ट्रैफिक कंट्रोल डिवाइस से कोहरे के कारण हर साल होने वाली मौतों पर लगेगी लगाम

ट्रैफिक कंट्रोल डिवाइस (टीसीडी) खराब दृश्यता की स्थिति में सबसे मददगार होती हैं। भारत में बहुतायत टीसीडी या तो मानक के अनुरूप नहीं हैं या फिर वे चालकों को मदद की जगह भ्रमित कर रही हैं। फुटपाथ के करीब वाहन चलाने की कोशिश करें और ओवरर्टेंकग से बचें।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 23 Nov 2020 01:10 PM (IST) Updated:Mon, 23 Nov 2020 01:10 PM (IST)
ट्रैफिक कंट्रोल डिवाइस से कोहरे के कारण हर साल होने वाली मौतों पर लगेगी लगाम
टीसीडी खराब दृश्यता की स्थिति में सबसे मददगार साबित होती हैं।

डॉ रोहित बालुजा। अध्ययन बताते हैं कि कोहरे के कारण हर साल होने वाले हादसे तेजी से बढ़ रहे हैं। हालांकि जो आंकड़े सामने आए हैं, उनकी वास्तविक तस्वीर कहीं अधिक स्याह हो सकती है। कोहरे के चलते औसतन हर साल 9,500 गंभीर हादसे होते हैं, लेकिन अनुमान के मुताबिक यह आंकड़ा 50 हजार से अधिक हो सकता है। मामूली चोट या संपत्ति के नुकसान संबंधी हादसों की संख्या लाख में हो सकती है। हवा में पानी की बूंदों के कारण धुंध पैदा होती है। इसके कारण दृश्यता कम हो जाती है। यानी, कम दूरी में भी चीजें स्पष्ट दिखाई नहीं देतीं। लेकिन, सबसे चिंता का विषय स्मॉग है, जो पूरे वातावरण को खतरनाक बना देता है।

स्मॉग का निर्माण राख या पार्टिकुलेट मैटर यानी पीएम से होता है। रसायन, मिट्टी, धुआं व धूल के बहुत छोटे कण गैस या ठोस रूप में हवा में घुल जाते हैं और इसी से पीएम का निर्माण होता है। इससे न सिर्फ दृश्यता खराब होती है, बल्कि वाहन चालकों का प्रदर्शन भी प्रभावित होता है। खासतौर पर दोपहिया वाहन चलाने वालों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक कंट्रोल डिवाइस (टीसीडी) खराब दृश्यता की स्थिति में सबसे मददगार साबित होती हैं। इनमें रोड मार्किंग, ट्रैफिक सिग्नल और यातायात निर्देश आदि शामिल हैं। भारत में बहुतायत टीसीडी को या तो मानक के अनुरूप समुचित तरीके से लगाया नहीं गया है अथवा मानकहीन या दोषपूर्ण टीसीडी वाहन चालकों की मदद में विफल तो रही ही हैं, उन्हें भ्रमित भी कर रही हैं।

कार, ऑटो, बस या ट्रक के चालक अगर कुछ बातों का ध्यान रखें तो कोहरा, धुंध या स्मॉग में भी हादसों पर बहुत हद तक अंकुश लगा सकते हैं। सबसे पहले शीशे (स्क्रीन ग्लास) पर ध्यान देने की जरूरत है। गाड़ी का शीशा ऐसा होना चाहिए, जो सामने की चीजों को साफ देखने में मदद करे। वाहन चलाने सेपहले यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके शीशे पर कोई स्क्रैच न हो और वाइपर ठीक से काम कर रहे हों। साथ ही वाइपर की टंकी में पानी पूरी तरह भरा हो। वाहन चालकों को अपने साथ हमेशा साफ कपड़ा रखना चाहिए, ताकि जरूरत के अनुरूप शीशे और रिव्यू मिरर को साफ किया जा सके। जाड़े के मौसम में जरूरत के अनुसार डिफॉगर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। स्क्रीन डिफॉगर गर्म हवा के जरिये शीशे को साफ करते हैं।

वाहन चालकों को दिन या रात किसी भी समय जब रौशनी की कमी हो लाइट जला लेनी चाहिए। हाई बीम का इस्तेमाल न करें। इससे रोशनी धुंध और कोहरे से टकराकर वापस लौटती है और यह न सिर्फ दृश्यता को प्रभावित करती है, बल्कि दूसरे वाहन चालकों के लिए भी असुविधा पैदा करती है। वाहन चालकों को कोहरा होने पर फॉग लाइट जरूर जला लेनी चाहिए। हालांकि, उन्हें खतरे की चेतावनी वाली लाइट नहीं जलानी चाहिए, जबतक कि वाहन खड़ा न हो या आप मुश्किल में न फंसें हों। वाहनों की रफ्तार भी धुंध और कोहरा के दौरान हादसों की बड़ी वजह है। चालकों को तय गति सीमा से कम रफ्तार में ही वाहन चलाना चाहिए। उन्हें आगे वाले वाहन से पर्याप्त दूरी भी रखनी चाहिए।

खड़े वाहनों और पैदल चलने वाले लोगों से टकराने से बचने के लिए ध्यानपूर्वक गाड़ी चलाएं। अगर दृश्यता काफी खराब हो तो वाहन चलाने से परहेज करें। अपने वाहन को मुख्य सड़क से दूर खड़ा करें और खतरे की चेतावनी वाली लाइट जरूर जला लें। सुरक्षा की लिहाज से बचाव सबसे बेहतर उपाय है। आने वाले दिनों में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा व हिमाचल प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत में सुबह व रात में कोहरा गहरा जाएगा। बेहतर तो यह होगा कि इस अवधि में यात्राओं से परहेज करें। जब आसमान में सूर्य दिखाई दे तब भी यात्राएं सीमित ही रखें।

[अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ रोड ट्रैफिक इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली]

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