जेएनयू में स्टार्टअप कंपनी तैयार करने की कवायद तेज, दस हजार गज में स्थापित होगा केंद्र
प्रोफेसर चतुर्वेदी ने कहा कि जेएनयू परिसर में दस हजार गज में एक पूरा केंद्र स्थापित किया गया है जहां पर स्टार्टअप कंपनियों का काम शुरू हो गया है।
नई दिल्ली [राहुल मानव]। जेएनयू में स्टार्टअप कंपनियों को शुरू करने की तैयारी तेज हो गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से छात्रों को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। विश्वद्यिालय ने अपनी स्टार्टअप नीति भी तैयार की है। एमए, पीएचडी के छात्रों के पास अच्छा अवसर है कि वह अपने आइडिया को या अपने किसी अच्छे शोध को आगे बढ़ाते हुए स्टार्टअप कंपनी शुरू कर सकते हैं। जिन प्रोफेसर एवं शिक्षकों के पास भी कोई आइडिया है तो वह भी स्टार्टअप कंपनी शुरू करने के आवेदन दे सकते हैं। छात्रों एवं शिक्षकों की ओर से अब तक दस आवेदन जेएनयू प्रशासन को मिले हैं।
दस हजार गज में तैयार किया गया केंद्र
जेएनयू कुलपति प्रो एम. जगदीश कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय की ओर से छात्रों को प्रोत्साहित करने की दिशा में इंटीग्रेटेड क्लस्टर शुरू किया गया है। प्रोफेसर चतुर्वेदी ने कहा कि जेएनयू परिसर में दस हजार गज में एक पूरा केंद्र स्थापित किया गया है जहां पर स्टार्टअप कंपनियों का काम शुरू हो गया है।
आइआइटी दिल्ली के छात्रों और एम्स विशेषज्ञों से ले सकेंगे मदद
कुलपति ने बताया कि जेएनयू के कई एमओयू आइआइटी दिल्ली और एम्स के साथ पहले भी हो चुके हैं। उसी के ही अनुरूप छात्रों एवं शिक्षकों को ऐसा प्लेटफॉर्म मिलेगा कि वह दोनों प्रतिष्ठित संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद भी ले सकते हैं।
तीन कंपनी की सिफारिश हुई मंजूर
जेएनयू के अनुसंधान एवं विकास विभाग के निदेशक प्रो. रुपेश चतुर्वेदी ने बताया कि तीन कंपनियों को तैयार करने की सिफारिश की गई है। इनमें पहली कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर तैयार हो रही है। दूसरी कंपनी ड्रग डिस्कवरी पर तैयार हो रही है और तीसरी कंपनी नैनो पार्टिकल पर तैयार हो रही है। ड्रग डिस्कवरी एवं नैनो पार्टिकल की कंपनियां देश के हेल्थ क्षेत्र में काफी उपयोगी साबित होंगी। इसके अलावा सात स्टार्ट कंपनियों की सिफारिशें भी जल्द दी जाएंगी।
हर कंपनी देगी 20 रोजगार
प्रो. चतुर्वेदी ने कहा कि तीन साल में कंपनियां तैयार हो जाएंगी। इसमें सभी दस कंपनियां शुरुआती चरण में 20-20 रोजगार देंगी। आगे चलकर इसकी संख्या बढ़ती जाएगी।