डिफेंस कालोनी के फुटपाथ पर बने मंदिर को तोड़ने के मामले में हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की, पढ़िए क्या जवाब मांगा
मंदिर को तोड़ने के मामले पर अपने पिछले रुख से हटने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की है। पीठ ने कहा कि मामले को धार्मिक समिति को मंजूरी के लिए भेजने के सरकार के निर्णय से राष्ट्रीय राजधानी में केवल अराजकता और अधिक अतिक्रमण होगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। डिफेंस कॉलोनी में एक फुटपाथ पर एक अवैध रूप बनाए गए मंदिर को तोड़ने के मामले पर अपने पिछले रुख से हटने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार की खिंचाई की है। न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि मामले को धार्मिक समिति को मंजूरी के लिए भेजने के सरकार के निर्णय से राष्ट्रीय राजधानी में केवल अराजकता और अधिक अतिक्रमण होगा।
पीठ ने सरकार को उस आदेश की एक प्रति तीन दिनों के भीतर रिकार्ड में पेश करने का निर्देश दिया, जिसके तहत धार्मकि समिति का गठन किया गया था। उपराज्यपाल की अध्यक्षता वाली समिति धार्मिक संरचनाओं वाले अतिक्रमणों को हटाने के मु्द्दों को देखती है। पीठ ने कहा कि मैं देखना चाहती हूं कि क्या गुंजाईश है। क्या यह किसी के द्वारा डाली गई कुछ ईटें धार्मिक समिति के दायरे में आएंगी। पीठ ने कहा कि अगर कोई बड़ा मंदिर है तो धार्मिक समिति की जरूरत पड़ सकती है लेकिन अगर कोई रातों-रात चंद ईंटें लगा दे तब? पीठ ने कहा कि अदालत दिल्ली सरकार के रुख से संतुष्ट नहीं है क्योंकि इलाके में रातों-रात अतिक्रमण हो गया है और बस कुछ ईंटें और दो-तीन मूर्तियां हैं।
पीठ ने कहा कि इससे कुल अराजकता होगी। अगर कल कोई पांच ईंटें लगाकर मूर्ति लगा दे, तो आप कहेंगे कि हमें धार्मिक समिति की जरूरत है। क्या यही धार्मिक समिति का उद्देश्य है? सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि जमीन की मालिक एजेंसी भी चाहती है कि ढांचा हटाया जाए लेकिन उन्हें पहले धार्मिक समिति के आदेश का पालन करना होगा। हम हटाने से नहीं कतरा रहे हैं, लेकिन एक प्रक्रिया का पालन किया जाना है।दिल्ली सरकार ने कहा कि अगर ऐसे ही तोड़ा जाता है तो कानून-व्यवस्था की समस्या हो सकती है। हालांकि, पीठ ने पूछा कि क्या कोई रातों-रात कुछ भी कर सकता है।
पीठ ने उक्त टिप्पणी डिफेंस कालोनी निवासी द्वारा अपनी संपत्ति के सामने किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए याचिका दायर की है। 29 सितंबर को सरकार ने पीठ से कहा था कि उसने पहले से ही अवैध ढांचे को ध्वस्त करने की योजना बनाई है और इसके लिए आवश्यक पुलिस सहायता की आवश्यकता होगी। मामले में अगली सुनवाई 26 अक्टूबर को होगी।
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