Delhi: 21वीं सदी का 21वां वर्ष नई पर्यावरण योजनाओं के नाम, ऐसे लगेगी प्रदूषण पर लगाम

दिल्ली सरकार ने नई ट्री ट्रांसप्लांटेशन नीति को मंजूरी दे दी है। इस साल इसका क्रियान्वयन देखने को मिलेगा। इसके तहत पेड़ को नीचे से वैज्ञानिक तरीके से उखाड़ कर और केमिकल का इस्तेमाल करके ट्रक में डालकर दूसरी जगह लगाया जाता है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Wed, 06 Jan 2021 02:15 PM (IST) Updated:Wed, 06 Jan 2021 02:15 PM (IST)
Delhi: 21वीं सदी का 21वां वर्ष नई पर्यावरण योजनाओं के नाम, ऐसे लगेगी प्रदूषण पर लगाम
जनता के ही हथियार से होगा प्रदूषण पर वार

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। दिल्ली के लिए 21वीं सदी का 21वां वर्ष पर्यावरण की दृष्टि से खासा अहम होगा। यहां की हवा सुधारने के लिए जहां दिल्ली सरकार प्रदूषण के विरुद्ध युद्ध लड़ रही है। वहीं केंद्र सरकार द्वारा गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग भी कई स्तरों पर काम कर रहा है। कुछ योजनाओं पर काम चल रहा है, जबकि कुछ पर शुरू होने को है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) व दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) भी अपने-अपने स्तर पर कुछ प्रस्तावों पर काम कर रहे हैं। प्रयास यही चल रहा है कि साल दर साल सुधर रही राजधानी की हवा इस साल और भी बेहतर हो सके।

जनता के ही हथियार से होगा प्रदूषण पर वार

टेक्नोलाजी चैलेंज के तहत सीपीसीबी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के स्वच्छ वायु अभियान में शामिल 122 शहरों की हवा में सुधार के लिए तकनीकी प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। यह प्रस्ताव कोई एक व्यक्ति, व्यक्तियों का समूह, एनजीओ, कंपनी, संस्था, शैक्षिक संस्थान, निकाय एवं शोध संस्थान सहित कोई भी दे सकता है। प्रस्ताव दो श्रेणियों में दिए जा सकते हैं। शहरी क्षेत्रों में हाटस्पाट की हवा साफ करने और शहरी एवं ग्रामीण दोनों इलाकों में उड़ने वाले धूल कणों को नियंत्रित करने के लिए कोई भी प्रस्ताव तकनीक और प्रौद्योगिकी आधारित होने के साथ ही व्यवहारिक भी होना चाहिए। उसकी स्वीकार्यता किसी अधिकृत लैब से जांची परखी होने के साथ प्रस्ताव पर्यावरण अनुकूल भी होना चाहिए। मतलब, उससे वायु ही नहीं, जल को भी कोई नुकसान न हो।

प्रस्ताव बिजनेस माडल पर आधारित होना चाहिए, जिससे उसका क्रियान्वयन भी सहज हो सके। प्रस्ताव 15 मार्च 2021 तक सीपीसीबी को आनलाइन ही जमा कराए जा सकेंगे। सीपीसीबी अधिकारियों के मुताबिक सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में प्रदूषण की समस्या का हल निकालने के लिए किसी भी स्तर से कारगर प्रस्ताव आ सकते हैं। इसलिए सीपीसीबी 'टेक्नोलाजी चैलेंज फार आइडेंटिफाइंग एंड प्रोमोटिंग सल्यूशंस फार मिटिगेटिंग एंबिएंट एयर पाल्यूशन' प्रतिस्पर्धा शुरू करने जा रहा है। 300 सेंसर टटोलेंगे वायु प्रदूषण की नब्जदेश-दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में से एक राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में वायु प्रदूषण की नब्ज मापने के लिए 300 नए एयर क्वालिटी मानीटरिंग सेंसर लगेंगे।

पहले चरण में 30 सेंसर लगा दिए गए हैं। यह सेंसर एयर इंडेक्स ही नहीं, पीएम 2.5 और पीएम 10 भी मापेंगे। एरिक्सन इंडिया और मुंबई के एक स्टार्टअप रेस्पायरर लि¨वग साइंसेज के साथ मिलकर आइआइटी कानपुर इन सेंसर्स के जरिये पहली बार ऐसी तकनीक लाया है, जिससे प्रदूषण के सभी आंकड़े उस क्षेत्र के रहने वालों में भी साझा हो सकेंगे।

पराली पर करीब से नजर रखेगा सफर

पंजाब, हरियाणा व उत्तर प्रदेश के खेतों में जलाई जाने वाली पराली को लेकर केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता निगरानी संस्था सफर इंडिया ने पूर्वानुमान का चाक-चौबंद माडल तैयार किया है। इसके जरिये उपग्रह से प्राप्त चित्रों के आधार पर खेतों में लगाई जाने वाली आग की घटनाओं की संख्या का अंदाजा लगाया जाएगा। इससे निकलने वाले धुएं, उस दिन हवा के रुख और हवा की गति के आधार पर इस बात का पूर्वानुमान भी लगाया जाएगा कि ये धुआं कितने दिन में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पहुंचेगा। इससे प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर प्रभावी कदम उठाने में मदद मिलेगी। इस साल इस माडल का ट्रायल किया गया, 2021 में इसे कारगर ढंग से अमल में लाया जाएगा।

औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण पर लगेगी लगाम

औद्योगिक प्रदूषण पर काफी हद तक लगाम लगाई जा चुकी है, जितनी भी फैक्टि्रयां प्रदूषण फैलाने वाले ईंधन से चल रही थीं, सभी को स्वच्छ ईंधन पीएनजी पर शिफ्ट कर दिया गया है। अब केवल 122 फैक्टि्रयां ही बची हैं, उन्हें भी जल्द पीएनजी पर लाया जाएगा।

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