बीमारी में साथ न देने का गम

जब भी किसी को चिकन पॉक्स होता है या होने की खबर मैं सुनता हूं तो मन कसैला-सा हो जाता है। रोहन, तुम्हें याद है जब हम-तुम इंजीनियरिंग करने के दौरान हॉस्टल में रह रहे थे। तुम्हें चिकन पॉक्स हो गया था। तुम मेरे रूममेट थे। मैंने तुम्हारी सेवा-सुश्रुषा करने की बजाय, अपना बेड दूसरे कमरे में शिफ्ट करा ि

By Edited By: Publish:Thu, 17 Jul 2014 12:40 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jul 2014 12:44 PM (IST)
बीमारी में साथ न देने का गम

जब भी किसी को चिकन पॉक्स होता है या होने की खबर मैं सुनता हूं तो मन कसैला-सा हो जाता है। रोहन, तुम्हें याद है जब हम-तुम इंजीनियरिंग करने के दौरान हॉस्टल में रह रहे थे। तुम्हें चिकन पॉक्स हो गया था। तुम मेरे रूममेट थे। मैंने तुम्हारी सेवा-सुश्रुषा करने की बजाय, अपना बेड दूसरे कमरे में शिफ्ट करा लिया था। एक दिन तुम्हें बहुत तेज प्यास लगी थी। कमरे में पीने का पानी नहीं होने के कारण तुम पानी-पानी चिल्ला रहे थे। मेरे कमरे तक तुम्हारी आवाज स्पष्ट आ रही थी। तुम्हारी प्यास बुझाने की बजाय मैं मुंह घुमाकर सो गया। चिकन पॉक्स होने की वजह से मैं तुम्हें अपराधी-सा मानने लगा था। हर बात पर मैं तुम पर खीज उठता था। मुझे लगता था कि तुम्हारे आसपास भी अगर आया तो मुझे इन्फेक्शन हो जाएगा और मैं महीनों बिछावन पर पड़ा रहूंगा। पर अपने गलत व्यवहार के लिए मैं अकेला दोषी नहीं था। मॉम ने मुझे फोन पर सख्त हिदायतें दी थीं कि मैं तुम्हारे नजदीक न जाऊं। सोने और तुम्हारे साथ बैठने की तो दूर की बात है। मैं भी मॉम की बातों से सहमत हो गया था और तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव करने लगा। रोहन, तुम जहां भी हो, इसे पढ़कर मुझे माफ कर देना।

अक्षय

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