ये हैं आज के अर्जुनः विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को भी किया फतह

अर्जुन आठ हजार मीटर से ऊंची छह चोटियों पर चढ़ाई करने वाले विश्व के सबसे कम उम्र के पर्वतारोही हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Sat, 26 May 2018 05:49 PM (IST) Updated:Sun, 27 May 2018 07:55 AM (IST)
ये हैं आज के अर्जुनः विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को भी किया फतह
ये हैं आज के अर्जुनः विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को भी किया फतह

नोएडा (जेएनएन)। पर्वतारोही अर्जुन वाजपेयी ने विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा (के-2) (8586 मीटर) फतह कर अपने नाम विश्व रिकॉर्ड दर्ज करा लिया है। वह आठ हजार मीटर से ऊंची छह चोटियों पर चढ़ाई करने वाले विश्व के सबसे कम उम्र के पर्वतारोही हैं। 24 वर्ष की उम्र में यह उपलब्धि हासिल की। अर्जुन ने यह कारनामा 20 मई को सुबह आठ बजकर पांच मिनट पर किया। इस दौरान उनके साथ इटली के पर्वतारोही एलेक्स

डी इमिलिया भी थे। अर्जुन वाजपेयी शहर के नोएडा स्थित सेक्टर-51 के निवासी हैं। वह 2017 में भी कंचनजंगा को फतह करने के लिए अभियान पर गए थे, लेकिन तब खराब मौसम की वजह से उन्हें लौटना पड़ा था।

अर्जुन ने 2010 में महज 16 साल की उम्र में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह किया था। उस वक्त वह यह कारनामा करने वाले वह दुनिया के तीसरे सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बने थे। उनके पिता कैप्टन संजीव वाजपेयी ने बताया कि अर्जुन ने कंचनजंगा पर चढ़ाई की शुरुआत 17 मई से की थी।

उनकी टीम में पांच लोग थे। इनमें से दो लोग तबीयत खराब होने के कारण लौट आए। कंचनजंगा फतह करने के बाद वे लोग शुक्रवार शाम पांच बजे तक बेस कैंप (5400 मीटर) से नीचे सेरम नामक स्थान करीब (3,900 मीटर) पर पहुंच गए हैं। वहीं, अर्जुन का कहना है कि हमारे साथ बहुत अच्छी टीम थी।

अर्जुन का कहना है कि वह अब आठ हजार मीटर से ऊंची विश्व की सभी 14 चोटियों को फतह करना चाहते हैं। अभी यह रिकॉर्ड नेपाल के छांग दावा शेरपा के नाम दर्ज है। उन्होंने महज 30 वर्ष की उम्र में यह कीर्तिमान बनाया था।

माउंट कलाम चोटी खोजी

अर्जुन ने अपने एक साथी के साथ वर्ष 2015 में हिमाचल प्रदेश में छह हजार मीटर ऊंची वर्जिन पीक को फतह किया था। वह इस चोटी पर पहुंचने वाले पहले शख्स थे। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति किसी चोटी पर पहली बार पहुंचता है वो उसका नाम रख सकता है। इसलिए उन्होंने इस चोटी को डॉ. कलाम का नाम दिया है। साथ ही बेस कैंप का नाम एबी रखा था।

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