्ट करने लगे।


262 चटनियां और तीन घंटे

होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के असिस्टेंट प्रोफेसर है शेफ देवराज। जब होटल मैनेजमेंट की ट्रेनिंग कर रहे थे तो होटल के रेस्टोरेंट का नाम चटनी था और वहां कई तरह की चटनी परोसी जाती थी। तब से ही उन्हें रिकॉर्ड बनाने की धुन थी। वे बताते हैं, 'मैंने रिसर्च की और रिकॉर्ड के लिए 262 चटनियां तीन घंटे में बनाईं। मुझे अब रिकॉर्ड बनाने का पैशन हो गया है। अभी और भी कई रिकॉर्ड सामने आएंगे। तैयारी में बहुत समय और मेहनत लगती है।

दुनिया का चक्कर कार से
शुरू से ही कुछ अलग करने का डीएनए था हमारा। जब हमने कार से पूरी दुनिया का चक्कर लगाया तो वह अपने आप में अनोखा था। हमने 6 उपमहाद्वीपों के 50 देशों में 90,151 किलोमीटर गाड़ी चलाई, जिसमें कुल 453 दिन लगे। हमने आठ रिकॉर्ड बनाए हैं।रोड ट्रिप के दौरान ट्रिप से ज्यादा टाइम रिसर्च में लगता है। हर जगह के वीजा ऑरगेनाइज करेने पड़ते हैं। नेक्ट ईयर ड्राइव करके 20 लोगों के साथ लंदन जानें का प्लान है।


मैं हिल नहीं सकती थी और बॉक्स को भी चारों तर$फ से वेल्ड किया गया था और इन सबको तोड़ कर मैं कुछ ही सेकंड्स में आग से बाहर निकल आई। आज तक भारत में किसी पुरुष ने भी 100 फीट चेन के साथ ऐसा नहीं किया है। अब मैं 150 फीट चेन के साथ ऐक्ट करना चाहती हूं।


मज़ाक, धुन और रिकॉर्ड
एक दिन मज़ाक-मज़ाक में दोस्तों ने बोला कि तुम गर्दन घुमा कर दिखाओ। उस समय के बाद मैंने ट्राइ करना शुरू किया। $करीब दो महीने लगे। फिर मैंने ट्रेनिंग ली और गर्दन को 180 डिग्री घुमाना शुरू किया। जून में मैंने एक और रिकॉर्ड बनाया है, मोस्ट नंबर ऑफ पुशअप्स नहीं लगाए हैं। मैंने 62 पुशअप्स एक मिनट में लगाए। मैंने फ्लेक्सिबिलिटी के कई रिकॉर्डर्स के लिए अप्लाई किया है।

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