दिल्ली एयरपोर्ट के आसपास अब शोर होगा कम, उठाया जा रहा यह अहम कदम
ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से दिल्ली एयरपोर्ट को पांचवां जोन घोषित करने हुए यहां पहली बार शोर के मानक तय कर दिए गए हैं।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। एयरपोर्ट के पास रहने वाले लोगों को अब शोर से राहत मिल सकेगी। ध्वनि प्रदूषण के लिहाज से एयरपोर्ट को पांचवां जोन घोषित करने हुए यहां पहली बार शोर के मानक तय कर दिए गए हैं। ये मानक देश के सभी एयरपोर्ट के लिए तय किए गए हैं। जल्द ही रेलवे के लिए भी इसी तरह के मानक तय किए जा सकते हैं।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने रेलवे के लिए भी इस तरह का प्रस्ताव तैयार कर रेल मंत्रलय को भेज दिया है। देश के कई एयरपोर्ट के आसपास घनी आबादी वाले क्षेत्र भी हैं। यहां रहने वाले लोग ध्वनि प्रदूषण की शिकायत कर रहे थे। दिन-रात हवाई जहाजों के शोर से लोगों का स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा था। इसके बाद प्रस्ताव तैयार किया गया। एयरपोर्ट के ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए सीपीसीबी की तरफ से तैयार प्रस्ताव केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया था। पर्यावरण मंत्रालय ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन व स्वास्थ्य मंत्रालय की सहमति के बाद इसकी अधिसूचना जारी कर दी है।
एयरपोर्ट पर भी समय और ध्वनि प्रदूषण की सीमा कमर्शियल जोन के बराबर रखी गई है। एयरपोर्ट को दो आधार पर बांटा गया है। एक में अति व्यस्त और दूसरे में कम व्यस्त एयरपोर्ट हैं। दोनों के मानक अलग हैं। दिन और रात के मानक भी अलग-अलग तय किए गए हैं। व्यस्त एयरपोर्ट में वे शामिल हैं, जहां हर साल 50 हजार से अधिक विमान आते-जाते हैं। मसलन, दिल्ली का आइजीआइ एयरपोर्ट। कम व्यस्त में वे एयरपोर्ट शामिल हैं, जहां साल भर में 15 हजार से 50 हजार के बीच विमान उड़ान भरते हैं।
अधिसूचना जारी होने के बाद अब नए एयरपोर्ट को भी मानकों के अनुरूप अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दिया जाएगा। सीपीसीबी के अनुसार शोर कम करने के लिए एयरपोर्ट को ध्वनि अवरोधक का भी इस्तेमाल करना होगा। अब नए हवाई जहाज भी वहीं उड़ान भरने की अनुमति पा सकेंगे जो मानकों के अनुरूप ही ध्वनि प्रदूषण करते हैं। ध्वनि प्रदूषण के स्तर की निगरानी की जिम्मेदारी महानिदेशक (नागरिक उड्डयन) को दी गई है।
आइजीआइ एयरपोर्ट के पास काफी घनी आबादी बसती है। महिपालपुर, वसंत कुंज, द्वारका, नजफगढ़, पालम, रंगपुरी व इनसे सटे क्षेत्रों व कॉलोनियों के लोग दिन-रात एयर ट्रैफिक के बढ़ते शोर से परेशान हैं। इसकी वजह से लोग बीमारियों की शिकायत सीपीसीबी में करते रहे हैं। अब मानक तय हो जाने से इन क्षेत्रों के लोगों को राहत मिलेगी।
राजेश देवरॉय (वैज्ञानिक डी, सीपीसीबी) के मुताबिक, एयरपोर्ट के ध्वनि प्रदूषण को लेकर लोगों की शिकायतें लगातार बढ़ रहीं थीं। इसके बाद ही एयरपोर्ट को नया नॉइज (शोर) जोन बनाया गया है। यहां के लिए शोर के मानक भी पहली बार तय किए गए हैं। उम्मीद है कि अब स्थिति में काफी सुधार होगा।