दिल्ली में हरियाणा सरकार के खिलाफ क्यों धरने पर बैठे हैं गूंगा पहलवान, जानें- पूरा मामला

पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित वीरेंद्र के भाई रामबीर सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार डेफलिम्पिक्स विजेताओं को सम्मान दे रही है वहीं दूसरी ओर हरियाणा सरकार विजेताओं को घोषणा की गई पूरी राशि नहीं दे रही है।

By Jp YadavEdited By: Publish:Thu, 11 Nov 2021 08:26 AM (IST) Updated:Thu, 11 Nov 2021 08:26 AM (IST)
दिल्ली में हरियाणा सरकार के खिलाफ क्यों धरने पर बैठे हैं गूंगा पहलवान, जानें- पूरा मामला
दिल्ली में हरियाणा सरकार के खिलाफ क्यों धरने पर बैठे हैं पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित गूंगा पहलवान, जानें- पूरा मामला

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। हरियाणा के गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर डेफलिम्पिक्स पद विजेता वीरेंद्र सिंह दिल्ली स्थित हरियाणा भवन के बाहर बुधवार को राज्य सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ गए। एक दिन पहले ही मंगलवार को उन्हें राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने खेल में योगदान के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। वीरेंद्र के भाई रामबीर सिंह का कहना है कि केंद्र सरकार डेफलिम्पिक्स विजेताओं को सम्मान दे रही है, वहीं दूसरी ओर हरियाणा सरकार विजेताओं को घोषणा की गई पूरी राशि नहीं दे रही है। न ही उनके भाई वीरेंद्र सिंह को ए ग्रेड की नौकरी दे रही है।

उधर, हरियाणा के मुख्यमंत्री ने पद्मश्री मिलने के बाद वीरेंद्र को बधाई भी दी थी, जिसके बाद वीरेंद्र ने मुख्यमंत्री को ट्वीट कर अपनी परेशानी के बारे में भी बताया था। वहीं, हरियाणा सरकार के आश्वासन के बाद गूंगा पहलवान ने अपना धरना खत्म कर दिया है। गुरुवार को गूंगा पहलवान खेल निदेशक पंकज नैन से मुलाकात करेंगे। खेल निदेशक ने उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा कमेटी गठित करने की जानकारी दी तो वह धरना खत्म करने को तैयार हो गए।

झज्जर जिले के सासरोली गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह एक डेफलिम्पिक्स खिलाड़ी हैं। वह देश में गूंगा पहलवान के नाम से मशहूर हैं। उन्हें वर्ष 2005, 2009, 2013 और 2017 के डेफलिम्पिक्स में तीन गोल्ड और एक कास्य पदक मिले हैं। इसके अलावा वह हरियाणा और अन्य राज्यों में जाकर खिलाडि़यों को फ्री स्टाइल रेसलिंग सिखाते हैं। भाई राजबीर ने बताया कि उनके भाई के गोल्ड मेडल जीतने के बाद हरियाणा सरकार ने छह करोड़ रुपये देने और ए ग्रेड की नौकरी देने की घोषणा की थी, लेकिन घोषणा के बाद से अब तक केवल एक करोड़ 20 लाख रुपये ही दिए हैं और सी ग्रेड की नौकरी दी है। वीरेंद्र इन दिनों करनाल के भीम स्टेडियम में जूनियर कोच के पद पर काम करते हैं।

गूंगा पहलवान की मांग पर होगा विचार

हरियाणा के खेल निदेशक पंकज नैन ने बताया कि हरियाणा सरकार की खेल पालिसी के तहत दो पहलू हैं। पहला यह कि नौकरी देना और दूसरा कैश अवार्ड। ओ¨लपिक व पैरा¨लपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर छह करोड़ रुपये का कैश अवार्ड मिलता है। डेफ ओ¨लपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर कैश अवार्ड की राशि एक करोड़ 20 लाख रुपये है, जोकि पूरे देश में सबसे ज्यादा है। केंद्र सरकार इसमें 75 लाख रुपये देती है। इस पालिसी के मुताबिक गूंगा पहलवान को पूरी राशि एक करोड़ 20 लाख रुपये दिए जा चुके हैं। नौकरी की जहां तक बात है, पैरा¨लपिक व डेफ ओ¨लपिक में गोल्ड मेडल जीतने पर द्वितीय श्रेणी की नौकरी देने का प्रविधान हैं।

गूंगा पहलवान की मांग है कि डेफ को भी पैरालिंपिक के मुताबिक दर्जा दिया जाना चाहिए। उनकी डिमांड को देखते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक कमेटी बनाने के निर्देश दिए हैं, जिसमें ओ¨लपिक, पैरालिंपिक और डेफ ओलिंपिक खेलने वालों को शामिल किया जाए। यह कमेटी जो भी सिफारिश करेगी, उसके मुताबिक फैसला लिया जाएगा। गूंगा पहलवान फिलहाल हरियाणा सरकार के खेल विभाग में कोच की नौकरी कर रहे हैं।

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