जल बोर्ड के नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा हिंदू काॅलेज

हिंदू काॅलेज की तरफ से अधिवक्ता शुभम महाजन व अधिवक्ता नितेश जैन ने याचिका दायर की। उन्होंने दलील दी कि हिंदू काॅलेज के पास अपना 500 किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला(एसटीपी है। साथ ही पांच से छह हजार छात्रों व निवासियों के लिए पानी का स्वीकृत कनेक्शन भी है।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 04:06 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 04:06 PM (IST)
जल बोर्ड के नोटिस के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा हिंदू काॅलेज
पीठ ने जल बोर्ड को 28 जुलाई तक हलफानामा दायर करने का निर्देश दिया।

नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। अवसंरचना निधि शुल्क (आइएफसी) के तहत पानी व सीवर के लिए 55.51 लाख रुपये का नोटिस भेजे जाने के खिलाफ हिंदू काॅलेज की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) से जवाब मांगा है। हिंदू काॅलेज ने याचिका में डिमांड नोटिस को अवैध व मनमाना बताते हुए इसे रद करने की मांग करने के साथ ही परिसर में अतिरिक्त निर्माण के लिए आइएफसी के बिना पानी व सीवर के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने के संबंध में निर्देश देने की मांग की है।

याचिका पर न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा की पीठ ने जल बोर्ड को 28 जुलाई तक हलफानामा दायर करने का निर्देश दिया।

याचिका में हिंदू काॅलेज ने कहा कि आइएफसी के तहत 55.51 लाख रुपये जल बोर्ड को जमा करने को तैयार है, ताकि एनओसी जारी हो सके, साथ ही कहा कि अगर याचिका पर उनके हक में फैसला आए तो यह रकम उन्हें वापस कर दी जाए। हिंदू काॅलेज की दलील पर पीठ ने जल बोर्ड को निर्देश दिया कि रकम जमा करने के एक सप्ताह के अंदर एनओसी जारी की जाए, ताकि काम प्रभावित न हो।

हिंदू काॅलेज की तरफ से अधिवक्ता शुभम महाजन व अधिवक्ता नितेश जैन ने याचिका दायर की। उन्होंने दलील दी कि हिंदू काॅलेज के पास अपना 500 किलोलीटर प्रतिदिन की क्षमता वाला सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) है। साथ ही पांच से छह हजार छात्रों व निवासियों के लिए पानी का स्वीकृत कनेक्शन भी है। ऐसे में वे बिना आइएफसी का भुगतान किए एनओसी पाने का हकदार हैं।

उन्होंने दलील दी कि हिंदू काॅलेज एक प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान है और पानी उपलब्ध कराना जल बोर्ड की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि हिंदू काॅलेज एक अतिरिक्त तल का निर्माण कर रहा है और इसके लिए पानी व सीवर के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र की मांग करते हुए 29 जनवरी, 2020 को आवेदन किया था। उस समय आइएफसी सिर्फ सरकारी विकास संस्थाओं पर लागू होता था, जबकि अक्टूबर 2020 में इसमें संशोधन किया गया था। ऐसे में संशोधित नीति पर उन पर लागू नहीं की जा सकती है, क्योंकि यह सिर्फ एक प्रशासनिक फैसला था।

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