कुछ स्पाइसी हो जाए

चांदनी चौक में टहलते हुए जब अचानक से गर्मागर्म परांठों की ख़्ाुशबू आने लगती है, तब कोई भी ख़्ाुद को उस संकरी सी 'परांठे वाली गली' में जाने से रोक नहीं पाता है। 1650 में जब चांदनी चौक स्थापित किया गया था, तब वह चांदी के सामान के लिए जाना

By Babita kashyapEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2015 04:08 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2015 12:34 PM (IST)
कुछ स्पाइसी हो जाए

सर्दियां आते ही चटपटा और गर्मागर्म खाना खाने को दिल मचलने लगता है। गर्मियों और बारिश के मौसम में खानपान को लेकर बरती गईं सारी सावधानियां सर्दियों का मौसम शुरू होते ही कहीं छूमंतर होने लगती हैं। यूं तो दिल्ली हर तरह के खानपान के लिए मशहूर है, पर चांदनी चौक की 'परांठे वाली गलीÓ हर ईटिंग स्पॉट से चार $कदम आगे है। लोकल फूडीज़ एंड शॉपर्स के लिए तो यह जगह बेहद ख़्ाास है। शानदार माहौल वाले ईटिंग जॉइंट्स से हट कर हम आपके लिए लाए हैं परांठे वाली गली में मिलीं यंगस्टर आंचल का अनुभव यहां की कुछ ख़्ाास तसवीरों के साथ।

दिल्ली में रहते हों या चाहे बस घूमने आए हों, अगर आप चांदनी चौक की परांठे वाली गली न आए तो समझिए कि आपने बहुत कुछ मिस कर दिया हैÓ... ऐसा कहना था आंचल का, जब हमने उनसे यहां की ख़्ाासियत पूछी। जब हमने अपने कैमरे में उन्हें वहां का लाजवाब मिक्स वेज परांठा खाते हुए $कैद किया तो उसका स्वाद उनकी आंखों से ही टपक रहा था। उनके अलावा वहां मौज़ूद लोग भी किसी न किसी तरह से वहां के खाने की तारी$फ कर ही रहे थे।

इतिहास गवाह है

चांदनी चौक में टहलते हुए जब अचानक से गर्मागर्म परांठों की ख़्ाुशबू आने लगती है, तब कोई भी ख़्ाुद को उस संकरी सी 'परांठे वाली गली' में जाने से रोक नहीं पाता है। 1650 में जब चांदनी चौक स्थापित किया गया था, तब वह चांदी के सामान के लिए जाना जाता था। उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कभी वह परांठों के लिए वल्र्ड फेमस हो जाएगा। 1870 में परांठों की कुछ दुकानें वहां खुलने के साथ ही उस जगह की तकदीर बदलने लगी। 1911 में उस गली को 'परांठे वाली गलीÓ का नाम दे दिया गया।

परांठे ही परांठे

आलू, आलू-प्याज, गोभी और मिक्स वेज परांठे खाकर अगर आप बोर हो गए हों तो ट्राइ कीजिए ज़रा ट्विस्टेड परांठे। जी हां, इसके लिए रुख़्ा कीजिए परांठे वाली गली की तर$फ। नज़र डालिए परांठों के मेन्यू पर और हो जाइए उनके कायल। पारंपरिक आलू के परांठों के अलावा यहां हैं काजू परांठे, बादाम परांठे, मटर परांठे, मिक्स परांठे, रबड़ी परांठे, खोया परांठे, पालक परांठे... आदि। गर्मागर्म परांठों के साथ इमली की चटनी, मिक्स्ड वेज टेबल्स, अचार, एपल-बनाना की ख़्ाास चटनी भी सर्व की जाती हैं।

ख़्ाासियत का जवाब नहीं

कहा जाता है कि यू.के. के 'मेला रेस्टोरेंटÓ और मुंबई के 'ओन्ली परांठाÓ ग्रुप में पुरानी दिल्ली की इस संकरी गली के वातावरण को दिखाने की कोशिश की गई है। बॉलीवुड के गलियारों में भी इस गली के चर्चे होते रहते हैं। अभी तक यहां किसी भी मूवी की शूटिंग नहीं की गई है, पर कई मूवीज़ में इसका जि़क्र करने के साथ ही अलग लोकेशंस पर इसे फिल्माया गया है। एक्टर अक्षय कुमार का तो ख़्ाास लगाव है यहां से। बॉलीवुड में करियर बनाने से पहले वे अकसर ही यहां के परांठे खाया करते थे।

टेस्ट का कमाल

यहां के परांठों का स्वाद बाकी जगहों के परांठों से बिलकुल अलग होता है। जो भी एक बार खाता है, वह दोबारा ज़रूर आता है। इस गली के रेस्टोरेंट्स में खाली टेबल बमुश्किल ही मिलती है। कोई अपनी फेमिली के साथ यहां एंजॉय करने आता है तो कोई अपने फ्रेंड सर्कल के साथ। वहीं कुछ लव बड्र्स भी कॉर्नर टेबल में परांठों के साथ अपने प्यार की पींगें बढ़ाते नज़र आ जाते हैं। कुछ तो ऐसी दुकानेें भी हैं यहां जिन्हें अब फाउंडर्स की सिक्स्थ जेनरेशन चला रही हैं। बाबू राम परांठे वाले, पंडित गया प्रसाद शिवचरण और पंडित कन्हैयालाल दुर्गा प्रसाद की दुकानें उन्हीं में से हैं। वैसे अब ये सि$र्फ दुकानें नहीं हैं, बल्कि प्रॉपर ईटिंग जॉइंट्स हैं।

दीपाली पोरवाल

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