दिल्ली के स्कूलों और छात्रों के लिए जरूरी खबर, केजरीवाल सरकार ने जारी किए आवश्यक निर्देश

दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया कि वो उन जगहों की पहचान करें जहां से गंभीर परिस्थिति मौसमी स्थिति या बाहरी खतरे से तुरंत स्कूल से सुरक्षित बाहर निकला जा सके। वहीं स्कूल के अंदर भी एक सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करें और उसके लिए अलग से नियम भी स्थापित करें। स्कूल में सभी आवश्यक समान लैस प्राथमिक चिकित्सा कक्ष तैयार रखें।

By Ritika Mishra Edited By: Sonu Suman Publish:Mon, 06 May 2024 09:10 PM (IST) Updated:Mon, 06 May 2024 09:10 PM (IST)
दिल्ली के स्कूलों और छात्रों के लिए जरूरी खबर, केजरीवाल सरकार ने जारी किए आवश्यक निर्देश
दिल्ली के स्कूलों और उसमें पढ़नेवाले छात्रों के लिए जरूरी खबर

HighLights

  • स्कूलों के अंदर सुरक्षित जगहों की हो पहचान
  • आपदा प्रबंधन समिति का स्कूलों में हो गठन
  • शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों के लिए जारी की एसओपी

रीतिका मिश्रा, नई दिल्ली। स्कूलों के अंदर आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने, आपदाओं को रोकने और उनसे बचाव को लेकर रणनीतियों को तैयार करने को लेकर शिक्षा निदेशालय ने मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) जारी की है। निदेशालय ने एसओपी को सभी हितधारकों के साथ साझा किया है। इसमें प्रधानाचार्य, शिक्षक, छात्र, अभिभावक और स्थानीय अधिकारी शामिल है।

निदेशालय ने प्रधानाचार्यों को निर्देश दिया कि वो उन जगहों की पहचान करें, जहां से गंभीर परिस्थिति, मौसमी स्थिति या बाहरी खतरे से तुरंत स्कूल से सुरक्षित बाहर निकला जा सके। वहीं, स्कूल के अंदर भी एक सुरक्षित क्षेत्रों की पहचान करें और उसके लिए अलग से नियम भी स्थापित करें। इसके साथ ही बुनियादी प्राथमिक चिकित्सा और सीपीआर में स्टाफ के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करें। स्कूल में सभी आवश्यक समान लैस प्राथमिक चिकित्सा कक्ष तैयार रखें।

आपातकालीन आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित करें

साथ ही स्कूल में आपातकालीन आपूर्ति जैसे टार्च, बैटरी, भोजन, पानी और कंबल की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करें। वहीं, आपातकालीन उपकरणों का नियमित रूप से निरीक्षण भी किया जाए। वहीं, आपातकालीन स्थिति के दौरान छात्रों, कर्मचारियों और स्कूल कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई को देखते हुए सोच-समझकर और समय पर निर्णय लें।

निदेशालय ने निर्देश दिया कि प्रधानाचार्य व्यापक विकास के लिए आपदा प्रबंधन समिति के साथ काम करें और ये सुनिश्चित करे कि स्थापित आपदा प्रबंधन नीतियों को प्रभावी ढंग से पालन किया जाए।

प्रधानाचार्यों, शिक्षकों, विद्यार्थियों व स्थानीय अधिकारी के लिए निर्देश

- स्कूल परिसर के अंदर संभावित खतरों और जोखिमों की पहचान करने के लिए समिति के साथ सहयोग करें।

- आपातकालीन परिस्थिति में स्कूल से निकलने के लिए योजना तैयार रखें।

- विद्यालय में आपदा प्रबंधन समिति की स्थापना करना और उसका नेतृत्व करना। इसमें स्टाफ कर्मचारी, शिक्षक और अन्य संबंधित हितधारक शामिल होंगे।

- ये सुनिश्चित करें कि समिति के सदस्यों को आपदा से निपटने के लिए उचित प्रशिक्षण मिले।

- आवश्यक संसाधनों की पहचान, आपूर्ति व संचार उपकरण के लिए समिति के साथ काम करें।

- आपदाओं से निपटने के लिए बजट बनाएं।

- आपातकाल के दौरान व बाद में सुनिश्चित करें कि सूचना पहले प्रभावी ढंग से संप्रेषित की गई है।

- नियमित आपातकाल की योजना बनाने और उसका संचालन करने के लिए समिति के साथ सहयोग करें।

- यह सुनिश्चित करें कि सभी हितधारक स्कूल से सुरक्षित निकलने के प्रोटोकॉल से अच्छे से परिचित हों

- प्रशिक्षण अभ्यासों की प्रभावशीलता का आकलन करें और तैयारियों में सुधार करें।

- स्थानीय अधिकारी से साथ समन्वय स्थापित करें।

- बाहरी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करें।

- माता-पिता को स्कूल में आपदा के बारे में सूचित रखें।

- आपातकालीन स्थिति के दौरान माता-पिता को उनकी भूमिका के बारे में शिक्षित करें और उन्हें स्कूल आपदा प्रबंधन योजना में भागीदारी के लिए प्रोत्साहित करें।

-स्कूल परिसर में और आसपास संभावित खतरों जैसे प्राकृतिक आपदाओं (भूकंप, बाढ़, तूफान), तकनीकी खतरों (बिजली कटौती, गैस रिसाव) और मानव निर्मित खतरे (घुसपैठिए, हिंसा) से निपटने के लिए तैयार रहें।

- एक आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम स्थापित करें जिसमें जिम्मेदार प्रशिक्षित व्यक्ति शामिल हों।

- प्राथमिक सदस्यों सहित टीम के सदस्यों को विशिष्ट भूमिकाएं और जिम्मेदारियां सौंपें।

- एक स्पष्ट संचार योजना विकसित करें जिसमें यह बताया जाए कि आपात स्थिति में सूचना का प्रसार कैसे किया जाएगा।

- छात्रों, कर्मचारियों और अभिभावकों के लिए आपातकालीन संपर्क जानकारी की एक अद्यतन सूची बनाए रखें।

- सुनिश्चित करें कि संपर्क जानकारी में संचार के कई माध्यम (फोन नंबर व ईमेल) हो।

- विभिन्न प्रकार की आपात स्थितियों के लिए प्राथमिक और द्वितीयक निकासी मार्ग निर्दिष्ट करें व छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों को इससे परिचित कराने के लिए नियमित निकासी अभ्यास आयोजित करें।

- आपातकाल के बाद की छात्रों, कर्मचारियों और स्कूल समुदाय को मनोवैज्ञानिक सहायता और परामर्श देना।

- आपदा प्रबंधन की प्रभावशीलता की नियमित समीक्षा और मूल्यांकन करें।

- शिक्षक विद्यार्थियों को माक ड्रिल, भूकंप सहित नियमित आपातकालीन ड्रिल का अभ्यास कराएं।

- विद्यार्थी आपातकालीन अभ्यास में सक्रिय रूप से भाग लें और निर्देशों का पालन करें।

- विद्यार्थी आपातकालीन निकास, निकासी मार्गों और स्थान के बारे में जागरूक हों।

- विद्यार्थी शिक्षकों या स्कूल को किसी भी संभावित खतरे या घटना की सूचना दें।

- स्थानीय अधिकारी आपदा प्रबंधन के विकास और समीक्षा के लिए स्कूलों के साथ मिलकर काम करे।

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