Delhi News: धमनी का छोटा होना नहीं है भारतीयों में हार्ट अटैक का कारण, डाक्टरों ने 250 मरीजों पर किया शोध

Delhi News भारतीय लोगों की धमनी का आकार भी उनके कद वजन और शरीर की मोटाई के अनुसार सामान्य होता है। इसलिए हार्ट अटैक का कारण कद छोटा मोटापा अधिक वजन व खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां हैं। शोध में ये बातेंं सामने आई हैं।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 01 Nov 2022 09:19 PM (IST) Updated:Tue, 01 Nov 2022 09:19 PM (IST)
Delhi News: धमनी का छोटा होना नहीं है भारतीयों में हार्ट अटैक का कारण, डाक्टरों ने 250 मरीजों पर किया शोध
Delhi News: अस्पताल के डाक्टरों के अनुसार 250 मरीजों पर यह अध्ययन किया।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। गंगाराम अस्पताल के डाक्टरों द्वारा किए गए एक शोध में यह बात सामने आई है कि भारतीय लोगों में धमनी का व्यास कम होना हार्ट अटैक के लिए जोखिम भरा कारण नहीं हैं। भारतीय लोगों की धमनी का आकार भी उनके कद, वजन और शरीर की मोटाई के अनुसार सामान्य होता है। इसलिए हार्ट अटैक का कारण कद छोटा, मोटापा, अधिक वजन व खराब जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां हैं।

छोटी धमनी नहीं है हार्ट अटैक का कारण 

अस्पताल के डाक्टरों के अनुसार 250 मरीजों पर यह अध्ययन किया। सितंबर माह में मेडिकल जर्नल इंडियन कालेज आफ कार्डियोलाजी में यह प्रकाशित हुआ है। अस्पताल के कार्डियोलाजी विभाग के विशेषज्ञ डा. अश्वनी मेहता ने कहा कि देश में डाक्टरों के बीच एक आम धारणा है कि भारतीय लोगों की धमनी विदेश के लोगों की तुलना में छोटी होती है। इस वजह से यहां हार्ट अटैक का खतरा अधिक होता है। इसका पता लगाने के लिए यह अध्ययन किया गया।

अध्ययन में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की धमनी थोड़ी छोटी

जिसमें पाया गया कि धमनी का आकार शरीर लंबाई, मोटापा व वजन पर निर्भर करता है। इसलिए यह कहना सही नहीं है कि विदेश के लोगों की तुलना में धमनी छोटी होती है। अध्ययन में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की धमनी थोड़ी छोटी पाई गई। लेकिन जब महिलाओं की कद-काठी से मिलान किया गया तो पुरुषों और महिलाओं की धमनी के आकार में खास अंतर नहीं था।

हाई अटैक से पीड़ित 51 प्रतिशत मरीजों को हाइपरटेंशन  

अध्ययन में पाया गया कि हार्ट अटैक से पीड़ित 51 प्रतिशत मरीजों को हाइपरटेंशन, 18 प्रतिशत को डायबिटीज व 28 प्रतिशत मरीजों का कोलेस्ट्राल अधिक था। इसके अलावा चार प्रतिशत मरीज धूम्रपान करते थे और 26 प्रतिशत मरीजों के परिवार में यह बीमारी थी।

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