पढ़िए किस वजह से अब विरोधियों से नजदीकी बढ़ा रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता, डीएसजीएमसी में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती

दिल्ली में कमजोर हो रही राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए शिरोमणि अकाली दल के नेता अब विरोधियों से नजदीकी बढ़ा रहे हैं। दिल्ली के बड़े अकाली नेता पार्टी छोड़ रहे हैं जिससे पार्टी के सामने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Mon, 03 Jan 2022 01:11 PM (IST) Updated:Mon, 03 Jan 2022 01:11 PM (IST)
पढ़िए किस वजह से अब विरोधियों से नजदीकी बढ़ा रहे शिरोमणि अकाली दल के नेता, डीएसजीएमसी में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती
कार्यकारिणी बोर्ड की बैठक में इसकी झलक भी देखने को मिली।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली में कमजोर हो रही राजनीतिक जमीन को बचाने के लिए शिरोमणि अकाली दल (शिअद बादल) के नेता अब विरोधियों से नजदीकी बढ़ा रहे हैं। दिल्ली के बड़े अकाली नेता पार्टी छोड़ रहे हैं जिससे पार्टी के सामने दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) में अपनी सत्ता बचाने की चुनौती है। इसे ध्यान में रखकर वह नए समीकरण बनाने में जुटी हुई है। मनजिंदर सिंह सिरसा को अध्यक्ष की कुर्सी से दूर रखने के लिए शनिवार को हुई कार्यकारिणी बोर्ड की बैठक में इसकी झलक भी देखने को मिली।

सिरसा के भाजपा में शामिल होने के बाद शिअद बादल के कई नवनिर्वाचित सदस्यों के पार्टी छोड़ने की संभावना है। यदि नवनिर्वाचित सदस्य पार्टी छोड़ते हैं तो शिअद बादल के लिए डीएसजीएमसी में अपना अध्यक्ष बनाना मुश्किल हो जाएगा। इसे देखते हुए सदस्यों को एकजुट रखने की कोशिश हो रही है। साथ ही पार्टी का प्रदेश नेतृत्व शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना), जग आसरा गुरु ओट (जागो) व अन्य पार्टियों के संपर्क में हैं। यह कोशिश हो रही है कि यदि कुछ सदस्य पार्टी छोड़कर कहीं और जाते हैं या अलग गुट बनाते हैं तो शिअद बादल अन्य पार्टियों के सहयोग से कमेटी की सत्ता पर काबिज रह सके। नई कार्यकारिणी गठित होने तक सिरसा को अध्यक्ष पद से दूर रखने में पार्टी की यह कोशिश रंग भी लाई है।

बैठक में निवर्तमान उपाध्यक्ष कुलवंत सिंह बाठ को सिरसा की जगह नई कमेटी बनने तक अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई है। बाठ अब आम आदमी पार्टी में हैं और इस बार शिअद दिल्ली (सरना) के टिकट पर डीएसजीएमसी का चुनाव लड़े थे। जागो ने भी उनका समर्थन किया है। शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष और डीएसजीएमसी के निवर्तमान महामंत्री हरमीत सिंह कालका का कहना है कि सभी पार्टियों ने सिख पंथ के हित में एकजुट होकर फैसला लिया है। दूसरी ओर सिरसा का कहना है कि नियमों का उल्लंघन करके बैठक बुलाई गई थी। कालका डीएसजीएमसी को आम आदमी पार्टी के हाथों में सौंपना चाहते हैं। कमेटी नियम के अनुसार चलेगी।

डीएसजीएमसी के महाप्रबंधक ने गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय के पत्र को आधार बनाकर सभी सदस्यों को पत्र लिखा है कि कार्यकारिणी बोर्ड को सितंबर के बाद विस्तार देने का प्रस्ताव अभी उपराज्यपाल के पास लंबित है। दूसरी ओर जागो के नेताओं का कहना है कि गलत तरीके से नियमों की व्याख्या की जा रही है। बोर्ड का अस्तित्व बरकरार है। इसके फैसले वैध हैं।

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