वेरिएंट आफ कंसर्न में कारगर पाई गई वैक्सीन, जानिए डॉक्टरों पर किए गए अध्ययन का क्या निकला निष्कर्ष
अध्ययन में वैक्सीन वेरिएंट आफ कंसर्न (वायरस का तेजी से फैलने वाला स्वरूप) के खिलाफ़ कारगर पाई गई है। साथ ही मरीज़ को गंभीर बीमारी अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु से सुरक्षित रखती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा वैरिएंट आफ कंसर्न नाम दिया गया है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। टीकाकरण के बाद कोरोना वायरस के नए आक्रामक स्वरूप वैरिएंट आफ कंसर्न से संक्रमित हुए लोगों पर भी वैक्सीन असरदार है। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वैरिएंट आफ कंसर्न को अधिक घातक बताते हुए इस पर चिंता जताई थी। अपोलो द्वारा इस अध्ययन में वेरिएंट आफ कंसर्न से संक्रमित 69 स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया। इनमें से सिर्फ दो मरोजों को ही अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी। अध्ययन में यह भी पाया गया कि स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण से पहले हुए संक्रमण में मरीज़ों को आइसीयू में भर्ती करना पड़ा था और इन मामलों में मौतों की संख्या भी अधिक थी। इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल में काम करने वाले 69 स्वास्थ्यकर्मियों जिन्हें कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद 100 दिनों के अंदर संक्रमित पाया गया था उन पर अध्ययन हुआ।
राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के सहयोग से किए गए इस अध्ययन में जीनोम सीक्वेंसिंग से वायरस के स्वरूप का पता लगाकर विश्लेषण किया गया। अपोलो अस्पताल समूह के चिकित्सा निदेशक डा अनुपम सिब्बल ने बताया कि 69 में से 51 लोगों (73.91 फीसद) को टीके की दोनों डोज़ दी जा चुकी थी और बाकी 18 (26.09 फीसद) को टीके की एक डोज दी गई थी। इसके बाद इनमें संक्रमण हुआ। प्राथमिक तौर पर 47.83 फीसद मरीजों में वेरिएंट (बी.1.617.2) पाया गया। वहीं, सिर्फ दो मामलों में मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा जो 2.89 फीसद रहा। इस अध्ययन से यह साबित होता है कि वायरस के आक्रामक व तेजी से फैलने वाले स्वरूप से संक्रमित होने के बावजूद टीकाकरण की वजह से स्वास्थ्यकर्मी गंभीर बीमारी से बच गए। अगर उन्हें टीका नहीं लगा होता तो उनमें बीमारी के गंभीर लक्षण हो सकते थे।
अध्ययन के मुख्य लेखकों में से एक हड्डी विभाग के डा राजू वैश्य ने बताया कि हमने पाया कि टीकाकरण के बाद सारस सीओवी-2 का संक्रमण बहुत कम संख्या में हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को हुआ। इनमें से ज़्यादातर मामलों में वैरिएंट आफ कंसर्न के बावजूद हल्के लक्षण पाए गए। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के बाद इम्युनिटी बनने में थोड़ा समय लगता है। इसलिए ज़रूरी है कि दूसरी डोज के बाद कम से कम दो सप्ताह तक अपना विशेष ध्यान रखें। साथ ही बचाव के सभी नियमों का पालन करें।