मोटापे की बीमारी से बचाव के लिए खेलकूद जरूरी

शहरीकरण की दौड़ में खेल के साधन सिमटते जा रहे हैं। इस कारण बच्चे खेलकूद से दूर हो रहे हैं और मोटपे की जद में आ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Aug 2018 10:42 PM (IST) Updated:Thu, 09 Aug 2018 10:42 PM (IST)
मोटापे की बीमारी से बचाव के लिए खेलकूद जरूरी
मोटापे की बीमारी से बचाव के लिए खेलकूद जरूरी

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली : शहरीकरण की दौड़ में खेल के साधन सिमटते जा रहे हैं। इस कारण बच्चे खेलकूद से दूर हो रहे हैं और उनका समय टीवी व सोशल मीडिया के सामने अधिक बीत रहा है। इसके अलावा खानपान में फास्ट फूड, जंक फूड व कोल्ड ड्रिंक्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इन दो कारणों से बच्चों में मोटापे की बीमारी बढ़ रही है। गंगाराम अस्पताल में बच्चों में मोटापे की समस्या पर आयोजित गोष्ठी में यह बात सामने आई। इस अस्पताल में किए गए शोध में यह भी पता चला कि निजी स्कूलों में पढ़ने वाले करीब 30 फीसद बच्चे मोटापे से पीड़ित हैं। इसलिए गोष्ठी के दौरान डॉक्टरों व खेल जगत से जुड़े लोगों ने मोटापे से बचाव के लिए खेलकूद को जरूरी बताया।

कार्यक्रम में पहुंचे क्रिकेटर गौतम गंभीर ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब वह स्कूल से घर आते थे तो क्रिकेट खेलने चले जाते थे और रात आठ बजे तक खेलते रहते थे। इसलिए शरीर में चर्बी बढ़ने का सवाल ही नहीं था। आजकल बच्चे टीवी के सामने चिपके रहते हैं। वे घर के बाहर खेलने नहीं जा पाते। उन्होंने बच्चों को बढ़-चढ़कर खेलकूद में हिस्सा लेने का संदेश दिया। भारतीय रेसर गौरव गिल ने भी खेलकूद को जरूरी बताया। कार्यक्रम में तबला वादक शारिक मुस्तफा भी मौजूद थे।

अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, मेटाबोलिक एंड बेरियट्रिक सर्जरी के उपाध्यक्ष डॉ. विवेक बिंदल ने कहा कि आठ स्कूलों के करीब एक हजार बच्चों पर अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया है कि 30 फीसद बच्चे मोटापे से ग्रस्त थे। उनको मधुमेह व ब्लड प्रेशर होने की आशंका थी। उन्हें भविष्य में ठीक से नींद नहीं आने की परेशानी भी हो सकती है।

स्कूलों में भी जागरूकता का अभाव

आम लोगों के साथ-साथ स्कूल भी मोटापे के प्रति ज्यादा सजग नहीं हैं। अध्ययन में पाया गया कि स्कूलों की कैंटीन में उच्च कैलोरी वाले पेय पदार्थ उपलब्ध होते हैं। इसके अलावा कैंटीन में कई बार गर्म किए गए तेल का इस्तेमाल स्नैक्स इत्यादि में किया जाता है। इस तेल में ट्रांस फैट ज्यादा होता है।

मोटापे की सर्जरी कराने वाले 23 फीसद बचपन से थे मोटे

डॉ. विवेक बिंदल ने कहा कि आठ सालों में अस्पताल में 1078 लोगों की सर्जरी मोटापा कम करने के लिए की गई। उनपर हुए अध्ययन में पता चला कि उनमें से 23 फीसद लोग बचपन से मोटापे से ग्रस्त थे। मोटापे की सर्जरी कराने वालों में 11.41 फीसद (123) मरीजों की उम्र 15-21 वर्ष के बीच थी, जो मधुमेह व ब्लड प्रेशर की बीमारी से पीड़ित थे।

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