भलस्वा डंपिंग साइट के पास रहने वालों की बढ़ी मुसीबतें, कैंसर और टीबी जैसी बीमारियां हैं आम
भलस्वा डेयरी स्थित सरकारी डिस्पेंसरी में रोजाना बड़ी संख्या मरीज आते हैं। इनमें पेट और एलर्जी के मरीजों की संख्या प्रतिदिन लगभग 50 से ज्यादा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता के चलते भलस्वा डंपिंग साइट के आसपास रहने वाले लोगों की समस्या लगातार बढ़ रही है। जहरीली हवा और दूषित पानी के कारण लोग बीमार हो रहे हैं। इस हालात को देखने के लिए अधिकारियों और नेताओं के दौरे तो कई बार हुए पर नियंत्रण के लिए किसी भी सरकार या निकाय की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। यह हालत तब है जब सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2002 में ही डंपिंग साइट को बंद करने का आदेश दे दिया था। आदेश के बाद भी लगातार इसका उपयोग किया जा रहा है जिसका, खामियाजा आसपास के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
पानी से बदबू आती है
डंपिंग साइट के किनारे बसी बसंत दादा पाटिल कॉलोनी के घरों में कचरे से निकलने वाला तरल पदार्थ आ रहा है। इस कारण यहां के लोगों को दिक्कत हो रही है। इस पदार्थ के कारण भू-जल पूरी तरह प्रदूषित हो गया है। सबमर्सिबल से आ रहा पानी भी पीने योग्य नहीं है। वहीं जल बोर्ड की पाइपलाइन गंदे पानी से होकर निकल रही है, जिसमें लीकेज होने के कारण पानी से बदबू आती है।
प्रदूषित पानी पीने को मजबूर
क्षेत्र में आबादी के अनुसार पानी के टैंकर भी नहीं आते हैं। ऐसे में लोगों को कभी पानी मिलता है तो कभी नहीं। लोग बोतल बंद पानी खरीद कर किसी तरह अपनी प्यास बुझाते हैं लेकिन, अर्थाभाव में कई परिवार प्रदूषित पानी का ही उपयोग करने को मजबूर हैं। इस कारण लोगों को एलर्जी और पेट की बीमारियां हो रही हैं।
लोगों को राहत नहीं
यहां पर मिथेन गैस के कारण लगने वाली आग से उठने वाला धुआं भी लोगों को सांस लेने में बाधा पहुंचा रहा है। यह समस्या लगातार बढ़ती जा रही है। उपराज्यपाल अनिल बैजल सहित तमाम आला अधिकारी एवं नेताओं ने पिछले कुछ सालों में लैंडफिल साइट का दौरा किया मगर, इस समस्या से लोगों को राहत नहीं मिल सकी है।
डिस्पेंसरी में बढ़े हैं मरीज
भलस्वा डेयरी स्थित सरकारी डिस्पेंसरी में रोजाना बड़ी संख्या मरीज आते हैं। इनमें पेट और एलर्जी के मरीजों की संख्या प्रतिदिन लगभग 50 से ज्यादा है। यहीं नहीं, यहां पर 10 से ज्यादा निजी क्लीनिक भी संचालित हैं जिसमें रोजाना 30 से 40 मरीज पहुंचते हैं। यही हालात बसंत दादा पाटिल नगर, कलंदर कॉलोनी, राजीव नगर, विश्वनाथ, श्रद्धानंद में भी है।
बढ़ रहा आर्थिक बोझ
पानी की गुणवत्ता सही नहीं होने के कारण लोग 20 रुपये में पानी की बोतल खरीद कर पी रहे हैं। इससे लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। हालांकि, इस पानी की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है। वाटर फिल्टर प्लांट भी नियमों का पालन नहीं करते। बसंत दादा पाटिल नगर निवासी जहीर ने बताया कि एक महीने में उन्हें 3500 रुपये मिलते हैं। इसमें से 600 रुपये महीने पानी पर ही खर्च हो जाते हैं। यही समस्या यहां की राजरानी और हेमलता ने बताई।
समाधान का किया जा रहा प्रयास
निगम के प्रवक्ता योगेंद्र सिंह मान एवं क्षेत्रीय पार्षद विजय भगत का कहना है कि समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। लैंडफिल साइट का भी विकल्प तलाशा जा रहा है। इसका विकल्प मिलते ही कई समस्याओं का समाधान स्वत: हो जाएगा।