बेंगलुरु में 19 मार्च को होगी RSS प्रतिनिधि सभा की बैठक, भविष्य के रोडमैप को लेकर होगी चर्चा

संघ के मुताबिक कृषि कानून विरोधी तथा इस जैसे देश के विभिन्न हिस्सों के आंदोलन विपरित विचारधारा के लोगों के लिए अस्तित्व की लड़ाई जैसा है। इसलिए मौजूदा सरकार के खिलाफ तमाम भिन्नताओं के बावजूद सभी विपक्षी एक मंच पर आ खड़े हुए हैं।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Mon, 08 Mar 2021 08:30 PM (IST) Updated:Mon, 08 Mar 2021 08:30 PM (IST)
बेंगलुरु में 19 मार्च को होगी RSS प्रतिनिधि सभा की बैठक, भविष्य के रोडमैप को लेकर होगी चर्चा
कोरोना काल के अनुभवों से निकालेंगे भविष्य का रोडमैप

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कोरोना काल में मिले अनुभवों के आधार पर भविष्य का रोडमैप तैयार करेगा। संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक 19 व 20 मार्च को बेंगलुरु में होने जा रही है, जिसमें संगठन की तीन साल की गतिविधियों पर समग्र चिंतन के साथ आगे की कार्य योजना तैयार की जाएगी। संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के मुताबिक कोरोना काल में भले ही संघ की नियमित गतिविधियां प्रभावित हुई। कई महीनों तक दैनिक शाखाएं नहीं लगी। राष्ट्रीय स्तर तक की बैठकें स्थगित करनी पड़ी, लेकिन इस आपदा के दिनों में लोगों तक सहायता पहुंचाने में संघ के स्वयंसेवक स्थानीय स्तर पर काफी सक्रिय रहे हैं।

इसके चलते अन्य वर्ष की तुलना में इस काल में संघ से अपेक्षाकृत दो गुने नए लोगों का परिचय हुआ है। इस सेवा कार्य के लिए जमीनी स्तर पर स्वयंसेवकों का धार्मिक व सामाजिक संगठनों से तालमेल भी बना, जो पहले नहीं था।

इसी तरह संकट के समय में लोगों का रूझान भारतीय जीवन पद्धति की तरफ बढ़ा। काढ़ा और योग की तरफ लोग लौटे। इस कारण देश में कोरोना उतना नुकसान नहीं पहुंचा सका, जितना दूसरे मुल्कों में तबाही मचाई। इस काल में देशवासियों में प्रकृति को लेकर भी चिंता पैदा हुई। लाकडाउन में लोगों का परिवार के साथ काफी समय व्यतित हुआ, तो परिवार की अहमियत का अंदाजा हुआ। अब संघ इन नए लोगों के जुड़ाव और भारतीय जीवन पद्धति से उनके लगाव को स्थायी करने पर जोर देगा। इसके लिए बैठक में चर्चा होगी। हर वर्ष होने वाली यह बैठक हर तीसरे वर्ष नागपुर में होती है, लेकिन पहली बार है जब तीसरे वर्ष की यह बैठक नागपुर से बाहर होने जा रही है।

वैसे तो यह बैठक तीन दिनों की होती है, लेकिन कोरोना को देखते हुए यह दो दिनों की होगी। इसी तरह 1200-1300 प्रतिनिधियों की जगह इस बार इसमें बमुश्किल 500 लोगों की मौजूदगी रखी जाएगी। इस बार अनुषांगिक संगठनों के पदाधिकारियों को नहीं बुलाया गया है। केवल संघ के प्रांत व राष्ट्रीय पदाधिकारी ही मौजूद रहेंगे। बाकि लोगों को दो सत्रों में आनलाइन माध्यम से जोड़ा जाएगा। इस बैठक में सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी के उत्तराधिकारी के चुनाव के साथ सह सरकार्यवाह व कुछ राष्ट्रीय पदाधिकारियों के दायित्वों में बदलाव हो सकता है।

आंदोलन के जरिये अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे विरोधी

संघ के मुताबिक कृषि कानून विरोधी तथा इस जैसे देश के विभिन्न हिस्सों के आंदोलन विपरित विचारधारा के लोगों के लिए अस्तित्व की लड़ाई जैसा है। इसलिए मौजूदा सरकार के खिलाफ तमाम भिन्नताओं के बावजूद सभी विपक्षी एक मंच पर आ खड़े हुए हैं। उस विचारधारा की वैश्विक स्तर पर मौजूदगी के चलते उन्हें विदेशी मदद भी मिल रही है। हालांकि, यह ज्यादा दिन तक चलने वाला नहीं है। क्योंकि उनका जमीनी प्रभाव नहीं है। पदाधिकारी के मुताबिक पिछले 10 सालों में देश में एक राष्ट्रीय चेतना उत्पन्न हुई है, साथ ही केंद्र सरकार ने देश विरोधी गतिविधियों पर रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं, उससे इन विचारधारा के लोगों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। वरिष्ठ पदाधिकारी का साफ इशारा वामपंथ और कांग्रेस पार्टी की तरफ रहा।

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