दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को सुधारने के लिए फाइल से निकलकर योजनाओं को मिल रहा बूस्टर डोज, पढ़िए क्या है हालात?

आज प्राणवायु जहरीली हो चुकी है और प्राण लेने का कारण बन रही है। अब सर्दी के मौसम में ही देख लीजिए प्रदूषित हवा से सांस लेना मुश्किल है। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? इसका ठीकरा पराली पर भी नहीं फोड़ सकते क्योंकि अभी इसका सीजन नहीं है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Thu, 27 Jan 2022 03:45 PM (IST) Updated:Thu, 27 Jan 2022 03:45 PM (IST)
दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा को सुधारने के लिए फाइल से निकलकर योजनाओं को मिल रहा बूस्टर डोज, पढ़िए क्या है हालात?
हम अभी भी नहीं चेते तो सर्दी, गर्मी छोड़िए, प्रदूषण बरसात में भी सांस नहीं लेने देगा।

नई दिल्ली, जागरण टीम। वायु हमारे लिए प्राणवायु है। इसके बगैर मनुष्य क्या, कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता। लेकिन हमने अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक संसाधनों का इतना अधिक दोहन किया है कि आज प्राणवायु जहरीली हो चुकी है और प्राण लेने का कारण बन रही है। अब सर्दी के मौसम में ही देख लीजिए, प्रदूषित हवा से सांस लेना मुश्किल है। इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? इसका ठीकरा पराली पर भी नहीं फोड़ सकते क्योंकि अभी इसका सीजन नहीं है। अगर हम अभी भी नहीं चेते तो सर्दी, गर्मी छोड़िए, प्रदूषण बरसात में भी सांस नहीं लेने देगा।

आज लाकडाउन जैसे हालात बनते हैं तो आगे चलकर पूर्ण लाकडाउन की स्थिति बनेगी। ऐसे में सवाल एक ही है कि हम पर्यावरण के साथ जो अन्याय कर सकते थे, कर चुके, अब प्रायश्चित में क्या कर रहे हैं? क्या हम आबोहवा को सुधारने के लिए योजनाओं को फाइल से निकालकर पर्यावरण को बूस्टर डोज दे रहे हैं? आज दिल्ली, गाजियाबाद व अन्य शहर प्रदूषण की चिंता पर चेते जरूर हैं और ई-बस की पहल हुई है।

लेकिन, अभी भी जरूरत इस बात की है कि अन्य जो भी योजनाएं फाइलों में कैद हैं, उन पर तेजी से अमल किया जाए। एक और अहम पहलू जब हम दिल्ली-एनसीआर के लिए विकास योजनाएं समग्र रूप में बना सकते हैं तो शुद्ध हवा की खातिर सभी शहर मिलकर भागीदारी क्यों नहीं निभाते? प्रदूषण नियंत्रण की समग्र नीति क्यों नहीं बनती? सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जनता कब इस दिशा में पहल करेंगे, इसकी पड़ताल करना भी जरूरी है।

दिल्ली-एनसीआर के शहर प्रदूषण के मामले में देशभर में टाप 10 की सूची में अक्सर ही शामिल रहते हैं। बीते सप्ताह से यहां के शहरों की हवा खराब से बेहद खराब श्रेणी में है। बावजूद इसके गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद जैसे शहरों में प्रदूषण दूर करने के पर्याप्त प्रयास नहीं किए गए। इससे संबंधित विभागों की सक्रियता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां के शहरों में प्रदूषण की जो स्थिति है, उसे देखते हुए जरूरी है कि सभी विभाग समग्र योजना बनाकर उस पर अमल करें।

गाजियाबाद-गौतमबुद्ध नगर में वायु प्रदूषण रोकने की जद्दोजहद ग्रेप लागू होने के बाद दोनों जिलों में डीजल जेनरेटर बंद कराए गए हैं। गाजियाबाद में पांच इलेक्टिक बसें चलाई गईं हैं। प्रदूषण फैलाने वाली फैक्टियों को वैकल्पिक दिन में खोला जा रहा है गाजियाबाद में। पराली और कूड़ा आदि जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए अफसर नामित। 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के खिलाफ कार्रवाई। 17 विभागों से वायु प्रदूषण की रोकथाम के अफसर नामित। कौशांबी डिपो के लिए सौ सीएनजी बसों की मांग की गई है गाजियाबाद में प्रदूषण करने वाली करीब 100 फैक्टियों को ध्वस्त किया गया, भारी वाहनों के नोएडा के रास्ते दिल्ली में प्रवेश पर लगाई गई पाबंदी नोएडा में एंटी स्माग टावर और एंटी स्माग गन लगाई गई।

दिल्ली में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ये कदम उठाए गए

पराली प्रबंधन: 4,200 एकड़ से अधिक क्षेत्र में संयुक्त हार्वेस्टर का उपयोग कर धूल-विरोधी अभियान चलाया गया।

एंटी डस्ट कैंपेन: निर्माण स्थलों के नियमित निरीक्षण के लिए 75 टीम गठित। 69 मैकेनिकल रोड स्वीपर मशीनों का किया जा रहा है उपयोग। सभी बड़े निर्माण स्थलों पर एंटी स्माग गन का उपयोग।

ग्रीन दिल्ली एप: एप का एक नया अपग्रेडेड वर्जन लांच किया गया है।

पटाखे: 31 दिसंबर 2021 तक पटाखों की बिक्री व इस्तेमाल पर रोक लगाई।

ग्रीन वार रूम: शिकागो विश्वविद्यालय और जीडीआइ पार्टनर्स के सहयोग से प्रोग्राम मैनेजमेंट टीम का गठन। विशेषज्ञों और युवा पेशेवरों के लिए ग्रीन फेलोशिप। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) में होगी 50 नए पर्यावरण इंजीनियरों की भर्ती।

स्माग टावर: दो वर्ष तक कनाट प्लेस में लगाए गए स्माग टावर का गहन मूल्यांकन करेंगे विशेषज्ञ।

खुले में कचरा जलाना: 250 टीम दिन रात निगरानी कर रही हैं।

ई वेस्ट पार्क: देश का पहला ई-वेस्ट पार्क 20 एकड़ में दिल्ली में बनेगा। ई-कचरे से होने वाले प्रदूषण को फैलने से रोकेगा।

हाट स्पाट: ग्रीन दिल्ली एप और अन्य आंकड़ों के आधार पर हाट स्पाट क्षेत्रों की पुन: पहचान कर विशेष टीमें इन क्षेत्रों की निगरानी कर रही हैं।

वाहन प्रदूषण: पीयूसी सर्टिफिकेट जांचने के लिए 500 कर्मियों की तैनाती। 10 साल से ज्यादा पुराने पेट्रोल और 15 साल से ज्यादा पुराने डीजल के वाहनों को स्क्रैप करने का अभियान जारी।

फरीदाबाद दिसंबर में सभी प्रकार के निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी गई थी कोयला आधारित उद्योगों को चलाने पर पाबंदी लगा दी गई थी जेनरेटर चलाने पर अभी भी रोक है, सड़कों पर मशीनों से सफाई की जा रही है।

गुरुग्राम-फरीदाबाद में नियम बनें, लागू नहीं हुए यातायात जाम न होने देने पर खास जोर दिया गया। सड़कों को कब्जा मुक्त रखने के आदेश दिए गए। प्रशासन ने वायु प्रदूषण करने के लिए फाइलों में सभी नियम बनाए, पालन नहीं हुआ।

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