High Speed Train: दिल्ली से वाराणसी के बीच जल्द दौड़ेगी हाई स्पीड ट्रेन, जानिये- कहां तक पहुंची बात

High Speed Train नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (National High Speed Rail Corporation Limited) जमीनी सर्वेक्षण करने के लिए लेजर बीम वाले उपकरणों से सुसज्जित हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसे लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक कहते हैं।

By JP YadavEdited By: Publish:Wed, 09 Dec 2020 10:30 AM (IST) Updated:Wed, 09 Dec 2020 10:30 AM (IST)
High Speed Train: दिल्ली से वाराणसी के बीच जल्द दौड़ेगी हाई स्पीड ट्रेन, जानिये- कहां तक पहुंची बात
रेल परियोजना के लिए जमीन सर्वे काफी चुनौती भरा काम है।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। अगले कुछ वर्षों में दिल्ली से वाराणसी के बीच हाई स्पीड ट्रेन चलाने का प्रस्ताव है और इस दिशा में काम शुरू हो गया है। दोनों प्रमुख शहरों के बीच प्रस्तावित हाई स्पीड ट्रेन कॉरिडोर के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार किया जा रहा है। नेशनल हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (National High Speed Rail Corporation Limited) जमीनी सर्वेक्षण करने के लिए लेजर बीम वाले उपकरणों से सुसज्जित हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जाएगा। इसे लिडार (लाइट डिटेक्शन एंड रेंजिंग) तकनीक कहते हैं। पहली बार इसका प्रयोग अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के सर्वे के लिए किया गया था। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि रेल परियोजना के लिए जमीन सर्वे काफी चुनौती भरा काम होता है। सर्वे में प्रस्तावित रेल ट्रैक और उसके आसपास के क्षेत्र का सही विवरण जुटाया जाता है। जमीन की प्रकृति, भोगोलिक स्थिति, दो स्थानों के बीच की दूरी सहित कई तरह के आंकड़े एकत्र किए जाते हैं। इसी के अनुरूप परियोजना का खाका तैयार होता है।

मिली जानकारी के मुताबिक, लिडार सर्वे से सही जानकारी मिलेगी। इस तकनीक में लेजर डेटा, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) डेटा, वास्तविक तस्वीरों का प्रयोग किया जाता है। हेलिकॉप्टर से होने वाले इस सर्वे में हाई स्पीड कॉरिडोर पर होने वाले निर्माण के स्थान चिन्हित किए जाएंगे। सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी के अनुसार ऊध्र्वाधर व क्षैतिज मार्ग का संरेक्षण, संरचनाओं की बनावट, स्टेशन और लोको डिपो, कॉरिडोर के लिए आवश्यक जमीन, इस परियोजना से प्रभावित होने वाली जमीन, ट्रैक तक पहुंचने के रास्ते आदि के स्थान निर्धारित किए जाएंगे।

अधिकारियों ने बताया कि अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कॉरिडोर में यह तकनीक कारगर साबित हुआ था। परंपरागत तरीके से सर्वे करने में लगभग एक साल का समय लगता लेकिन लिडार तकनीक से यह काम मात्र तीन माह में पूरा कर लिया गया था। इसे देखते हुए अब दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल कॉरिडोर में भी इसका प्रयोग किया जा रहा है। प्रस्तावित कॉरिडोर के लिए जमीनी सर्वेक्षण का प्रारंभिक काम शुरू हो गया है। 13 दिसंबर से आंकड़े एकत्र करने का काम किया जाएगा।

सैन्य मंत्रालय से हेलिकॉप्टर उड़ाने की अनुमति भी मिल गई है। इस प्रस्तावित कॉरिडोर की लंबाई लगभग आठ सौ किलोमीटर होगी। यह ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों, घनी आबादी वाले इलाके, राष्ट्रीय राजमार्ग, नदी और मैदानी क्षेत्र से होकर गुजरेगा। अधिकारियों ने बताया कि इस कॉरिडोर पर कितने रेलवे स्टेशन बनेंगे, इस बारे में अबतक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। केंद्र सरकार व राज्य सरकार से सलाह करने के बाद स्टेशन निर्धारित किए जाएंगे।  

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