स्कूल में एसी की सुविधा का खर्च छात्र के माता-पिता को उठाना होगा, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

एक स्कूल में एंयर-कंडिशनिंग के लिए अभिभावकों से दो हजार रुपये प्रतिमाह की वसूली के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विचार करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि स्कूल में एयर कंडीशनिंग की लागत माता-पिता को वहन करनी होगी क्योंकि यह छात्रों को प्रदान की जाने वाली सुविधा है।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Publish:Sun, 05 May 2024 06:28 PM (IST) Updated:Sun, 05 May 2024 06:28 PM (IST)
स्कूल में एसी की सुविधा का खर्च छात्र के माता-पिता को उठाना होगा, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका
स्कूल में एसी की सुविधा का खर्च छात्र के माता-पिता को उठाना होगा, दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। एक स्कूल में एंयर-कंडिशनिंग के लिए अभिभावकों से दो हजार रुपये प्रतिमाह की वसूली के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर विचार करने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ ने कहा कि स्कूल में एयर कंडीशनिंग की लागत माता-पिता को वहन करनी होगी, क्योंकि यह छात्रों को प्रदान की जाने वाली सुविधा है।

अदालत ने कहा कि यह प्रयोगशाला शुल्क जैसे अन्य शुल्कों से अलग नहीं है। अदालत ने कहा कि इस तरह का वित्तीय बोझ अकेले स्कूल प्रबंधन पर नहीं डाला जा सकता है और माता-पिता को स्कूल का चयन करते समय सुविधाओं और उनकी लागत के प्रति सतर्क रहना चाहिए।

पिता ने दिया था ये तर्क

याचिकाकर्ता पिता ने याचिका दायर कर तर्क दिया था कि छात्रों को एयर कंडीशनिंग सुविधाएं प्रदान करने का दायित्व प्रबंधन का है और इसलिए यह सुविधा प्रबंधन को अपने स्वयं के धन और संसाधनों से प्रदान करना चाहिए। याचिकाकर्ता का बेटा स्कूल में नौवीं कक्षा का छात्र है।

हालांकि, अदालत ने नोट किया कि फीस रसीद में एयर कंडीशनिंग के लिए शुल्क की प्रविष्टि विधिवत दर्ज है। अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया स्कूल द्वारा लगाए गए शुल्क में कोई अनियमितता नहीं है।

याचिका सुनवाई योग्य नहीं

अदालत ने कहा कि ऐसी सुविधाएं प्रदान करने का वित्तीय बोझ अकेले स्कूल प्रबंधन पर नहीं डाला जा सकता है। अदालत ने कहा कि शिक्षा निदेशालय को भी शिकायतें मिलने के बाद इस मुद्दे पर विचार करना पड़ा और याचिका सुनवाई योग्य नहीं थी। उक्त टिप्पणी करते हुए अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

chat bot
आपका साथी