सूरज कुंड मेले में दिख रहा लोक-संस्कृति का अद्भुत नमूना, जानिए क्या है खास

हस्तशिल्पियों के इस महाकुंभ में थीम स्टेट के रूप में महाराष्ट्र की लोक-संस्कृति का नजारा देखने को मिल रहा है। इस मेले में थाईलैंड के लोक कलाकार अपनी अनूठी सांस्कृतिक छटा बिखेर रहे हैं।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Sun, 03 Feb 2019 03:07 PM (IST) Updated:Sun, 03 Feb 2019 03:07 PM (IST)
सूरज कुंड मेले में दिख रहा लोक-संस्कृति का अद्भुत नमूना, जानिए क्या है खास
सूरज कुंड मेले में दिख रहा लोक-संस्कृति का अद्भुत नमूना, जानिए क्या है खास

फरीदाबाद [अनिल बेताब]। हस्तशिल्प कला और सांस्कृतिक विरासत से रू-ब-रू कराने को शुरू हुए 33 वां सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेले में लोगों की खूब भीड़ दिख रही है। एक से बढ़ कर एक देश-विदेश के कलाकार यहां प्रदर्शन कर लोगों की वाहवाही लूट रहे हैं। हस्तशिल्पियों के इस महाकुंभ में थीम स्टेट के रूप में महाराष्ट्र की लोक-संस्कृति का नजारा देखने को मिल रहा है। भारतीय लोक कलाकारों के अलावा मेले में सहभागी देश थाईलैंड के लोक कलाकार अपनी अनूठी सांस्कृतिक छटा बिखेर रहे हैं। एक से 17 फरवरी तक चलने वाले इस मेले का उद्घाटन प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने किया।

इसलिए खास है महाराष्‍ट्र

पूरा मेला परिसर महाराष्ट्र के रंग में रंग गया है, क्‍योंकि इस मेले का थीम स्‍टेट महाराष्‍ट्र है। सूरजकुंड मेले में थीम स्टेट महाराष्ट्र में घरों पर दिवाली पर लगाए जाने वाले कंदिल से चौपाल परिसर को सजाया गया है। मेले में सामाजिक सरोकारों के प्रति जागृति लाने के साथ सांस्कृतिक समृद्धि के दर्शन भी हो रहे हैं।

स्‍वच्‍छता पर हरियाणा पर्यटन निगम दे रहा संदेश

हरियाणा पर्यटन निगम की ओर से घर में स्वच्छता एवं बेटी बचाओ अभियान पर जोर दे रहा है। इसके साथ ही वीरों की धरती पर स्वतंत्रता संग्राम के नायकों को भी नमन किया जा रहा है। नागपुर के करीब 83 वर्षीय नेशनल अवार्डी यादव राव चिंदू सिरकीकर, शंकर लक्ष्मण निनावे, शेख सैय्यद, राम चंद्र गजानन, प्रवीण बड़वे बैठे हैं तो इन्हीं के बीच शेख तैय्यब और मोहम्मद कादिर महाजन भी शामिल हैं। यादव राव चिंदू को नागपुरी सूती साड़ी के लिए नेशनल तो मोहम्मद कादिर महाजन को स्टेट अवार्ड मिल चुका है।

स्वतंत्रता संग्राम में निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका

हरियाणा पर्यटन निगम ने मेला परिसर में जगह-जगह राजा नाहर सिंह के नाम से कई बोर्ड लगवाए हैं। राजा नाहर सिंह की कुर्बानी को दर्शाते बोर्ड मेले का आकर्षण बटोर रहे हैं। असल में बल्लभगढ़ का प्रसिद्ध राजा नाहर सिंह पैलेस वास्तुकला के लिए मशहूर है। इसे बल्लभगढ़ किला महल के नाम से भी जाना जाता है। राजा नाहर सिंह ने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

मेले में लें महाराष्ट्र की पूर्णपोली और कांदा पोहा का स्वाद

आप मेले में महाराष्ट्र के व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। कुल 36 स्टाल में से महाराष्ट्र के व्यंजनों के दो स्टाल हैं। पूर्णपोली यानी मीठी रोटी, गणेश उत्सव के दौरान बनाया जाने वाला मोदक। मोदक दो प्रकार के चावल को पीस कर बनाया जाता है। इसमें सूखा नारियल गुड़, जायफल मिलाई जाती है। ऐसे ही पीठला भाकरी, बाजरा और बेसन को भून कर बनाया जाता है। थाली पीठ, जो दालें पीसकर बनाई जाती है। इसमें गेहूं, बाजरा, जवार के साथ-साथ प्याज भी मिलाया जाता है। मिसल पाव पुणे का मसालेदार खाद्य पदार्थ है। इसके अलावा वड़ा पाव तथा कांदा पोहा भी उपलब्ध है।

सतीश पाठक, निदेशक, सखी कैटरर्स।

ये देशों का दिख रहा जलवा

मेले की मुख्य चौपाल पर रोजाना देश-विदेश के सांस्कृतिक रंग बिखर रहे हैं। हरियाणा और महाराष्ट्र के कलाकारों के साथ जापान, श्रीलंका, नेपाल, अफगानिस्तान, कांगो, मिस्त्र, थाइलैंड, चीन, बांग्लादेश, तंजानिया, ट्यूनीशिया, मंगोलिया, साउथ अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, मालदीव, रूस, किर्गिस्तान, वियतनाम, लेबनान, तुर्कमेनिस्तान तथा मलेशिया के कलाकार भी रंग जमा रहे हैं। कार्यक्रम का शिड्यूल

03 फरवरी : फैशन शो। 04 फरवरी : थाईलैंड के कलाकारों की प्रस्तुति। 05 फरवरी : राजस्थानी कलाकारों की प्रस्तुति। 06 फरवरी : श्रीलंका का राष्ट्रीय दिवस समारोह व सांस्कृतिक कार्यक्रम। 07 फरवरी : महाराष्ट्र के कलाकारों की प्रस्तुति। 08 फरवरी : प्रसिद्ध लोक गायिका मालिनी अवस्थी की प्रस्तुति। 09 फरवरी : सरदार मनजीत सिंह के संचालन में हास्य कवि सम्मेलन। सुरेंद्र शर्मा, डॉ. सुरेंद्र दूबे, सुरेश अवस्थी, गजेंद्र सोलंकी, बुद्धि प्रकाश दधीचि की प्रस्तुति। 10 फरवरी : अनु सिन्हा की शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुति। 11 फरवरी : रंजू प्रसाद एंड पार्टी की प्रस्तुति। 12 फरवरी : सरेगामा फेम रिंकू कालिया के सदाबहार नगमे। 13 फरवरी : सदाबहार नगमों की प्रस्तुति। 14 फरवरी : बैंड की प्रस्तुति। 15 फरवरी : अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुति। 16 फरवरी : सुबोध घोष का शास्त्रीय कार्यक्रम।

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