Delhi News: चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, पैरामेडिकल स्टाफ की सख्या भी आधी

Delhi News फैकल्टी के रूप में अस्पताल से जुड़ने वाले डाक्टरों को यहां कोई भविष्य नजर नहीं आता है। अस्थायी पद होने के कारण पदोन्नति भी नहीं हो पाती है। जो डाक्टर जिस पद पर आते हैं उसी पर रह जाते हैं।

By Pradeep ChauhanEdited By: Publish:Sat, 16 Jul 2022 12:47 PM (IST) Updated:Sat, 16 Jul 2022 12:47 PM (IST)
Delhi News: चिकित्सकों की कमी से जूझ रहा दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान, पैरामेडिकल स्टाफ की सख्या भी आधी
Delhi News: संस्थान में ही कुछ ही डाक्टर हैं जो कई सालों से कार्यरत हैं।

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान की स्थापना लगभग 16 साल पहले कैंसर के गरीब मरीजों के इलाज के लिए की गई थी। लेकिन यह अस्पताल आज तक अपनी पूरी क्षमता के साथ मरीजों की सेवा नहीं कर पाया है। हालत ऐसी है कि यह अस्पताल खुद ही बीमार सा प्रतीत होता है। पर्याप्त संख्या में डाक्टर हैं और न ही नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टाफ। अस्पताल में दो तिहाई डाक्टरों के पद खाली पड़े हैं।

इसके साथ नर्सिंग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ के स्वीकृत पदों में से भी आधे ही भरे हुए हैं। डाक्टरों का कहना है कि यहां डाक्टरों को स्थायी नहीं किया जाता है। जब तक पद स्थायी नहीं होते हैं तब तक भर्तियां करने का भी कोई लाभ नहीं है।कैंसर संस्थान स्वायत्त संस्था के रूप में चल रहा है। इसी तर्ज पर दिल्ली में सात और अस्पताल हैं। इन सभी में डाक्टरों के पद अस्थायी हैं।

हालांकि डाक्टरों का कहना है कि इस अस्पताल के नियमावली में यह प्रविधान था कि अस्थायी नियुक्ति के दो साल बाद स्थायी किया जा सकता है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। फैकल्टी के रूप में अस्पताल से जुड़ने वाले डाक्टरों को यहां कोई भविष्य नजर नहीं आता है। अस्थायी पद होने के कारण पदोन्नति भी नहीं हो पाती है। जो डाक्टर जिस पद पर आते हैं, उसी पर रह जाते हैं।

नौकरी की सुरक्षा के अभाव के साथ निजी अस्पतालों के मुकाबले वेतन कम होने की वजह से वे यहां टिक नहीं पाते हैं। इसी कारण से डाक्टरों का संकट हमेशा बना रहता है। संस्थान में ही कुछ ही डाक्टर हैं जो कई सालों से कार्यरत हैं। अस्पताल के डाक्टरों के मुताबिक जिन खाली पदों की बात हो रही है, उसमें जूनियर और सीनियर रेजिडेंट शामिल नहीं हैं। इनकी भर्ती नियमित समय पर होती रहती है। जूनियर रेजीडेंट के 25 पदों के लिए लगभग 675 आवेदन आए थे। लेकिन विशेषज्ञ डाक्टर, कंसल्टेंट और फैकल्टी की भर्तियां निकलने पर आवेदन करने वाले में कोई उत्साह नजर नहीं आता है।

तीन साल से पूर्णकालिक निदेशक भी नहीं : जनवरी, 2019 में तत्कालीन निदेशक डा. आरके ग्रोवर का कार्यकाल समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद से यहां पूर्णकालिक निदेशक भी हैं। पहले राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के निदेशक डा. बीएल शेरवाल को अतिरिक्त कार्यभार दिया गया। इसके बाद मौजूदा निदेशक डा. किशोर सिंह भी मौलाना आजाद मेडिकल कालेज के डीन के पद पर कार्यरत हैं।

डाक्टरों की कमी को दूर करने के लिए भर्तियां निकालने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। स्थायी करने का अस्पताल के नियमावली में प्रविधान नहीं है। लेकिन पदोन्नति पर विचार किया जा रहा है। अस्पताल की कमियों को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

- डा. किशोर सिंह, निदेशक, दिल्ली राज्य कैंसर संस्थान

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