अस्थियां भी विसर्जित करने नहीं जा रहे लोग, इस संस्था ने उठाया अस्थियों को विधिवत विसर्जित करने का बीड़ा

रोजाना कोरोना संक्रमण से सैकड़ों जानें जा रही है। अस्पताल से लेकर श्मशान गृहों तक में लंबी कतारें है। अस्पतालों का इंतजार अंतहीन है। श्मशान गृहों में भी घंटों का इंतजार है। यह वेदना यहीं तक का नहीं है। दिल्ली-एनसीआर के कई श्मशान गृहों के अस्थि गृह भर चुके हैं।

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Publish:Fri, 30 Apr 2021 12:14 PM (IST) Updated:Fri, 30 Apr 2021 12:14 PM (IST)
अस्थियां भी विसर्जित करने नहीं जा रहे लोग, इस संस्था ने उठाया अस्थियों को विधिवत विसर्जित करने का बीड़ा
10 हजार से अधिक मृतकों की अस्थियों को एकत्रित कर उनका विधिवत विसर्जन करेगी श्री देवोत्थान समिति।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में पवित्र गंगा नदी में अस्थि विसर्जन का बड़ा महत्व है। माना जाता है जब तक अंतिम संस्कार का यह अंतिम पड़ाव पूरा नहीं होता, तब तक आत्माओं को मोक्ष नहीं मिलता, वह धरती पर भटकती रहती है। पर इस वक्त कोरोना की बड़ी त्रासदी में कई मामलों में जहां परिवारवालों की गैर मौजूदगी में अंतिम संस्कार हो रहा है। वहीं, श्मशान गृहों और घाटों पर हजारों अस्थियां विसर्जन के इंतजार में हैं।

दिल्ली-एनसीआर में ही रोजाना कोरोना संक्रमण से सैकड़ों जानें जा रही है। अस्पताल से लेकर श्मशान गृहों तक में लंबी कतारें है। अस्पतालों का इंतजार अंतहीन है। श्मशान गृहों में भी घंटों का इंतजार है। यह वेदना यहीं तक का नहीं है। दिल्ली-एनसीआर के कई श्मशान गृहों के अस्थि गृह भर चुके हैं। वहां अब अस्थि रखने की जगह नहीं बची है। यह स्थिति इसलिए क्योंकि कोरोना की त्रासदी ने कई परिवारों को छिन्न-भिन्न कर दिया। किसी के घर में कोई और नहीं है। वहीं, लाकडाउन और आने-जाने में पाबंदी भी इस राह में रोड़े हैं। ऐसे में श्री देवोत्थान सेवा समिति ने ऐसी अस्थियों के विसर्जन का बीड़ा उठाया है।

समिति द्वारा पिछले माह से इसके लिए दिल्ली-एनसीआर के श्मशान गृह व घाटों से अस्थियों को इकट्ठा करने का काम शुरू भी कर दिया गया है। अब तक 2700 से अधिक लोगों की अस्थियां इकट्ठा हो चुकी है। इसमें दूसरी बीमारियों से जान गंवानें वालों के साथ बड़ी संख्या में कोरोना से दम तोड़ने वाले लोगों की अस्थियां है। इस संबंध में समिति के अध्यक्ष अनिल नरेंद्र ने बताया कि इस वर्ष 10 हजार से अधिक लोगों के अस्थियों के इकट्ठा होने का अनुमान लगा रहे हैं, क्योंकि इस कोरोना महामारी से काफी अधिक संख्या में लोगों का असमायिक निधन हुआ है।

दूसरे, कोरोना काल के भयावह वातावरण में लोग अपने परिजनों का अस्थि विसर्जन नहीं कर पा रहे हैं। उनके पास घाटों और श्मशान गृहों से फोन आ रहे हैं कि उनके यहां अस्थि रखने की जगह नहीं बची है। उन्होंने बताया कि इन अस्थियों को पितृ पक्ष में वैदिक रीति से विधि विधानपूर्वक हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित किया जाएगा। पितृ पक्ष 20 सितंबर से छह अक्टूबर तक है।वैसे, यह समिति पिछले 19 वर्षो से देशभर के साथ ही दूसरे देशों से भी अस्थियां इकट्ठाकर उनका विसर्जन करती आ रही है। इनमें पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं की भी अस्थियां शामिल हैं।

समिति के मुताबिक पिछले वर्ष तक एक लाख 42 हजार 647 लोगों के अस्थि विसर्जन उसके द्वारा किए जा चुके हैं। समिति के महामंत्री विजय शर्मा ने बताया कि वैसे तो हमारा जोर उन अस्थियों के विसर्जन का होता है, जो विसर्जन के इंतजार पर श्मशान गृह में ही पड़े रहते हैं। पर इस बार आपदा है। ऐसा कभी नहीं देखा गया। सामान्य वर्षों में करीब 5000 लोगों की अस्थियां जुटती है। इस वर्ष मामला पूरी तरह से अलग है।

स्थिति यह कि जमा अस्थियां अब श्मशान गृह संचालकों के लिए चिंता व परेशानी का सबब बन गई है। उन्होंने बताया कि अस्थियों के संग्रह के लिए एनसीआर शहरों और गांवों में 15 मई से व्यापक अभियान चलेगा, जिसमें सभी घाट व गृह जाकर इकट्ठा किया जाएगा। अभी 2700 लोगों की इकट्ठा अस्थियां निगमबोध घाट, पंजाबी बाग, संत नगर व सराय काले खां श्मशान गृह से लाई गई है। इसमें युवा वालंटियर्स की टीम लगी हुई है।

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