Nirbhaya Case: जानिए कौन हैं AP Singh, जिनके कानूनी दांवपेच से बार-बार टल रही फांसी

Nirbhaya Case मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले वकील एपी सिंह की मानें तो उन्होंने अपनी मां के कहने पर यह केस अपने हाथ में लिया।

By JP YadavEdited By: Publish:Mon, 02 Mar 2020 04:54 PM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 07:29 AM (IST)
Nirbhaya Case: जानिए कौन हैं AP Singh, जिनके कानूनी दांवपेच से बार-बार टल रही फांसी
Nirbhaya Case: जानिए कौन हैं AP Singh, जिनके कानूनी दांवपेच से बार-बार टल रही फांसी

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Nirbhaya Case: निर्भया मामले में दोषियों के वकील एपी सिंह (Advocate AP Singh) इन दिनों खासी चर्चा में हैं। दरअसल, एपी सिंह के कानूनी दांव पेच के चलते ही निर्भया के चारों दोषी (विनय कुमार शर्मा, पवन कुमार गुप्ता, मुकेश सिंह और अक्षय कुमार सिंह) कई महीने से फांसी से बचते चले आ रहे हैं। सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में भी यही हुआ, जब उन्होंने अपने कानूनी दांवपेच से मंगलवार सुबह होने वाली चारों दोषियों की फांसी की सजा टल गई है। आइये जानते हैं एपी सिंह के बारे, जिनकी कानूनी पैंतरेबाजी से निर्भया के दोषी अब तक फांसी से बचते रहे हैं। 

मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले एपी सिंह कई सालों से दिल्ली में ही रहकर वकालत कर रहे हैं। यहां पर वह अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं। वर्ष, 2013 में जब कोई भी वकील निर्भया के दोषियों का केस लड़ने के लिए आगे नहीं आ रहा था तो एपी सिंह ने आगे बढ़कर यह केस अपने हाथ में लिया था और 7 साल बाद भी दोषियों के पक्ष में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। निर्भया मामले में दोषियों का केस लड़ने के दौरान वह कई बार निचली अदालत से लेकर दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक से फटकार खा चुके हैं। यहां तक कि उन पर इस मामले में हजारों रुपये का फाइन भी लग चुका है। वहीं, एपी सिंह का मानना है कि यह वकालत के पेशे का एक हिस्सा है। एपी सिंह ने लखनऊ विश्वविद्यालय से लॉ ग्रेजुएट होने के साथ डॉक्टरेट की डिग्री भी ली है। कुलमिलाकर वह बेहद पढ़े-लिखे वकीलों में शुमार होते हैं। एपी सिंह ने 1997 में सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू की थी। इसके बाद से लगातार वह मुकदमे लड़ते आ रहे हैं। वह चर्चा में तब आए जब अपने वकालत के करियर में वह पहली बार वर्ष, 2012 में साकेत कोर्ट में निर्भया के दोषियों की ओर से पेश हुए थे। एपी सिंह की मानें तो उन्होंने अपनी मां के कहने पर यह केस अपने हाथ में लिया। वह बताते हैं कि अक्षय को जब दुष्कर्म के आरोप में पकड़ गया था, तब उसके तीन महीने का बच्चा था। ऐसे में उसके ऊपर दया आई और उन्होंने अपनी मां के कहने पर यह केस लड़ने का फैसला लिया।  16 दिसंबर, 2012 को निर्भया के साथ दक्षिण दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। सामूहिक दुष्कर्म के दौरान सभी 6 दरिंदों ने इस कदर निर्भया को शारीरिक प्रताड़ना दी कि उसकी इलाज के दौरान मौत हो गई।  फास्ट ट्रैक में मुकदमा चला, जिसके बाद निचली अदालत, दिल्ली हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट चार दोषियों विनय, मुकेश, पवन और अक्षय को फांसी की सजा सुना चुका है। 

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