1984 anti Sikh riots : सीबीआइ ने कोर्ट में कहा- बर्बर अपराध के ‘सरगना’ थे सज्जन कुमार

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा था।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 08 Apr 2019 11:49 AM (IST) Updated:Tue, 09 Apr 2019 10:18 AM (IST)
1984 anti Sikh riots : सीबीआइ ने कोर्ट में कहा- बर्बर अपराध के ‘सरगना’ थे सज्जन कुमार
1984 anti Sikh riots : सीबीआइ ने कोर्ट में कहा- बर्बर अपराध के ‘सरगना’ थे सज्जन कुमार

नई दिल्ली, जेएनएन। 1984 anti Sikh riots: 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगों में उम्रकैद की सजा काट रहे सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 15 अप्रैल को तय की थी। सज्जन कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी हुई है, जिसमें हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में सिखों के कत्लेआम मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सज्जन कुमार की जमानत याचिका पर केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआइ) को नोटिस जारी कर 6 हफ्ते में जवाब मांगा था।

सीबीआइ ने 1984 के सिख विरोधी दंगे में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद और कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार की जमानत याचिका का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सिख नरसंहार बर्बर अपराध था और सज्जन कुमार उसके ‘सरगना’ थे। एजेंसी ने कहा कि कुमार को जमानत दिया जाना न्याय का मखौल होगा।
मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआइ की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता से सज्जन कुमार के खिलाफ लंबित दूसरे मुकदमे की स्थिति बताने को कहा और मामले की सुनवाई 15 अप्रैल तक के लिए टाल दी।

हाई कोर्ट ने दी है सजा
सज्जन कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली कैंट के राज नगर पार्ट - 1 में 1-2 नवंबर 1984 की रात पांच सिखों की हत्या और आगजनी के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार के अपराध को गंभीर मानते हुए उन्हें जीवन पर्यन्त जेल की सजा दी है। सज्जन कुमार ने दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश का पालन करते हुए गत 31 दिसंबर को सरेंडर कर दिया था। कुमार ने सजा के खिलाफ अपील दाखिल की है और अपील पर सुनवाई होने तक सजा निलंबित कर जमानत दिये जाने की भी मांग की है।

सोमवार को सजा निलंबन पर सुनवाई के दौरान सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कुमार को जमानत दिये जाने का जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि सिख नरसंहार बर्बर अपराध था कुमार उसके सरगना थे। उन्होंने कहा कि कुमार को जमानत दिया जाना न्याय का मखौल होगा क्योंकि उनके खिलाफ दिल्ली की पटियाला हाउस जिला अदालत में सिख दंगे का एक और मुकदमा लंबित है। मेहता ने कहा कि फिलहाल उस मुकदमें में अभियोजन पक्ष की गवाहियां चल रही हैं।

आरोप को हल्के में नहीं ले सकते
जब कुमार के वकील ने केस की मेरिट बताना शुरू किया तो कोर्ट ने कहा कि पता नहीं आप हमें केस के तथ्य क्यों बता रहे हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने दोषी ठहराया है ये कोई पुलिस के आरोप नहीं हैं। कोर्ट इसे हल्के में नहीं ले सकता।

गवाह ने पहले कुमार का नहीं लिया था नाम
इसके पहले सज्जन कुमार के वकील ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि इस मामले में मुख्य गवाह ने पहले जो चार बयान दिये थे उसमें सज्जन कुमार का नाम नहीं लिया था। कोर्ट ने पूछा कि कुमार कब से जेल में हैं। इस पर वकील ने कहा कि पिछले तीन महीने से ज्यादा समय से जेल में हैं। ट्रायल के दौरान वह लगातार अग्रिम जमानत पर रहे और उन्होंने कभी भी जमानत शर्तो का उल्लंघन नहीं किया। अग्रिम जमानत के समय की परिस्थितियों पर मेहता ने कहा कि जब सीबीआइ टीम जांच के लिए इनके घर गई तो वहां उग्र भीड़ मौजूद थी।

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़का था सिख विरोधी दंगा
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली और देश के अन्य इलाकों में सिख विरोधी दंगे हुए थे। दिल्ली कैंट में हुए दंगे के एक मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराते हुए हाईकोर्ट ने उपरोक्त सजा दी है। दोषी करार होने और सजा के बाद सज्जन कुमार ने कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।

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