EXCLUSIVE: तंबाकू उत्पादन का गलत तरीका बढ़ा रहा मुंह का कैंसर

एनआइसीपीआर ने 140 देशों में किया सर्वे। स्वास्थ्य मंत्रलय को भेजी रिपोर्ट। अब स्वीडन की तर्ज पर तंबाकू उत्पादन के लिए देश में पहली बार बन रही नीति।

By Amit SinghEdited By: Publish:Wed, 18 Jul 2018 12:59 PM (IST) Updated:Wed, 18 Jul 2018 04:02 PM (IST)
EXCLUSIVE: तंबाकू उत्पादन का गलत तरीका बढ़ा रहा मुंह का कैंसर
EXCLUSIVE: तंबाकू उत्पादन का गलत तरीका बढ़ा रहा मुंह का कैंसर

नोएडा (ललित विजय)। देश में मुंह के कैंसर के बढ़ रहे मरीजों की वजह केवल तंबाकू सेवन ही नहीं है। तंबाकू उत्पादन के गलत तरीकों की वजह से भी देश में प्रति वर्ष मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या में 30 से 40 फीसदी का इजाफा हो रहा है। यह चौंकाने वाली जानकारी नोएडा के सेक्टर-39 स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च (एनआइसीपीआर) द्वारा 140 देशों में किए गए विश्लेषण में सामने आया है।

इस दौरान यह भी पता चला है कि यूरोप, अमेरीका, अफ्रीका व एशिया के अन्य देशों की तुलना में भारत में तंबाकू उत्पादन का तरीका सबसे खतरनाक है। दो साल में तैयार हुई ये विश्लेषण रिपोर्ट केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दी गई है। इसे नरेन्द्र मोदी सरकार ने बहुत गंभीरता से लिया है। इसी का नतीजा है कि देश में पहली बार तंबाकू उत्पादन के लिए गाइड लाइन बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। केन्द्र सरकार इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ कृषि मंत्रालय का भी सहयोग ले रही है।

स्वीडन की तर्ज पर होगी उत्पादन नीति
एनआइसीपीआर के विश्लेषण में ये बात भी सामने आई है कि चबाने वाले तंबाकू से मुंह के कैंसर का खतरा सबसे कम स्वीडन में है। इसके लिए वहां तंबाकू उत्पादन के लिए बनी पुख्ता नीति को वजह माना जाता है। एनआइसीपीआर ने अपनी रिपोर्ट में स्वीडन की तंबाकू उत्पादन नीति का भी जिक्र किया है। इसी नीति को आधार बनाकर भारत में भी तंबाकू उत्पादन की गाइड लाइन तैयार की जा रही है।

स्वीडन में ऐसी है तंबाकू उत्पादन नीति
स्वीडन में तंबाकू उत्पादन की गाइड लाइन के तहत तंबाकू के पौधे को एक तय तापमान वाले क्षेत्र में ही उगाया जाता है। फिर पत्तों को निर्धारित आद्रता में काटकर रखा जाता है। भंडारण के लिए भी अलग व्यवस्था है। पत्तों की कटाई खुले में नहीं होती है।

महिलाओं को मुंह के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है
एनआइसीपीआर की रिपोर्ट में सामने आया है कि मुंह के कैंसर के मरीजों में महिलाओं की संख्या ज्यादा है। वह छुपाकर तंबाकू का सेवन करती हैं। वह तंबाकू को ज्यादा देर तक मुंह में दबाकर रखती हैं। इससे कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। गर्भवती महिलाओं के तंबाकू सेवन से गर्भ में पल रहे बच्चे में विकृति की आशंका रहती है।

5000 रिसर्च के अध्ययन के बाद तैयार हुई रिपोर्ट
प्रोफेसर रवि मेहरोत्रा (डायरेक्टर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च, नोएडा) ने बताया कि भारत में मुंह के कैंसर के मरीजों की बढ़ती संख्या रोकने के लिए केंद्र सरकार ने दो साल पहले विश्लेषण करने के निर्देश दिए थे। 140 देशों के पांच हजार रिसर्च की स्टडी हुई, जिसके आधार पर विश्लेषण रिपोर्ट तैयार हुई है। इसमें पता चला कि तंबाकू उत्पादन की खराब गुणवत्ता से मुंह के कैंसर के मरीज बढ़ रहे हैं। अब केंद्र सरकार तंबाकू उत्पादन के लिए नीति तैयार कर रही है।

देश में तंबाकू के बड़े उत्पादक राज्य
कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, असम, छत्तीसगढ़, गुजरात

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