उपहार कांडः पीड़ितों को शक 'देश छोड़ सकते हैं अंसल बंधु', SC में सुनवाई आज

18 साल पुराने चर्चित उपहार सिनेमा अग्निकांड केस में सुप्रीम कोर्ट सीबीआई और पीड़ितों पुनर्विचार याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगा।

By JP YadavEdited By: Publish:Tue, 06 Dec 2016 10:30 AM (IST) Updated:Tue, 06 Dec 2016 10:48 AM (IST)
उपहार कांडः पीड़ितों को शक 'देश छोड़ सकते हैं अंसल बंधु', SC में सुनवाई आज

नई दिल्ली (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को उपहार सिनेमा अग्निकांड के पीड़ितों की उस याचिका पर विचार करेगा, जिसमें अंसल बंधुओं को विदेश जाने से रोकने की मांग की गई है। पीड़ितों की संस्था ने अंदेशा जताया है कि सुशील और गोपाल अंसल भारत छोड़ कर जा सकते हैं।

उनकी मांग है कि जब तक इस मामले में उनकी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तब तक अंसल बंधुओं को विदेश जाने से रोक दिया जाए। 13 जून, 1997 को ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में लगी आग के हादसे से 59 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे।

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था। उद्योगपति अंसल बंधुओं को उस समय बड़ी राहत मिली थी जब सुप्रीम कोर्ट ने 1997 के उपहार सिनेमा अग्निकांड मामले में उन्हें तीन महीने के भीतर 30-30 करोड़ का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया था।

उपहार कांड में कब-क्या हुआ

13 जून 1997- उपहार सिनेमा में बार्डर फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई।

22 जुलाई 1997- पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया।

24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआइ को सौंपी गई।

15 नवंबर 1997- सीबीआइ ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की।

10 मार्च 1999- सेशन कोर्ट में केस का ट्रायल शुरू हुआ।

27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।

23 मई 2001- गवाहों की गवाही का दौर शुरू हुआ।

4 अप्रैल 2002- दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत को मामले का जल्द निपटारा करने का आदेश दिया।

27 जनवरी 2003- अदालत ने अंसल बंधुओं की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने उपहार सिनेमा को वापस उसे सौंपे जाने की मांग की थी। अदालत ने कहा कि यह केस का अहम सबूत है और मामले के निपटारे तक सौंपा नहीं जाएगा।

24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपये का मुआवजा पीड़ितों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया।

4 सितंबर 2004- अदालत ने आरोपियों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की।

5 नवंबर 2005- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही शुरू हुई।

2 अगस्त 2006- बचाव पक्ष के गवाहों की गवाही पूरी।

9 अगस्त 2006- सेशन कोर्ट जज ममता सहगल ने उपहार सिनेमा का निरीक्षण किया।

14 फरवरी 2007- केस में अंतिम जिरह शुरू हुई।

21 अगस्त 2007- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मामले का जल्द निपटारा किए जाने की मांग की।

21 अगस्त 2007- सेशन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।

20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई।

4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली।

11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।

17 नवंबर 2008- दिल्ली हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।

30 जनवरी 2009- उपहार कांड पीड़ितों के संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट अंसल बंधुओं को नोटिस जारी किया।

31 जनवरी 2009- सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में भी अभियुक्तों की सजा को बढ़ाए जाने की मांग की।

17 अप्रैल 2013- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं, उपहार कांड पीड़ितों व सीबीआइ की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।

5 मार्च 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखा।

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