दावे के विपरीत तीन साल में सिर्फ तीन स्कूल बना पाई केजरीवाल सरकार

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने देश के अन्य राज्यों व दिल्ली में भाजपा शासित तीनों नगर निगमों को खुली चुनौती भी दे दी कि वह दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तरह अपने स्कूलों को बनाकर दिखाएं। लेकिन हकीकत कुछ और है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sat, 02 Dec 2017 12:30 PM (IST) Updated:Sun, 03 Dec 2017 07:16 AM (IST)
दावे के विपरीत तीन साल में सिर्फ तीन स्कूल बना पाई केजरीवाल सरकार
दावे के विपरीत तीन साल में सिर्फ तीन स्कूल बना पाई केजरीवाल सरकार

नई दिल्ली [ आशुतोष झा ]। दिल्ली में केजरीवाल सरकार का कार्यकाल तीन महीने बाद तीन वर्ष पूरे हो जाएंगे। इस कार्यकाल में दिल्ली सरकार का दावा है कि सबसे अधिक शिक्षा क्षेत्र में व्यापक सुधार हुए हैं।

शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने देश के अन्य राज्यों व दिल्ली में भाजपा शासित तीनों नगर निगमों को खुली चुनौती भी दे दी कि वह दिल्ली के सरकारी स्कूलों की तरह अपने स्कूलों को बनाकर दिखाएं। लेकिन हकीकत कुछ और है।

नए सरकारी स्कूलों का निर्माण, हजारों नए कमरे तैयार करने का दावा, शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने की योजना आदि लंबे चौड़े दावे से इतर सच्चाई यह है कि केजरीवाल सरकार के तकरीबन तीन साल के कार्यकाल में सिर्फ तीन नए स्कूल का निर्माण कार्य लोक निर्माण विभाग ने किया है।

शायद यही कारण है कि इन दिनों शहर में बड़े-बड़े होर्डिंग, पोस्टरों के जरिए यह प्रचार किया जा रहा है कि दिल्ली सरकार ने स्कूलों में 5695 नए कमरे बनाए हैं। नए स्कूल के निर्माण को बढ़ा-चढ़ाकर बताने से सरकार बच रही है।

गत 16 अक्टूबर को सुभाष विहार में रहने वाले पंकज जैन ने सूचना के अधिकार के तहत दिल्ली सरकार के सत्ता में आने से अब तक कितने नए स्कूल खोले हैं ? पुराने स्कूलों में नए कमरे बनवाने व मरम्मत करने में कितना खर्च हुआ ? यह जानकारी मांगी।

लोक निर्माण विभाग (दक्षिण) के सहायक जन सूचना अधिकारी ने 14 नवंबर को उक्त सवालों के जवाब में बताया कि कुल तीन नए स्कूल बनाए गए हैं। अभी तक पुराने स्कूलों में नए कमरे बनाने में 383 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।

मालूम हो कि केजरीवाल सरकार ने अभी तक पेश बजट में शिक्षा मद में सबसे अधिक धन आवंटित किया हैं। लेकिन गत दो वर्षों के दौरान आवंटित बजट में से सरकार तकरीबन दो हजार करोड़ रुपये भी खर्च नहीं कर पाई।

यह हाल तब है जब शिक्षा नीति को बताने के लिए सरकार ने सर्वाधिक प्रचार प्रसार के जरिए को अपनाया। पिछले दिनों दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली शिक्षा के बजट पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय माकन ने भी आरोप लगाया है कि कहा कि सरकार हमेशा यह तो दावा करती है कि उन्होंने शिक्षा पर बजट में रिकार्ड बढ़ोतरी की है।

लेकिन वह यह नहीं बताती कि शिक्षा के बजट में से कितना खर्च किया है या कितना पैसा खर्च नहीं हुआ। गत दो वर्ष में शिक्षा के बजट में से 1982 करोड़ रुपया लैप्स हुआ है।

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