दिल्ली को नहीं मिली राहत, MCD कर्मियों में दो फाड़

दिल्ली के तीनों नगर निगमों के सफाईकर्मियों ने सोमवार को हड़ताल खत्म करने का एलान किया था, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारी यूनियन में आंदोलन को लेकर दो फाड़ हो गए। आंदोलनकर्मियों ने एक धड़ा सफाई करने नहीं उतरा। इस तरह कुछ कर्मचारी यूनियन अभी भी वेतन की मांग को लेकर

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 08 Feb 2016 12:09 PM (IST) Updated:Tue, 09 Feb 2016 06:10 PM (IST)
दिल्ली को नहीं मिली राहत, MCD कर्मियों में दो फाड़

नई दिल्ली। दिल्ली में कामबंद हड़ताल को लेकर निगम कर्मचारियों में फूट पड़ गई है। कर्मचारी संगठनों के एक मोर्चे ने दो दिन के लिए आंदोलन वापस ले लिया है। जबकि, कर्मचारियों का एक अन्य मोर्चा हड़ताल करने पर अड़ा हुआ है।

आक्रोशित आंदोलनकारियों का कहना है कि वेतन मिलने के बाद ही वो काम पर लौंटेगे। लेकिन कुछ कर्मी अपने काम पर लौट आए हैं। उधर, निगमकर्मियों ने बताया कि अधिकांश लोगों को जनवरी की तनख्वाह नहीं मिली है।

एमसीडी की हड़ताल को लेकर दिल्ली में सियासी समीकरण भी देखने को मिल रहे हैं। मंगलवार को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस दफ्तर से लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के निवास तक विरोध मार्च किया। मार्च को दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।

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मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी व न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ को तीनों निगमों की तरफ से बताया गया कि उन्हें पांच फरवरी को तनख्वाह मिल गई थी, लेकिन हड़ताल के चलते कुछ जोनल दफ्तर बंद होने के कारण कर्मचारियों तक उनका वेतन नहीं पहुंचा सका। दो दिनों के भीतर सभी को तनख्वाह मिल जाएगी।

कर्मचारी यूनियन की तरफ से अदालत को बताया गया कि यह सभी समस्याएं तीन निगम बनाने के कारण उत्पन्न हुई है। तीन निगम बनने से खर्चे तो बढ़ गए, लेकिन अनुपात में बजट नहीं बढ़ाया गया। लिहाजा, याचिका लगाकर अदालत से अपील की गई कि दोबारा से तीनों निगमों को एक किया जाना चाहिए।

अदालत बिरेंद्र सांगवान की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया था कि निगम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते उनके इलाके में कूड़ा इकट्ठा हो गया है और लोगों को परेशानी हो रही है। निगमों ने अदालत को बताया था कि जनवरी तक कर्मचारियों की तनख्वाह दी जा चुकी है। इस पर हाई कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यदि कर्मचारियों को उनका वेतन मिल गया तो वह बिना कारण शहर को बंधक बनाकर नही रख सकते हैं।

खंडपीठ ने दिल्ली सरकार से पूछा था कि काम पर नहीं लौटने वाले कर्मचारियों के खिलाफ क्यों न एस्मा लगाया जाए। दिल्ली सरकार ने कहा कि एस्मा को वर्ष 2015 में ही रद कर दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि हरियाणा का एस्मा दिल्ली सरकार की जद में आता है। मामले की अगली सुनवाई 10 फरवरी को होगी। इसी दिन अदालत कर्मचारियों के अन्य बकाया और तीनों निगमों को दोबारा एक किए जाने के लिए कर्मचारी यूनियन द्वारा लगाई गई ताजा याचिका पर भी सुनवाई करेगी।

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