जानिए कौन हैं जितेंद्र सिंह शंटी और मौलाना वहीदुद्दीन, जिन्हें मिलेगा पद्म अवार्ड

शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी को केंद्र सरकार ने समाजेसवा के लिए पदमश्री देने की घोषणा की है। जितेंद्र सिंह शंटी खुद 102 बार रक्तदान कर रिकार्ड कायम कर चुके हैं। इनके कार्यों को देखते हुए उन्हें पदम श्री देने की घोषणा की है।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 01:13 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 01:21 PM (IST)
जानिए कौन हैं जितेंद्र सिंह शंटी और मौलाना वहीदुद्दीन, जिन्हें मिलेगा पद्म अवार्ड
शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी

नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। शहीद भगत सिंह सेवा दल के संस्थापक जितेंद्र सिंह शंटी को केंद्र सरकार ने समाजेसवा के लिए पदमश्री देने की घोषणा की है। झिलमिल वार्ड से दो बार पार्षद और शाहदरा से विधायक रह चुके जितेंद्र सिंह शंटी पिछले करीब 26 सालों से शहीद भगत सिंह सेवा दल नामक संस्था चला रहे हैं। यह संस्था निश्शुल्क एंबुलेंस सेवा उपलब्ध कराती है।

कोरोना काल में भगत सिंह सेवा दल ने समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया। कोरोना मरीजों को अस्पताल से घर और घर से अस्पताल पहुंचाने से शुरू हुआ सफर शवों को ढोने तक पहुंच गया। संस्था की तरफ से अब तक कोरोना के मरीजों के 965 शवों को अंतिम स्थल तक पहुंचाया गया और उनका अंतिम संस्कार भी निश्शुल्क किया गया। इसके साथ संस्था की तरफ से रक्तदान शिविर का भी आयोजन किया जाता है।

जितेंद्र सिंह शंटी खुद 102 बार रक्तदान कर रिकार्ड कायम कर चुके हैं। इन कार्यों को देखते हुए ही उन्हें पदम श्री देने की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने की है। इस पुरस्कार की घोषणा के बाद जितेंद्र सिंह शंटी को बधाई देने वालों का तांता लग गया। जितेंद्र सिंह शंटी ने कहा कि यह उनके लिए गौरव की बात है। उनकी आंखों में आज खुशी के आंसू हैं। इतने सालों की मेहनत के बाद यह पुरस्कार मिला है।

मौलाना वहीदुद्दीन को पद्म विभूषण

वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्ध इस्लामिक दर्शन धर्मगुरु मौलाना वहीदुद्दीन खान को पद्म विभूषण से सम्मानित करने की घोषणा की है। जंगपुरा में रहने वाले व आजमगढ़ के मूल निवासी वहीदुद्दीन खान विख्यात इस्लामिक दर्शन विद्वान हैं। वे लोगों को कट्टरवादी सोच के बंधन से मुक्त कर उसे मानवीय मूल्यों के करीब लाने की कोशिशों में जुटे रहे और इस्लाम मतावलंबियों को दर्शन का पाठ पढ़ाया। उन्हें डेमिर्गुस पीस इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। वर्ष 2000 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इन्होंने कुरान का सरल और समकालीन अंग्रेजी में अनुवाद किया है और कुरान पर एक टिप्पणी भी लिखा है। देश के प्रमुख चैनलों पर यह व्याख्यान भी देते हैं।

उनकी बेटी फरीदा खानम ने बताया कि देश के लिए उन्होंने काफी कुछ किया। देश में शांति और सद्भाव के लिए उन्होंने पदयात्रएं कीं, लेख लिखे, लोगों से मुलाकातें कर उन्हें सच्चाई और देशभक्ति का मार्ग दिखाया। जिस आदमी ने उनके मकान पर कब्जा किया वह उसे भी दुआएं देते हैं।

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