OBC और EWS श्रेणी के लोग भी पिछड़े, उन्हें भी मुफ्त कोचिंग का लाभ मिले; जामिया को दिल्ली हाईकोर्ट की सलाह

दिल्ली हाईकोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोग भी पिछड़े हैं और उन्हें मुफ्त कोचिंग का लाभ दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता कानून के छात्र सत्यम सिंह ने कहा कि आरसीए की वर्तमान प्रवेश नीति मनमानी है और यह ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों के साथ भेदभाव करती है जिनके पास सीमित वित्तीय साधन हैं वो सिविल सेवा परीक्षा की मुफ्त कोचिंग के हकदार हैं।

By Ritika Mishra Edited By: Sonu Suman Publish:Mon, 06 May 2024 07:58 PM (IST) Updated:Mon, 06 May 2024 07:58 PM (IST)
OBC और EWS श्रेणी के लोग भी पिछड़े, उन्हें भी मुफ्त कोचिंग का लाभ मिले; जामिया को दिल्ली हाईकोर्ट की सलाह
OBC और EWS श्रेणी के लोग भी पिछड़े, उन्हें भी मुफ्त कोचिंग का लाभ मिले।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से कहा कि वह अपनी आवासीय कोचिंग अकादमी (आरसीए) में ओबीसी श्रेणी और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के छात्रों को प्रवेश देने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका में प्रतिवादी के रूप में निर्णय ले।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना किसी पूर्व प्रतिनिधित्व के सीधे अदालत का दरवाजा खटखटाया और विश्वविद्यालय से जनहित याचिका में उठाए गए मुद्दे को एक प्रतिनिधित्व के रूप में मानते हुए निर्णय लेने के लिए कहा।

आरसीए की वर्तमान प्रवेश नीति मनमानी

सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के लोग भी पिछड़े हैं और उन्हें मुफ्त कोचिंग का लाभ दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता कानून के छात्र सत्यम सिंह ने कहा कि आरसीए की वर्तमान प्रवेश नीति मनमानी है और यह ओबीसी और ईडब्ल्यूएस छात्रों के साथ भेदभाव करती है, जिनके पास सीमित वित्तीय साधन हैं वो सिविल सेवा परीक्षा की मुफ्त कोचिंग के हकदार हैं। लेकिन आरसीए केवल महिलाओं और अल्पसंख्यक या एससी, एसटी समुदायों को पूरा करता है जबकि मनमाने ढंग से अन्य वंचित श्रेणियों को बाहर कर देता है।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि आवासीय कोचिंग अकादमी द्वारा संचालित मुफ्त कोचिंग कार्यक्रम में प्रवेश पाने के लिए सीमित वित्तीय साधन या वित्तीय बाधा कोई मानदंड नहीं है।

EWS और OBC के छात्र आवेदन भी नहीं कर सकते

वहीं, अल्पसंख्यक, एससी, एसटी और महिला भले ही आर्थिक रूप से संपन्न हों लेकिन फिर भी वो आरसीए की वित्त पोषित मुफ्त कोचिंग कार्यक्रम में प्रवेश पा सकते हैं। जबकि ईडब्ल्यूएस और ओबीसी छात्र जिनके पास सीमित वित्तीय साधन हैं और वो आरसीए में भर्ती होने के योग्य हैं, उन्हें आवासीय कोचिंग अकादमी में आवेदन करने से भी बाहर रखा गया है।

याचिकाकर्ता ने दलील दी कि कोचिंग योजना के लिए यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों में ओबीसी छात्रों के साथ-साथ ईडब्ल्यूएस छात्र भी शामिल हैं। इसलिए आरसीए, जो यूजीसी द्वारा वित्त पोषित है, उनके खिलाफ भेदभाव नहीं कर सकता है।

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