राष्ट्रगान जलसंरक्षण ::: जल नहीं तो कल नहीं का संदेश लेकर घर-घर जा रहीं अंकिता शर्मा

जल की कीमत क्या होती है, यह तब पता चलता है जब किसी के पास पीने को एक बूंद भी नहीं होता। प्यास से तड़प रहा व्यक्ति तब यही सोचता है, थोड़ा भी पानी जमा किया होता तो अभी इस तरह परेशान न होना पड़ता। राजधानी दिल्ली में गर्मी के मौसम में पानी के लिए कितनी मारामारी होती है, यह जगजाहिर है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जलसंरक्षण के लिए खुद जद्दोजहद कर रहे हैं, साथ ही लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे। ऐसी ही शख्सियत हैं बाबरपुर में रहने वाली दिल्ली हाई कोर्ट की अधिवक्ता अंकिता शर्मा, जो घर-घर जाकर 'जल नहीं तो कल नहीं' का संदेश देकर उन्हें जलसंरक्षण के लिए जागरूक कर रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Jan 2019 06:38 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jan 2019 06:38 PM (IST)
राष्ट्रगान जलसंरक्षण ::: जल नहीं तो कल नहीं का संदेश लेकर घर-घर जा रहीं अंकिता शर्मा
राष्ट्रगान जलसंरक्षण ::: जल नहीं तो कल नहीं का संदेश लेकर घर-घर जा रहीं अंकिता शर्मा

शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली : जल की कीमत क्या होती है, यह तब पता चलता है जब किसी के पास पीने को एक बूंद भी नहीं होता। प्यास से तड़प रहा व्यक्ति तब यही सोचता है, थोड़ा भी पानी जमा किया होता तो अभी इस तरह परेशान न होना पड़ता। राजधानी दिल्ली में गर्मी के मौसम में पानी के लिए कितनी मारामारी होती है, यह जगजाहिर है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जलसंरक्षण के लिए खुद जद्दोजहद कर रहे हैं, साथ ही लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे। ऐसी ही शख्सियत हैं बाबरपुर में रहने वाली दिल्ली हाई कोर्ट की अधिवक्ता अंकिता शर्मा, जो घर-घर जाकर 'जल नहीं तो कल नहीं' का संदेश देकर उन्हें जलसंरक्षण के लिए जागरूक कर रही हैं।

अंकिता ने कहा कि सभी जानते हैं एक व्यक्ति के लिए पानी कितना जरूरी होता है, लेकिन कभी लापरवाही तो कभी जानबूझकर उसे बर्बाद करने से बाज नहीं आते। चंद मिनटों में सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं। जल नहीं बचाया गया तो लोग अपना कल गंवा देंगे। भू-जल का स्तर जितनी तेजी से घट रहा है, ऐसी स्थिति में पानी की एक-एक बूंद बचाने की जरूरत है और यह जागरूकता से ही संभव है। उन्होंने कहा कि वह घर-घर जाकर जल संरक्षण के फायदे और नुकसान के बारे में बताती हैं। नुक्कड़ नाटक से करती हैं प्रेरित

अंकिता ने बताया कि उन्होंने मुखौटा नाम से एक ड्रामा सोसायटी बना रखी है। इससे कई लोग जुड़े हैं। वह दिल्ली के अलग-अलग हिस्सों में जाकर पानी से प्रेम विषय पर आधारित नुक्कड़ नाटक से लोगों को जागरूक करते हैं। उन्होंने कहा नुक्कड़ नाटक ज्यादा प्रभावी साबित हो रहा है। क्योंकि, लोग अक्सर जागरूकता भाषण एक कान से सुनते हैं और दूसरे से निकाल देते हैं। लेकिन, अगर कुछ देखते हैं तो वह जल्दी भूलते नहीं। यमुना के पानी को देखकर मुंह फेर लेते हैं लोग

अंकिता ने बताया कि उन्होंने यमुना के पानी को बोतल में बंद कर लोगों के घरों तक पहुंचाया तो हर एक ने मुंह फेर लिया। यमुना का पानी बहुत ज्यादा प्रदूषित हो चुका है और बदबू के कारण उसे पास में रखना भी मुश्किल है। वह 2007 में कॉलेज में थीं, उस वक्त वह यमुना बचाओ आंदोलन से जुड़ीं। यमुना बचाओ के सदस्य मनोज मिश्रा और तरुण भारत संघ के सदस्य राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर काम किया। कॉलेज के समय ही उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर यमुना के पानी को लोगों के घर पहुंचाया।

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