दिल्ली को जल्द मिलेंगे दो बायोगैस प्लांट, कई समस्याएं होंगी खत्म, जानें- क्या है खास

निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दो प्लांट की स्थापना से निगम की सबसे बड़ी समस्या इन इलाकों में नाली जाम होने के साथ सीवरेज लाइन खराब होने की समस्या खत्म हो जाएगी।

By Edited By: Publish:Sun, 19 Aug 2018 07:44 PM (IST) Updated:Sun, 19 Aug 2018 08:11 PM (IST)
दिल्ली को जल्द मिलेंगे दो बायोगैस प्लांट, कई समस्याएं होंगी खत्म, जानें- क्या है खास
दिल्ली को जल्द मिलेंगे दो बायोगैस प्लांट, कई समस्याएं होंगी खत्म, जानें- क्या है खास

नई दिल्ली [जेएनएन]। लैंडफिल साइटों का वजन कम करने के लिए कूड़े से बिजली बनाने के बाद अब निगम डेयरियों से निकलने वाले गोबर का भी निष्पादन करेगा। इसके लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम की प्रस्तावित बॉयोगैस प्लांट स्थापित करने की योजना पूरी होने जा रही है। नंगली, गोयला व ककरौला डेयरी के लिए 200-200 मीट्रिक टन क्षमता के दो बॉयोगैस प्लांट लगाने को निगम ने निविदाएं आमंत्रित की हैं। ये निगम का अपना पहला बायोगैस प्लांट होगा।

कई समस्याएं होंगी खत्म 

निगम के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन दो प्लांट की स्थापना से निगम की सबसे बड़ी समस्या इन इलाकों में नाली जाम होने के साथ सीवरेज लाइन खराब होने की समस्या खत्म हो जाएगी। डेयरी संचालकों द्वारा गोबर का निस्तारण नहीं होने से इसे नालियों में बहाया जाता था। यह बड़े नालों और सीवरेज लाइन में पहुंच जाता था, जिससे नाले भी जाम हो जाते थे।

बायोगैस प्लांट के हैं लाभ 

अधिकारी ने बताया कि इस प्लांट की स्थापना से लोगों की स्वास्थ्य को लेकर हो रही कई चिंताओं को भी खत्म किया जा सकेगा। गोबर के ढेर से खतरनाक कार्बन डायऑक्साइड और मीथेन गैस निकलती है, जो सेहत के लिए हानिकारक है। इसके अलावा मौजूदा समय में गोबर के ढेर को एसएलएफ साइट में ले जाया जाता है। इन सभी समस्या के बेहतर और वैज्ञानिक निस्तारण के लिए बायोगैस प्लांट लगाया जा रहा है।

प्रक्रिया सफल नहीं हो पाई थी

मालूम हो कि जनवरी 2017 में भी इसकी निविदाएं मांगी गई थी, लेकिन तकनीकी खामियों के चलते यह निविदा प्रक्रिया सफल नहीं हो पाई थी। आमंत्रित की गई निविदा के अनुसार नंगली डेयरी और ककरौला डेयरी से लगभग 220 टन गोबर प्रतिदिन निकलता है। दिल्ली एग्रीकल्चर मार्केटिंग बोर्ड के भी 15 टन कूड़े को इस प्लांट से निष्पादित किया जाएगा। इसका निष्पादन नंगली डेयरी प्लांट से किया जाएगा। वहीं गोयला डेयरी में 190 मीट्रिक टन गोबर का इस्तेमाल प्लांट में किया जाएगा।

20 साल के लिए दिया जाएगा परियोजना का कार्य

दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के पर्यावरण प्रबंधन सेवा विभाग से जुड़े एक अधिकारी के मुताबिक जो गोबर से बायोगैस बनाने के प्लांट लगाएं जाएंगे उनका कार्य निविदा लेने वाली कंपनी को 20 वर्ष के लिए सौंपा जाएगा। आवेदक को 20 वर्ष तक इस परियोजना के डिजाइन-निर्माण-वित्त-संचालन-हस्तांतरण (डीबीएफओटी) के आधार पर दिया जाएगा। इसमें डेयरी मालिकों को उत्पादन क्षमता के आधार पर गोबर की आपूर्ति करनी होगी।

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