CBSE Board Exam 2020-21: बोर्ड परीक्षाएं टाले जाने के पक्ष नें नहीं है दिल्ली के स्कूल, बताई ये वजह

शालीमार बाग के मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या अलका कपूर ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं को ज्यादा से ज्यादा 15 मार्च तक टाला जाना चाहिए। इससे आगे अगर टाला जाता है तो बच्चों की उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षाएं प्रभावित होंगी।

By Mangal YadavEdited By: Publish:Thu, 05 Nov 2020 04:51 PM (IST) Updated:Thu, 05 Nov 2020 05:07 PM (IST)
CBSE Board Exam 2020-21: बोर्ड परीक्षाएं टाले जाने के पक्ष नें नहीं है दिल्ली के स्कूल, बताई ये वजह
स्कूल सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा और आगे टाले जाने के पक्ष में नहीं हैं।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। कोरोना महामारी के चलते सभी स्कूल लंबे समय से बंद हैं। पढ़ाई भी ऑनलाइन माध्यम से हो रही है। दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने कोरोना महामारी के चलते सत्र 2020-21 की बोर्ड परीक्षाओं को मई माह में आयोजित कराने को लेकर पत्र लिखा था। जिसके बाद सीबीएसई ने राजधानी के प्रधानाचार्यों से बोर्ड परीक्षाएं टाले जाने को लेकर राय मांगी थी। सीबीएसई से मांगी गई राय को लेकर दिल्ली सहोदय स्कूल कॉम्पेल्क्स ने भी कई निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों पर सर्वे कराया। सर्वे में यही बात पूछी गई कि बोर्ड परीक्षाएं कब आयोजित कराई जानी चाहिए। करीब 100 स्कूलों में हुए इस सर्वे में यही बात निकल कर आयी की राजधानी के स्कूल सीबीएसई की बोर्ड परीक्षा और आगे टाले जाने के पक्ष में नहीं हैं।

प्रधानाचार्यों के मुताबिक बोर्ड परीक्षाओं को स्थगित करना उचित नहीं होगा। इससे उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं और प्रवेश प्रक्रिया का कार्यक्रम भी प्रभावित होगा और छात्रों को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा। वहीं, निदेशालय ने पत्र में पाठ्यक्रम को घटाने की बात भी लिखी थी। जिसपर प्रधानाचार्यों का कहना है कि पाठ्यक्रम में पहले ही 30 फीसद की कटौती हो गई है। अब और पाठ्यक्रम घटाने की जरूरत नहीं क्योंकि जितनी कटौती करनी थी वो की जा चुकी है।

शालीमार बाग के मॉडर्न पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्या अलका कपूर ने बताया कि बोर्ड परीक्षाओं को ज्यादा से ज्यादा 15 मार्च तक टाला जाना चाहिए। इससे आगे अगर टाला जाता है तो बच्चों की उच्च शिक्षा प्रवेश परीक्षाएं प्रभावित होंगी। हां परीक्षा के बीच में छात्रों को तीन से चार दिन का अवकाश मिलना चाहिए। इसके साथ ही जहां तक पाठ्यक्रम को घटाने की बात है तो मैं इसके पक्ष में नहीं हूं। पाठ्यक्रम में कटौती करना किसी भी सूरत से सही नहीं है। इसके साथ ही प्रायोगिक परीक्षाओं को ऑनलाइन आयोजित कराना भी सही नहीं है। इससे बेहतर है कि बच्चों के छोटे-छोटे समूह को स्कूल बुलाना चाहिए और परीक्षाएं कराई जानी चाहिए।

मानव स्थली स्कूल की प्रधानाचार्या ममता वी भटनागर ने कहना है कि परीक्षा टाले जाने से उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाएं प्रभावित होंगी। क्योंकि प्रवेश परीक्षाओं के लिए सीबीएसई बोर्ड परिणाम परस्पर जुड़े हुए हैं। बच्चों को ज्यादातर पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम ही पढ़ा दिया गया है। ऐसे में अब अगर कोरोना महामारी के चलते बोर्ड परीक्षाएं टाली भी जानी चाहिए तो ज्यादा से ज्यादा अप्रैल के पहले सप्ताह तक। तब तक अगर वैक्सीन नहीं आती है तो कोरोना के सभी नियमों का पालन करने के लिए परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाकर परीक्षा कराई जानी चाहिए।

वहीं माउंट आबू पब्लिक स्कूल, रोहिणी की प्रधानाचार्या ज्योति अरोड़ा ने बताया कि बोर्ड के सभी छात्रों का पाठ्यक्रम लगभग पूरा होने वाला है। ऐसे में बोर्ड परीक्षाओं को टाला जाना उचित नहीं होगा। क्योंकि इससे उनकी उच्च शिक्षा पर भी प्रभाव पढ़ेगा। अगर कोरोना के मामलें अगले साल मार्च माह में भी सामने आते हैं तो कोरोना के सभी नियमों का पालन करते हुए और परीक्षा केंद्रों की संख्या को बढ़ाते हुए परीक्षाएं आयोजित करा ली जानी चाहिए। मेरे हिसाब से 20 मार्च तक टालना सही रहेगा, उसके बाद नहीं।

जिंदल पब्लिक स्कूल, द्वारका के प्रिंसिपल उत्तम सिंह ने कहा कि बोर्ड परीक्षा को आगे टालने का फैसला बच्चों की मेहनत को मिट्टी में मिला सकता है। इसलिए महामारी को एक कारण बनाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना सही नहीं होगा। सभी बच्चें साल भर इसके लिए मेहनत करते हैं ताकि सही समय पर उच्च शिक्षा के लिए प्रवेश परीक्षा दे सकें।

कई छात्रों ने तो बाहरी देश जाकर उच्च शिक्षा हासिल करने का विचार किया होगा। ऐसे में बोर्ड परीक्षा के टलने से उनके सपनों पर पानी फिर जाएगी।

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