जानिए कौन से स्मार्ट खिलौने बच्चों के लिए हैं फायदेमंद व सुरक्षित, खेलेंगे और सीखेंगे भी
पारंपरिक भारतीय खिलौने दुनियाभर में पसंद किए जाते रहे हैं पर तकनीक के साथ ये खिलौने अब बदलने लगे हैं यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित खिलौनों का चलन बढ़ने लगा है। ये न सिर्फ बच्चों को स्मार्ट और क्रिएटिव बना रहे हैं बल्कि सवालों के जवाब भी देते हैं।
नई दिल्ली [अमित निधि]। हागी टाक एक इंटरैक्टिव खिलौना है,जो बच्चों के दोस्त की तरह है। विज्ञान हो या फिर कोई और विषय, यह उनसे जुड़े सवालों के जवाब बड़ी आसानी से दे देता है। इसी तरह बेंगलुरु स्थित कंपनी प्लेशिफू ने एआइ आधारित कई लर्निंग टाय तैयार किए हैं, जिन्हें मोबाइल एप से कनेक्ट करने के बाद चीजों की जानकारी 3डी में हासिल की जा सकती है। बात करने वाले ये खिलौने बच्चों के लिए मनोरंजन का एक नया साधन बनते जा रहे हैं। क्योंकि एआइ (आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस) पर आधारित खिलौने बच्चों को न केवल नये इंटरैक्टिव अनुभव प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें इनसे बहुत कुछ सीखने को भी मिलता है।
क्यों खास हैं ये स्मार्ट खिलौने
स्मार्ट खिलौने इंटरैक्टिव डिवाइस हैं, जिसका मतलब है कि ये आपकी बातों पर प्रतिक्रिया कर सकते हैं, बातचीत से सीख सकते हैं और पहले से प्रोग्राम किए गए पैटर्न के अनुसार व्यवहार करने का तरीका चुन सकते हैं। कुछ खिलौने वायस रिकाग्निशन का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ में टच सेंसर होते हैं। वहीं कुछ एप्स के माध्यम से बच्चों के साथ बातचीत करते हैं। पहले स्मार्ट खिलौनों में इटेलीजेंस के लिए आनबोर्ड इलेक्ट्रानिक्स का उपयोग किया जाता था। इनमें रेडियो से नियंत्रित होने वाले ट्रक, गेमपैड, वाकी-टाकी, रोबोट आदि शामिल होते थे। मगर अब ये खिलौने भी तकनीक के साथ बदलने लगे हैं।
स्पीच रिकाग्निशन, नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग की समझ के साथ ये स्मार्ट खिलौने बच्चों के मनोरंजन और एजुकेशन को नये स्तरों पर ले जा रहे हैं। ये स्मार्ट खिलौने अपने मानवीय हाव-भाव से न सिर्फ बच्चों को आकर्षित करते हैं,बल्कि बिल्ट-इन सेंसर की मदद से बच्चों के सवालों का जवाब भी देते हैं। ये खिलौने दिखते भी स्मार्ट हैं।
एआइ आधारित खिलौनों के फायदे
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित खिलौने जिस प्रकार बच्चों से संवाद करते हैं, उनके प्रश्नों का उत्तर देते हैं, उससे बच्चों को काफी कुछ सीखने को मिलता है
सामाजिक कौशल
जब बच्चे स्मार्ट खिलौनों से खेलते हैं तो उनमें तर्कशक्ति और निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। पहेलियों या फिर क्विज जैसे खिलौने स्वतंत्र रूप से सोचने की उनकी क्षमता विकसित बढ़ाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चे इनके जरिए भी उचित सामाजिक व्यवहार सीख सकते हैं। एआइ पर आधारित कुछ खिलौने अच्छी और बुरी भावनाओं को समझ सकते हैं। उदाहरण के लिए कुछ खिलौनों को इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि अगर उनके साथ दुर्व्यवहार होता है तो वे उदास हो जाते हैं। फिर बच्चों को इनके साथ खेलने के लिए सही शब्द खोजने पड़ते हैं।
कल्पना शक्ति का विकास
प्रत्येक बच्चा खेलते समय अपने खिलौनों के चारों ओर एक नई दुनिया बना लेता है। एआइ पर आधारित खिलौना उन्हें इस दुनिया को और विकसित करने में मदद कर सकता है। यह खिलौना उनकी रुचि और एक्सप्लोर करने की क्षमता को प्रोत्साहित करता है।
सीखने की क्षमता
स्मार्ट खिलौने बच्चों के सीखने की क्षमता को भी विकसित करते हैं। अलग-अलग उम्र के हिसाब से खिलौने भी भिन्न हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि स्मार्ट खिलौने बच्चों को डिजिटल दुनिया से परिचित कराते हैं। बच्चों का जितना जल्दी कंप्यूटर इंटरैक्शन होता है,उनका कौशल उतना ही अधिक विकसित होता है। कुछ खिलौने एसटीईएम यानी साइंस, टेक्नोलाजी, इंग्लिश, मैथ विषयों पर आधारित होते हैं, जो बच्चों को बुनियादी प्रोग्रामिंग के बारे में भी बताते हैं। खासकर जो कामकाजी माता-पिता हैं, उनके बच्चों के बीच ये खिलौने अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं।
सिखाते भी हैं स्मार्ट खिलौने
इन दिनों बाजार में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित ढेरों खिलौने मौजूद हैं। इनमें कुछ ऐसे भी हैं,जो बच्चों की सीखने की क्षमता को विकसित करते हैं। इनमें प्रमुख हैं
ट्विन साइंस आटोनोमस किट
यह एआइ आधारित टाय उन बच्चों के लिए आदर्श है, जो क्रिएटिव हैं। ट्विन साइंस आटोनोमस व्हीकल किट बच्चों के लिए सेल्फ-ड्राइविंग कार है, जिसे वे खुद ही तैयार कर सकते हैं। इस किट की मदद से बच्चे सेल्फ-ड्राइविंग कार बनाना सीख सकते हैं। इनमें सेंसर, कैमरा और मोटर भी शामिल होते हैं।
इंटेलिनो स्मार्ट ट्रेन
यह बच्चों को बुनियादी कोडिंग सिखाने वाला टाय है। यह स्मार्ट ट्रेन का एक सेट है, जिससे बच्चों को कोडिंग सीखने में मदद मिल सकती है। बच्चे पटरियों पर रंगीन टाइलें लगाकर या फिर एप से इसे नियंत्रित करके ट्रेन को कमांड दे सकते हैं।
लेगो वीडियो
लेगो वीडियो एक म्यूजिक वीडियो मेकर है, जो आग्युमेंटेड रियलिटी का उपयोग करता है। एप की मदद से बच्चे म्यूजिक वीडियो के लिए खुद स्टार को चुन सकते हैं और उन्हें निर्देशित भी कर सकते हैं। इसके लिए लेगो वीडियो में मिनी-कैरेक्टर भी मिलते हैं।
प्लेशिफू प्लगो
प्लेशिफू प्लगो आग्युमेंटेड एजुकेशनल रियलिटी गेमिंग किट है। टैबलेट पर गेम खेलने के लिए बच्चे वास्तविक दुनिया के खिलौनों का उपयोग करते हैं। इसकी मदद से बच्चे स्पेलिंग, म्यूजिक, मैथ्स, साइंस आदि से जुड़ी चीजों को सीख सकते हैं।
रायबी रोबोट
रायबी रोबोट एजुकेशनल एआइ-संचालित रोबोट है। यह रोबोट भाषा, विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और मैथ्स से जुड़े लेसंस के बारे में बताता और सिखाता है। इसे दो से आठ वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए डिजाइन किया गया है। यह कई लैंग्वेज सपोर्ट से लैस है। यह न सिर्फ बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करता है, बल्कि स्पीच और लैंग्वेज स्किल में भी सुधार लाता है।
लेका अल्फा
स्पेशल बच्चों के लिए लेका अल्फा एक खास रोबोट है। यह इंटरैक्टिव रोबोट है, जो बच्चों को सामाजिक बातचीत के लिए प्रोत्साहित करता है। खास बात यह है कि इस रोबोट को बच्चे की व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से अनुकूलित किया जा सकता है। इसे घरेलू उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। रोबोट बच्चों में संज्ञानात्मक, शारीरिक और भावनात्मक कौशल को विकसित करने के लिए गति, रौशनी और गेम का उपयोग करता है।
कोडरमाइंड्ज
कोडरमाइंड्ज बोर्ड गेम है। यह बोर्ड गेम बच्चों को एआइ के बारे में सिखाता है। इसकी मदद से बच्चे एआइ के बेसिक कांसेप्ट को सीख सकते हैं।
एआर ग्लोब आर्बूट डायनोस
भारतीय कंपनी प्ले शिफू ने बच्चों के लिए बेहद दिलचस्प एआर ग्लोब आर्बूट डायनोस तैयार किया है। जो बच्चे डायनासोर के बारे में जानना चाहते हैं, उनके लिए इसमें 500 से अधिक फैक्ट्स दिए गए हैं। यहां पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पाए जाने वाले डायनासोर को एक्सप्लोर करने के लिए आर्बूट डायनो एप को अपने एंड्रायड और आइओएस डिवाइस में डाउनलोड करना पड़ेगा। इसके बाद एप के जरिए ग्लोब के ऊपर बने डायनासोर को जैसे ही स्कैन करेंगे, ग्लोब पर 3डी इमेज दिखाई देगी। इतना ही नहीं, ये डायनासोर अपने बारे में खुद बताते हैं कि उन्हें क्या पसंद हैं और क्या नहीं। यहां पर एक्सप्लोर मोड और डायनो क्लाक एडवेंचर्स जैसे फीचर्स भी मिलेंगे। बच्चों की लर्निंग के हिसाब से यह दिलचस्प है।
ये सावधानियां हैं जरूरी
स्मार्ट एआइ खिलौना नई चीज है। मगर इस पर पूरी तरह से निर्भरता भी ठीक नहीं है। खिलौना, गुड़िया या फिर रोबोट कभी भी एक व्यक्ति की जगह नहीं ले सकता है। खिलौनों में भावनाएं नहीं होतीं। इन पर लंबे समय तक निर्भरता वास्तविक दुनिया से अलगाव का कारण बन सकती है। इससे बच्चों में वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर करने की कठिनाई हो सकती है। स्मार्ट खिलौने की तुलना बच्चे के काल्पनिक मित्र से की जा सकती है, लेकिन पैरेंट्स को ध्यान रखना चाहिए कि ये कभी भी वास्तविक दोस्त की जगह नहीं ले सकते। बच्चे बातचीत करते समय बड़ों व अन्य बच्चों से सहानुभूति और शारीरिक हावभाव की भाषा सीखते हैं। पैरेंट्स की जिम्मेदारी होती है कि उनका बच्चा क्या देखता या सुनता है। बच्चे की निजता के अधिकार के लिए कोई विशेष नियम नहीं हैं। कुछ निर्माता बच्चों से जुड़ी कुछ जानकारियां एकत्र कर सकते हैं। इसके पीछे उनका तर्क होता है कि वे इसका उपयोग खिलौनों के प्रशिक्षण और सुधार के लिए करते हैं। हालांकि ऐसी जानकारी गलत हाथों में पड़ सकती है। कामकाजी माता-पिता के लिए टाकिंग टाय एक बेहतरीन खोज है। ये डिवाइस बच्चों के साथ संचार की कमी की भरपाई कर सकते हैं, जब उनके आसपास कोई न हो।