डीएसजीएमसी अध्यक्ष का होगा चुनाव, शिअद बादल और सरना के बीच है रोचक मुकाबला

कमेटी की सत्ता हासिल करने के लिए शिरोमणि अकाली दल (बादल) और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के बीच मुकाबला है। 25 अगस्त को चुनाव परिणाम घोषित हुआ था लेकिन नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हो सका है। 55 सदस्यों वाली कमेटी में 46 सदस्य संगत द्वारा चुने जाते हैं।

By Santosh Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 22 Jan 2022 06:10 AM (IST) Updated:Sat, 22 Jan 2022 07:30 AM (IST)
डीएसजीएमसी अध्यक्ष का होगा चुनाव, शिअद बादल और सरना के बीच है रोचक मुकाबला
गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने नवनिर्वाचित सदस्यों की बैठक बुलाई।

नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) चुनाव के पांच माह बाद शनिवार को कार्यकारिणी गठन के लिए नवनिर्वाचित सदस्यों की बैठक होगी। दिल्ली गुरुद्वारा चुनाव निदेशालय ने सदस्यों की बैठक बुलाई है। सबसे पहले सदस्यों को शपथ दिलाई जाएगी। उसके बाद अध्यक्ष सहित पांच पदाधिकारियों का चुनाव होगा। नई कार्यकारिणी का गठन किया जाएगा। कमेटी की सत्ता हासिल करने के लिए शिरोमणि अकाली दल (बादल) और शिरोमणि अकाली दल दिल्ली (सरना) के बीच मुकाबला है।

22 अगस्त को कमेटी का चुनाव हुआ था। 25 अगस्त को चुनाव परिणाम घोषित हुआ था लेकिन नई कार्यकारिणी का गठन नहीं हो सका है। 55 सदस्यों वाली कमेटी में 46 सदस्य संगत द्वारा चुने जाते हैं। इसके साथ ही नौ नामित सदस्य होते हैं। इनमें से चार अलग-अलग तख्त के जत्थेदार होते हैं। इन्हें कार्यकारिणी के गठन में मतदान का अधिकार नहीं होता है। इस तरह से 51 सदस्य मतदान में हिस्सा लेते हैं।

शिअद बादल के पास 30 सदस्य और शिअद दिल्ली (सरना) के नेतृत्व वाले गठबंधन के पास 21 सदस्य हैं। इस तरह से शिअद बादल के पास बहुमत का आंकड़ा है। बावजूद इसके सरना दल के नेता जीत का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि शिअद बादल के कई सदस्य उसके उम्मीदवार को अपना समर्थन देंगे। कहा जा रहा है कि शिअद बादल के प्रदेश अध्यक्ष और डीएसजीएमसी के निवर्तमान महामंत्री हरमीत सिंह कालका अध्यक्ष पद के उम्मीदवार होंगे।

वहीं, शिअद दिल्ली (सरना) के अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना गठबंधन की तरफ से उम्मीदवार होंगे। बताते हैं कि सरना की शिअद बादल के नेता बलविंदर सिंह भुंदड़ के साथ बैठक हुई है। इससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शिअद बादल के कई सदस्य सरना को समर्थन करेंगे। अब कालका के सामने अपनी पार्टी के सदस्यों को जोड़े रखने की चुनौती है।

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