जीतनी है जि़ंदगी की हर रेस

उम्र बिलकुल मायने नहीं रखती जब आपमें टैलेंट की भरमार हो। आज का यूथ जानता है कि उसे प्रोफेशनल डिग्री लेने के साथ ही अपने पर्सनल टैलेंट को किस तरह से मैनेज करना है। मिलते हैं एक ऐसे ही स्टूडेंट टन्र्ड फोटोग्राफर एंड डायरेक्टर मंजि़ल श्रीवास्तव से-

By Babita kashyapEdited By: Publish:Thu, 03 Mar 2016 03:26 PM (IST) Updated:Thu, 03 Mar 2016 03:30 PM (IST)
जीतनी है जि़ंदगी की हर रेस

उम्र बिलकुल मायने नहीं रखती जब आपमें टैलेंट की भरमार हो। आज का यूथ जानता है कि उसे प्रोफेशनल डिग्री लेने के साथ ही अपने पर्सनल टैलेंट को किस तरह से मैनेज करना है। मिलते हैं एक ऐसे ही स्टूडेंट टन्र्ड फोटोग्राफर एंड डायरेक्टर मंजि़ल श्रीवास्तव से-

जर्नी ऑफ अ फिल्म डायरेक्टर

मैंने क्लासेज़ मैनेज कर डायरेक्शन का हर पहलू सीखा। अटेंडेंस के लिए परेशान भी होना पड़ा, पर मैं पूरी लगन के साथ अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए जुटा रहा। अब मैं इंडियन फिल्म्स एंड टेलीविज़न डायरेक्टर्स एसोसिएशन में रजिस्टर्ड डायरेक्टर हूं।

वॉन्ट टु एक्सप्लोर

अभी तो जर्नी स्टार्ट हुई है, इंटरनेशनल फिल्म डायरेक्शन में भी नाम कमाना है। मेरे साथ के कई स्टूडेंट्स बहुत टैलेंटेड हैं, पर वो अपने टैलेंट को एक्सप्लोर नहीं करते हैं। मैं अपनी शॉर्ट फिल्म्स में उन्हें मौ$के देता हूं।

सपोर्ट एट एव्री स्टेप

मेरे सपने को पूरा करने के लिए मेरी फेमिली, टीचर्स और फ्रेंड्स हर तरह से हेल्प करते हैं। जब भी मुझे किसी फिल्म शूट के लिए जाना हुआ, मेरे पेरेंट्स ने आगे बढ़कर मुझे प्रोत्साहित किया। मेरे हर दोस्त को मेरी शॉर्ट फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार रहता है।

डेडिकेटेड टु विन द रेस

सफलता तभी मिलती है जब कड़ी मेहनत और ईमानदारी से अपने लक्ष्य को पूरा करने की कोशिश की जाए। मुझे जब भी लगता है कि मैं हार रहा हूं तो ख़्ाुद से इतना कहता हूं- मैं जीता नहीं हूं, इसलिए रेस तो अभी बा$की है।

बी द लीडर

अगर आपमें कोई टैलेंट हो तो उसे कभी वेस्ट न होने दें। उसको हमेशा किसी पॉजि़टिव डायरेक्शन में ही लगाएं। आप भीड़ को फॉलो न करें, कुछ ऐसा करें कि भीड़ आपको फॉलो करे।

दीपाली पोरवाल

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