Delhi Rajeev Gandhi Hospital: राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में EWS वर्ग को मिलेगा मुफ्त इलाज, HC ने दिए निर्देश

दिल्ली के रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) वर्ग को 1 मार्च से मुफ्त इलाज मिलेगा। मुफ्त इलाज की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है।

By Jagran NewsEdited By: Publish:Wed, 08 Feb 2023 03:20 PM (IST) Updated:Wed, 08 Feb 2023 03:20 PM (IST)
Delhi Rajeev Gandhi Hospital: राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में EWS वर्ग को मिलेगा मुफ्त इलाज, HC ने दिए निर्देश
राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) वर्ग को 1 मार्च से मुफ्त इलाज मिलेगा।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) वर्ग को 1 मार्च से मुफ्त इलाज मिलेगा। मुफ्त इलाज की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है।

जानें मुख्य न्यायाधीश ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा व न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने निशुल्क इलाक का निर्देश देते हुए यह भी कहा कि अस्पताल में ईडब्ल्यूएस वर्ग के मरीजों के लिए 31 बेड की भी व्यवस्था करने को कहा। अदालत ने यह आदेश अधिवक्ता अशोक अग्रवाल के माध्यम से गैर सरकारी संगठन सोशल जूरिस्ट की जनहित याचिका पर दिया।

बता दें कि NGO की जमीन आवंटन की शर्तों के अनुसार, गरीब मरीजों को तत्काल मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल को निर्देश देने की मांग की गई थी। वकील अशोक अग्रवाल की ओर से पेश NGO सोशल ज्यूरिस्ट ने 2018 में उच्च न्यायालय का रुख किया था और कहा था कि अस्पताल को दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) द्वारा रियायती दरों पर जमीन आवंटित की गई थी।

रियायती दरों पर की गई थी जमीन आवंटित

अग्रवाल ने इससे पहले कहा था कि 2007 में उच्च न्यायालय और जुलाई 2018 में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि जिन अस्पतालों को रियायती दरों पर जमीन आवंटित की गई थी, उन्हें आईपीडी में 10 प्रतिशत और ओपीडी में 25 प्रतिशत तक आर्थिक रूप से कमजोर रोगियों को मुफ्त इलाज उपलब्ध कराना होगा। बता दें कि अस्पताल ने पिछले 20 सालों से किसी का भी मुफ्त में इलाज नहीं कराया है। 

चिकित्सकों की कमी से भी जूझ रहा था अस्पताल

राजीव गांधी कैंसर अस्पताल कुछ समय पहले तक चिकित्सकों की कमी से भी जूझ रहा था। कुछ सालों पहले हालत ऐसी थी कि अस्पताल खुद ही बीमार-सा प्रतीत हो रहा था। पर्याप्त संख्या में ना ही डॉक्टर थे और ना ही नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ। 

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