Oxygen Crisis in Delhi : लिक्विड गैस के अभाव में दम तोड़ रहे आक्सीजन प्लांट, कैसे हाेगी कमी पूरी

अंबे गैस इंटरप्राइजेज के मालिक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मैं इंडस्ट्री में गैस सप्लाई करता हूं। अचानक अस्पतालों में हुई आक्सीजन की कमी के बाद यहां का आक्सीजन जरूरतमंदों को देने लगा। मेरे पास अस्पताल में आक्सीजन देने का लाइसेंस नहीं था।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 29 Apr 2021 07:47 PM (IST) Updated:Thu, 29 Apr 2021 07:51 PM (IST)
Oxygen Crisis in Delhi : लिक्विड गैस के अभाव में दम तोड़ रहे आक्सीजन प्लांट, कैसे हाेगी कमी पूरी
अभी तक कहीं से भी लिक्विड गैस नहीं मिली है।

नई दिल्ली [भगवान झा]। कोरोना महामारी के बीच सिस्टम का खोखलापन अब जगजाहिर हो चुका है। दबाव बढ़ने के बाद तिनका-तिनका बिखर रहा है। कोई ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ रहा है तो कहीं, ऑक्सीजन प्लांट होने के बावजूद लिक्विड की कमी के कारण सिलेंडर नहीं भरा जा रहा है। मांग और आपूर्ति के बीच सिस्टम के ढीले रवैये ने महामारी को और विकराल रूप दे दिया है। जी हां, हम बात कर रहे हैं नंगली सकरावती औद्योगिक क्षेत्र स्थित अंबे गैस इंटरप्राइजेज की। यहां पर लिक्विड की कमी के कारण 20 अप्रैल से ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं भरे जा रहे हैं। अगर सरकार चाहती तो यहां पर लिक्विड ऑक्सीजन की आपूर्ति कर प्रतिदिन एक हजार सिलेंडर भरकर विभिन्न अस्पतालों को मुहैया करा सकती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। एक तरफ जिला प्रशासन के पास फाइल इधर-उधर हो रही है तो वहीं दूसरी ओर निजी स्तर पर भी लिक्विड की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।

अंबे गैस इंटरप्राइजेज के मालिक धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मैं इंडस्ट्री में गैस सप्लाई करता हूं। अचानक अस्पतालों में हुई ऑक्सीजन की कमी के बाद यहां का ऑक्सीजन जरूरतमंदों को देने लगा। मेरे पास अस्पताल में ऑक्सीजन देने का लाइसेंस नहीं था। ऐसे में कड़कड़डूमा स्थित ड्रग्स कंट्रोलर के पास जाकर एक महीने के लिए अस्थाई अनुमति ली और अस्पतालों के साथ जरूरतमंद लोगों को भी गैस की आपूर्ति की। इसके बाद दिल्ली सरकार ने कमान अपने हाथों में ले ली और यहां से गैस सिलेंडर सीधे अस्पताल को जाने लगा। इस दौरान कहा गया कि लिक्विड गैस सरकार की ओर से दी जाएगी और इसको लेकर कागजी कार्यवाही भी शुरू कर दी गई, लेकिन 20 अप्रैल के बाद से लिक्विड गैस की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। जिला प्रशासन कार्यालय के कई चक्कर लगा चुका हूं।

अभी तक कहीं से भी लिक्विड गैस नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि अगर इस प्लांट को 24 घंटे चलाया जाए तो एक हजार बड़े सिलेंडर आसानी से भरे जा सकते हैं। ऐसे में कई अस्पतालों को राहत मिल सकती है। सरकार को इस दिशा में जल्द से जल्द फैसला लेकर प्लांट को लिक्विड गैस की आपूर्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस बीच पानीपत से लिक्विड गैस की व्यवस्था निजी स्तर पर करने की कोशिश की लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी।

अब सरकार के भरोसे ही बैठे हैं। इस संबंध में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली सरकार की लिस्ट में अंबे गैस इंटरप्राइजेज का नाम नहीं है। इनकी फाइल प्रशासन ने डिविजनल कमिश्नर के पास भेजी, लेकिन वह फाइल वापस आ गई है। प्रयास किया जा रहा है कि इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द हो। स्थानीय लोगों ने कहा कि अभी कागजी कार्यवाही करने का समय नहीं है। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द लिक्विड गैस उपलब्ध कराए जिससे कि कोरोना संक्रमित मरीजों को राहत मिल सके। ज्ञात हो कि लिक्विड की कमी की समस्या मायापुरी के ऑक्सीजन प्लांट में भी आए दिन देखने को मिलती है। इसपर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।

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