जमीन के लिए केजरी-नजीब में जंग के लिए नई पटकथा तैयार - पढ़े खबर

दिल्ली की हुकूमत की लड़ाई अब जमीन पर उतरने वाली है। दिल्ली सरकार राजनीतिक दलो के लिए जमीन आवंटन की नई नीति बना रही है। दिल्ली मंत्रिमंडल ने नई नीति की रूपरेखा तय करने संबंधी एक प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है।

By Edited By: Publish:Thu, 08 Oct 2015 08:57 PM (IST) Updated:Fri, 09 Oct 2015 04:50 PM (IST)
जमीन के लिए केजरी-नजीब में जंग के लिए नई पटकथा तैयार - पढ़े खबर

नई दिल्ली । दिल्ली की हुकूमत की लड़ाई अब जमीन पर उतरने वाली है। दिल्ली सरकार राजनीतिक दलो के लिए जमीन आवंटन की नई नीति बना रही है। दिल्ली मंत्रिमंडल ने नई नीति की रूपरेखा तय करने संबंधी एक प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी है।

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सूबे की सरकार के इस फैसले से केद्र और आप सरकार के बीच तनातनी तय हो गई है। इसकी बड़ी वजह यह है कि दिल्ली मे जमीन पर केद्र सरकार का अधिकार है। ऐसे मे जमीन को लेकर कोई भी निर्णय उपराज्यपाल ही कर सकते है। जमीन के मामले मे केद्र का हक होने की वजह से ही अब तक राजनीतिक दलो को जमीन आवंटित करने का काम केद्रीय शहरी विकास मंत्रालय करता रहा है।

दिल्ली सरकार को अपनी नई नीति अभी बनानी है। इसके प्रावधानो का खुलासा होना अभी बाकी है, लेकिन यह माना जा रहा है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के इस फैसले को उपराज्यपाल और केद्र की मंजूरी मिलना मुश्किल है। उच्चपदस्थ सूत्रो ने कहा कि दिल्ली मंत्रिमंडल ने ऐसे दो फैसले किए है, जिनको लेकर टकराव बढ़ने के आसार है।

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जमीन के मामले मे उसका कोई भी अधिकार नही है फिर भी वह इसके आवंटन का हक हासिल करना चाहती है। दूसरी ओर उसने दिल्ली पुलिस की शिकायतो को सुनने के लिए अलग से प्राधिकरण बनाने का फैसला किया है। सवाल यह है कि यदि दिल्ली सरकार द्वारा गठित इस प्राधिकरण के पास शिकायते आती भी है तो दिल्ली सरकार उस पर क्या कार्रवाई करेगी। यदि दिल्ली पुलिस दिल्ली सरकार के अधीन होती तो निश्चित रूप से इसका फायदा होता, लेकिन ऐसा है नही।

सूत्रो की माने तो राजनीतिक दलो को जमीन के आवंटन का हक हासिल करने के पीछे सूबे की सरकार की दलील यह है कि जमीन के आवंटन का हक उसका है। लिहाजा, किसे जमीन दी जानी चाहिए, इसका फैसला करने का उसे पूरा अधिकार है।

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