आरुषि मर्डरः हेमराज की हत्या कहां हुई थी? इस सीबीआइ-यूपी पुलिस में था मतभेद

17 मई 2008 को हेमराज का शव छत पर मिलने के बाद से ही तलवार दंपती सवालों के घेरे में आ गए थे।

By JP YadavEdited By: Publish:Fri, 13 Oct 2017 02:08 PM (IST) Updated:Sat, 14 Oct 2017 06:04 PM (IST)
आरुषि मर्डरः हेमराज की हत्या कहां हुई थी? इस सीबीआइ-यूपी पुलिस में था मतभेद
आरुषि मर्डरः हेमराज की हत्या कहां हुई थी? इस सीबीआइ-यूपी पुलिस में था मतभेद

नोएडा (जेएनएन)। हेमराज की हत्या मामले में सीबीआइ और नोएडा पुलिस के मत अलग-अलग थे। नोएडा पुलिस ने अपनी जांच में माना था कि हेमराज की हत्या छत पर हुई है। सीबीआइ अपनी जांच में इस नतीजे पर पहुंची थी कि हेमराज की हत्या घर में करने के बाद शव को सीढिय़ों पर घसीट छत तक ले जाया गया था। इसका जिक्र उसने क्लोजर रिपोर्ट में किया था।

नोएडा पुलिस ने यह किया था पर्दाफाश

23 मई 2008 को आइजी गुरुदर्शन सिंह ने प्रेस वार्ता में बताया था कि डॉ. राजेश तलवार ने आपत्तिजनक हालत में देखने के बाद घर में आरुषि की हत्या की। फिर बात करने के बहाने छत पर ले जाकर हेमराज की हत्या की। शव को ठिकाने लगाने की मंशा से हेमराज के शव को छुपा दिया गया।

सीबीआइ को दिए बयान में भी नोएडा पुलिस के तत्कालीन एसपी सिटी महेश मिश्रा, एसओ दाताराम नौनेरिया तथा चौकी प्रभारी बच्चू सिंह ने बयान दिया था कि नोएडा पुलिस आरुषि की हत्या के बाद एल 32 सेक्टर 25 पहुंची।

हेमराज पर हत्या का तलवार दंपती ने आरोप लगाया। पुलिस अधिकारी सीढिय़ों से छत के दरवाजे के पास पहुंचे। दरवाजा बंद था। ताले पर खून के निशान थे लेकिन सीढिय़ों पर खून के निशान नहीं थे। तलवार दंपती से चाभी मांगी गई लेकिन उन्होंने चाभी नहीं दी।

सीबीआइ का पर्दाफाश

सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट में बताया था कि आरुषि-हेमराज को आपत्तिजनक स्थिति में देखने के बाद डॉ. राजेश तलवार ने आपा खो दिया। उन्होंने गोल्फ स्टिक से वार किया। पहले वार में आरुषि की मौत हो गई। फिर हेमराज को आरुषि के कमरे में मारकर चादर में लपेट छत पर ले जाया गया। इस दौरान हेमराज के शरीर से निकली खून की बूंदे सीढिय़ों पर गिरे।

सीबीआइ भी बरामद नहीं कर पाई सर्जिकल ब्लेड

सीबीआइ ने आरुषि और हेमराज की हत्या में सर्जिकल ब्लेक का इस्तेमाल होने की बात कही थी। इस मामले की जांच कर चुकी नोएडा पुलिस और सीबीआइ अपनी जांच में सर्जिकल ब्लेड बरामद नहीं कर सकी। अब तक सर्जिकल ब्लेड का राज खुला नहीं है।

जांच शुरू करने के बाद आला कत्ल की तलाश में सीबीआइ ने जून 2008 में सेक्टर 25 के सभी नालों की प्राधिकरण से सफाई कराई थी। प्राधिकरण ने तीन दिन तक नालों की सफाई की थी लेकिन सीबीआइ के हाथ सर्जिकल ब्लेड नहीं लग सका था।

नोएडा पुलिस ने भी छत पर मौजूद पानी की टंकी समेत सभी जगह जांच की थी लेकिन गला काटने में इस्तेमाल हथियार तक उसके हाथ नहीं पहुंच सके थे।

दबाव में आकर आनन-फानन में नोएडा पुलिस ने किया था पर्दाफाश का दावा

नोएडा पुलिस डॉ. राजेश तलवार का फोन सर्विलांस सिस्टम के माध्यम से सुन रही थी। 22 मई 2008 को तत्कालीन एसएसपी ए. सतीश गणेश ने ऑनर किलिंग का प्रेस वार्ता में शक जताया। इसकी जानकारी के बाद 23 मई को डॉ. राजेश तलवार ने वकील को फोन कर हत्या मामले में जमानत की प्रक्रिया जानी।

नोएडा पुलिस को पहले ही डॉ. तलवार पर शक था। यह सुनते ही पुलिस का शक यकीन में बदल गया। 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। दरअसल, पुलिस मीडिया ट्रायल दबाव में आकर ऐसा कर गई। 

नोएडा पुलिस ने तीन धाराओं का किया था प्रयोग

23 मई को डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार करने के बाद नोएडा पुलिस ने इनके खिलाफ आइपीसी की तीन धाराओं में मामला दर्ज किया था। धारा 302 (हत्या), धारा 201 (साक्ष्य मिटाने) और धारा 120बी (साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज था। इन्हीं धाराओं में डॉ. राजेश के खिलाफ कोर्ट में बहस हुई थी। अब सीबीआइ ने पुलिस की इन तीनों धाराओं के अलावा आइपीसी की धारा 203 (गुमराह करने) का प्रयोग किया है। दरअसल, सीबीआइ का मानना है कि पिछले पांच साल से जांच टीम को डॉक्टर तलवार दंपती ने गुमराह किया है। इसलिए इस धारा को जोड़ा गया है। इसके अलावा डॉ. राजेश तलवार के साथ इनकी पत्नी नूपुर तलवार को भी दोषी करार दिया गया है।

नूपुर तलवार ने ही की थी सीबीआइ जांच की मांग

17 मई 2008 को हेमराज का शव छत पर मिलने के बाद से ही तलवार दंपती सवालों के घेरे में आ गए थे। 23 मई को नोएडा पुलिस ने डॉ. राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद 24 मई की शाम डॉ. नूपुर तलवार, डॉ. दिनेश तलवार, डॉ. अनिता दुर्नानी और डॉ. प्रफुल्ल दुर्नानी पहली बार मीडिया के सामने आए।

उन्होंने नोएडा पुलिस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने पुलिस पर परिवार की इज्जत की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया था। उन्होंने दावा किया था कि डॉ. राजेश तलवार आरुषि से बेहद प्यार करते थे और वह उसका कत्ल कर ही नहीं सकते थे।

डॉ. नूपुर तलवार और दिनेश तलवार ने सीबीआइ जांच की मांग की थी। जिसके बाद 29 मई 2008 को मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी थी। इससे तलवार दंपती को भारी राहत मिली थी। उन्होंने न्याय की उम्मीद भी जताई थी।

सीबीआइ की प्रारंभिक जांच में नौकर बने थे आरोपी

सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच में नौकर कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को आरोप बनाया था। जिसके बाद 11 जुलाई 2008 को डॉ. राजेश तलवार को जेल से रिहा कर दिया गया था । उस दौरान डॉ. तलवार दंपती ने सीबीआइ जांच की दिशा को सही माना था।

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