JAGRAN IMPACT: अनाज घोटाले में यूपी के तत्कालीन FCI-जीएम डीपी शुक्ला का ट्रांसफर

फिलहाल वरिष्ठ अधिकारी डीपी शुक्ला के पास उत्तर प्रदेश क्वालिटी कंट्रोल महाप्रबंधक का चार्ज था। प्रदेश में अनाज खरीद की गुणवत्ता जांच की पूरी जिम्मेदारी डीपी शुक्ला के पास थी।

By JP YadavEdited By: Publish:Thu, 10 Jan 2019 03:17 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jan 2019 04:42 PM (IST)
JAGRAN IMPACT: अनाज घोटाले में यूपी के तत्कालीन FCI-जीएम डीपी शुक्ला का ट्रांसफर
JAGRAN IMPACT: अनाज घोटाले में यूपी के तत्कालीन FCI-जीएम डीपी शुक्ला का ट्रांसफर

नोएडा [ललित विजय]। उत्तर प्रदेश में कराेड़ाें के अनाज गुणवत्ता घाेटाले के केंद्र में रहे भारतीय खाद्य निगम (FCI) के यूपी के महाप्रबंधक डीपी शुक्ला का तबादला कर दिया गया है। जिस दाैरान प्रदेश में अनाज खरीद में गड़बड़ी हुई उस दाैरान डीपी शुक्ला उत्तर प्रदेश के महाप्रबंधक थे। करीब तीन माह पहले उन्हें भारतीय खाद्य निगम के उत्तर जाेन का महाप्रबंधक गुणवत्ता बना दिया गया था। प्रदेश में अनाज खरीद की गुणवत्ता में गड़बड़ी के बाद डीपी शुक्ला काे दी गई यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सवालाें के घेरे में थी।

दैनिक जागरण की अाेर से अनाज गुणवत्ता घाेटाले का पर्दाफाश करने के बाद 8 जनवरी से डीपी शुक्ला का पर्सनल विभाग में तबादला कर दिया गया है। उधर, पूरे मामले की जांच करने बृहस्पतिवार काे भारतीय खाद्य निगम दिल्ली मुख्यालय की टीम नाेएडा अाई। अधिकारियाें के साथ पूरे दिन बैठकाें का दाैर जारी रहा। संभावना जताई जा रही है कि अाने वाले समय में इस मामले में कई अन्य अधिकारियाें पर भी कार्रवाई हाेगी।

जिनके कार्यकाल में गड़बड़ी उन्हें ही दे दिया गया था गुणवत्ता का जिम्मा
डीपी शुक्ला के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश एफसीअाइ की अाेर से खरीदे गए अनाज की गुणवत्ता में गड़बड़ी पाई गई थी। केंद्रीय खाद्य एवं अापूर्ति मंत्रालय की तरफ से लिए गए 500 नमूने में से 101 के फेल के बाद प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियाें पर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया। इसके बाद भारतीय खाद्य निगम में गड़बड़ी काे रफा-दफा करने का खेल प्रारंभ हुए। उत्तर प्रदेश के महाप्रबंधक डीपी शुक्ला काे नाेएडा बुला लिया गया। उन्हें एफसीअाइ के उत्तर अंचल का गुणवत्ता महाप्रबंधक बना दिया गया। इसके अलावा तीन अन्य अधिकारियाें का ऐसे पदाें पर तबादला किया गया, जिससे वह इस मामले काे रफा-दफा कर सकें। अब डीपी शुक्ला का तबादला हाेने के बाद उन अधिकारियाें पर भी कार्रवाई हाेने की संभावना बढ़ गई है।

यह है अनाज गुणवत्ता घाेटाला
उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम के उत्तर प्रदेश के 19 जिलाें में स्टॉक हैं। केंद्रीय खाद्य एवं अापूर्ति मंत्रालय की क्वालिटी कंट्राेल टीम ने सहारनपुर, मुरादाबाद, बरेली, शाहजहांपुर, फैजाबाद, गोरखपुर और आजमगढ़ जिले के स्टॉक से अप्रैल से जुलाई 2018 के बीच बेतरतीब ढंग(रैंडम) से 500 नमूने लिए थे। लैब जांच में इनमें 101 नमूने फेल हाे गए। निगम के स्टॉक में माैजूद गेहूं व चावल गिले, टूटे व स्वास्थय के लिए बेहद खराब पाए गए। इन नमूनाें काे गाेदाम में जिस लॉट से एकत्र किया गया, वहां करीब 163620 कुंतल अनाज हाेने का अनुमान है। जिसकी कीमत अनुमानत: 33 कराेड़ रुपये हैं। जांच में गुणवत्ता से खराब अनाज पाए जाने के बाद मंत्रालय की तरफ से अनाज काे नष्ट करने व जिम्मेदारी अधिकारियाें के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। भारतीय खाद्य निगम के दिल्ली मुख्यालय ने उत्तर प्रदेश का मामला हाेने के कारण नोएडा सेक्टर 24 स्थित भारतीय खाद्य निगम (उत्तर आंचल) के कार्यकारी निदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा। मंत्रालय की तरफ से लगातार पत्र व मेल अाने के बाद भी भारतीय खाद्य निगम ने काेई कार्रवाई नहीं की। इस मामले काे दैनिक जागरण ने उजागर किया। जिसके बाद खाद्य निगम के दस अधिकारियाें काे प्रारंभिक ताैर पर दाेषी पाते हुए अाराेप पत्र थमाया गया है। कई अधिकारियाें काे नाेटिस भी दिया गया है। अाराेप पत्र का जवाब अाने के बाद बर्खास्तगी, पदाेन्नति या वेतन कटाैती पर निर्णय हाेगा।

गरीबों को रियायती दर पर बांटा जाता है अनाज

भारतीय खाद्य निगम की ओर से खरीदे गए गेहूं और चावल का वितरण गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों के बीच रियायत दर पर किया जाता है। साथ ही मिड डे मिल में भी इन अनाजों का इस्तेमाल किया जाता है।

बता दें कि पिछले सप्ताह ही उत्तर प्रदेश में भारतीय खाद्य निगम (FCI) की ओर से वर्ष 2018 में खरीदे गए गेहूं और चावल में बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी को लेकर हुई प्रारंभिक जांच में महकमे के मैनेजर व उसके निचले स्तर के प्रदेशभर के 10 अधिकारी दोषी पाए गए थे। ऐसे में सभी को चार्जशीट सौंप दी गई थी। उधर, इतनी बड़ी संख्या में अनाज खरीद में शामिल अधिकारियों को नोटिस मिलने से हड़कंप मच गया है।

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